tag:blogger.com,1999:blog-4029304101914281282.post5861116329774324201..comments2023-10-22T22:43:00.814+13:00Comments on MERE SAPNE MERE APNE: क्या लोगों ने ‘उसे’ ठीक पीटा?Nitish Rajhttp://www.blogger.com/profile/05813641673802167463noreply@blogger.comBlogger10125tag:blogger.com,1999:blog-4029304101914281282.post-53806367796293500082010-06-18T22:46:54.640+12:002010-06-18T22:46:54.640+12:00जिन्दा लोगों की तलाश! मर्जी आपकी, आग्रह हमारा!!
क...जिन्दा लोगों की तलाश! मर्जी आपकी, आग्रह हमारा!!<br /><br />काले अंग्रेजों के विरुद्ध जारी संघर्ष को आगे बढाने के लिये, यह टिप्पणी प्रदर्शित होती रहे, आपका इतना सहयोग मिल सके तो भी कम नहीं होगा।<br />============<br /><br />उक्त शीर्षक पढकर अटपटा जरूर लग रहा होगा, लेकिन सच में इस देश को कुछ जिन्दा लोगों की तलाश है। सागर की तलाश में हम सिर्फ सिर्फ बूंद मात्र हैं, लेकिन सागर बूंद को नकार नहीं सकता। बूंद के बिना सागर को कोई फर्क नहीं पडता हो, लेकिन बूंद का सागर के बिना कोई अस्तित्व नहीं है।<br /><br />आग्रह है कि बूंद से सागर में मिलन की दुरूह राह में आप सहित प्रत्येक संवेदनशील व्यक्ति का सहयोग जरूरी है। यदि यह टिप्पणी प्रदर्शित होगी तो निश्चय ही विचार की यात्रा में आप भी सारथी बन जायेंगे।<br /><br />हम ऐसे कुछ जिन्दा लोगों की तलाश में हैं, जिनके दिल में भगत सिंह जैसा जज्बा तो हो, लेकिन इस जज्बे की आग से अपने आपको जलने से बचाने की समझ भी हो, क्योंकि जोश में भगत सिंह ने यही नासमझी की थी। जिसका दुःख आने वाली पीढियों को सदैव सताता रहेगा। गौरे अंग्रेजों के खिलाफ भगत सिंह, सुभाष चन्द्र बोस, असफाकउल्लाह खाँ, चन्द्र शेखर आजाद जैसे असंख्य आजादी के दीवानों की भांति अलख जगाने वाले समर्पित और जिन्दादिल लोगों की आज के काले अंग्रेजों के आतंक के खिलाफ बुद्धिमतापूर्ण तरीके से लडने हेतु तलाश है।<br /><br />इस देश में कानून का संरक्षण प्राप्त गुण्डों का राज कायम हो चुका है। सरकार द्वारा देश का विकास एवं उत्थान करने व जवाबदेह प्रशासनिक ढांचा खडा करने के लिये, हमसे हजारों तरीकों से टेक्स वूसला जाता है, लेकिन राजनेताओं के साथ-साथ अफसरशाही ने इस देश को खोखला और लोकतन्त्र को पंगु बना दिया गया है।<br /><br />अफसर, जिन्हें संविधान में लोक सेवक (जनता के नौकर) कहा गया है, हकीकत में जनता के स्वामी बन बैठे हैं। सरकारी धन को डकारना और जनता पर अत्याचार करना इन्होंने कानूनी अधिकार समझ लिया है। कुछ स्वार्थी लोग इनका साथ देकर देश की अस्सी प्रतिशत जनता का कदम-कदम पर शोषण एवं तिरस्कार कर रहे हैं।<br /><br />अतः हमें समझना होगा कि आज देश में भूख, चोरी, डकैती, मिलावट, जासूसी, नक्सलवाद, कालाबाजारी, मंहगाई आदि जो कुछ भी गैर-कानूनी ताण्डव हो रहा है, उसका सबसे बडा कारण है, भ्रष्ट एवं बेलगाम अफसरशाही द्वारा सत्ता का मनमाना दुरुपयोग करके भी कानून के शिकंजे बच निकलना।<br /><br />शहीद-ए-आजम भगत सिंह के आदर्शों को सामने रखकर 1993 में स्थापित-ष्भ्रष्टाचार एवं अत्याचार अन्वेषण संस्थानष् (बास)-के 17 राज्यों में सेवारत 4300 से अधिक रजिस्टर्ड आजीवन सदस्यों की ओर से दूसरा सवाल-<br /><br />सरकारी कुर्सी पर बैठकर, भेदभाव, मनमानी, भ्रष्टाचार, अत्याचार, शोषण और गैर-कानूनी काम करने वाले लोक सेवकों को भारतीय दण्ड विधानों के तहत कठोर सजा नहीं मिलने के कारण आम व्यक्ति की प्रगति में रुकावट एवं देश की एकता, शान्ति, सम्प्रभुता और धर्म-निरपेक्षता को लगातार खतरा पैदा हो रहा है! हम हमारे इन नौकरों (लोक सेवकों) को यों हीं कब तक सहते रहेंगे?<br /><br />जो भी व्यक्ति स्वेच्छा से इस जनान्दोलन से जुडना चाहें, उसका स्वागत है और निःशुल्क सदस्यता फार्म प्राप्ति हेतु लिखें :-<br />डॉ. पुरुषोत्तम मीणा, राष्ट्रीय अध्यक्ष<br />भ्रष्टाचार एवं अत्याचार अन्वेषण संस्थान (बास)<br />राष्ट्रीय अध्यक्ष का कार्यालय<br />7, तँवर कॉलोनी, खातीपुरा रोड, जयपुर-302006 (राजस्थान)<br />फोन : 0141-2222225 (सायं : 7 से 8) मो. 098285-02666<br />E-mail : dr.purushottammeena@yahoo.inभारतवासीhttps://www.blogger.com/profile/12363266787410149792noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4029304101914281282.post-76425395110098363692010-06-08T19:45:05.507+12:002010-06-08T19:45:05.507+12:00अपनी-अपनी राय देने के लिए आप सभी का धन्यवाद। अधिकत...अपनी-अपनी राय देने के लिए आप सभी का धन्यवाद। अधिकतर लोगों का मानना ये ही है कि भीड़ को कानून हाथ में नहीं लेना चाहिए। सुरेश जी शायद आपको जवाब मिल गया होगा।Nitish Rajhttps://www.blogger.com/profile/05813641673802167463noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4029304101914281282.post-59722014421608171812010-06-08T19:09:47.175+12:002010-06-08T19:09:47.175+12:00क्या कहा जाए, कुछ समझ में नहीं आ रहा।
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करे...क्या कहा जाए, कुछ समझ में नहीं आ रहा।<br />--------<br /><a href="http://sb.samwaad.com/" rel="nofollow">करे कोई, भरे कोई?</a><br /><a href="http://ts.samwaad.com/" rel="nofollow">हाजिर है एकदम हलवा पहेली।</a>Dr. Zakir Ali Rajnishhttps://www.blogger.com/profile/03629318327237916782noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4029304101914281282.post-86901254659991283912010-06-08T16:02:16.957+12:002010-06-08T16:02:16.957+12:00मेरे विचार से यह ठीक नहीं है। पहले बहुत सी महिलाये...मेरे विचार से यह ठीक नहीं है। पहले बहुत सी महिलायें इस लिये जला दी जाती थीं कि वे चुड़ैल समझी जाती थीं। <br /><br />भीड़ में विवेक हमेशा गुम हो जाता है और अधिकतर वह कर लेने लग जाते हैं जो कि गलत है। यह बात हमेशा जहन में रहनी चाहिये।उन्मुक्तhttps://www.blogger.com/profile/13491328318886369401noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4029304101914281282.post-2743880814099930232010-06-08T06:56:03.790+12:002010-06-08T06:56:03.790+12:00नही ऎसे मारना चाहिये था... गलत हैनही ऎसे मारना चाहिये था... गलत हैराज भाटिय़ाhttps://www.blogger.com/profile/10550068457332160511noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4029304101914281282.post-522787730925198692010-06-08T04:51:21.984+12:002010-06-08T04:51:21.984+12:00भीड़ की मानसिकता और उसका कानून...विवेक खो जाता है....भीड़ की मानसिकता और उसका कानून...विवेक खो जाता है.Udan Tashtarihttps://www.blogger.com/profile/06057252073193171933noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4029304101914281282.post-77948155139266723722010-06-08T02:38:37.232+12:002010-06-08T02:38:37.232+12:00जय हो!
अपना भारत महान!जय हो!<br />अपना भारत महान!डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'https://www.blogger.com/profile/09313147050002054907noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4029304101914281282.post-37108944948516277772010-06-08T01:20:28.280+12:002010-06-08T01:20:28.280+12:00कल बाइक से जा रहा था, आगे-आगे दो खिलन्दड़ लड़के अपनी...कल बाइक से जा रहा था, आगे-आगे दो खिलन्दड़ लड़के अपनी-अपनी साइकलों पर मस्ती करते जा रहे थे, मुझे जल्दी से अस्पताल पहुँचना था, लेकिन वे लड़के जानबूझकर मुझे साइड नहीं दे रहे थे, ही-ही कर रहे थे और इसे अपनी बहादुरी भी समझ रहे थे। बीच में एक बार मौका मिलने पर मैंने बाइक की स्पीड बढ़ाकर दोनों साइकलों के बीच ले आया, और दाँयी तरफ़ के साइकल वाले को एक जोरदार लात जमाई, जिससे वह नाली में गिर गया और बाँई तरफ़ वाला घबराकर खम्भे से टकरा गया… मैं आराम से निकल गया… <br /><br />क्या उसे लात जमाकर मैंने सही किया? :)Anonymoushttps://www.blogger.com/profile/02326531486506632298noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4029304101914281282.post-34795342630132438652010-06-07T22:06:43.443+12:002010-06-07T22:06:43.443+12:00patheticpatheticमाधव( Madhav)https://www.blogger.com/profile/07993697625251806552noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4029304101914281282.post-55879715943179437712010-06-07T21:44:44.197+12:002010-06-07T21:44:44.197+12:00haalaat bad se badtar hote ja rahe hain isiliye ye...haalaat bad se badtar hote ja rahe hain isiliye ye haal hai.vandana guptahttps://www.blogger.com/profile/00019337362157598975noreply@blogger.com