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Wednesday, October 15, 2008

कानपुर में ब्लास्ट, पर आतंकवाद पर गृहमंत्री जी ने ठोंकी अपनी पीठ

कानपुर में ब्लास्ट की ख़बर से हड़कंप मच गया। सभी जगह दहशत का आलम छा गया। ऑफिस में जैसे ही ये खबर आई तो सभी के चेहरे पर एक किस्म का डर, झुंझलाहट साफ देखी जा सकती थी। शायद हर चेहरा दूसरे चेहरे से बिना पूछे ही सवाल कर रहा था कि हमारे देश में ये क्या हो रहा है। हर जगह से एक ही सवाल हो रहा था कि कहीं ये आतंकवादी वारदात तो नहीं? पुलिस का पूरा महकमा तुरंत हरकत में आया और फटाफट बात को रफादफा करने में लग गए सभी आला अधिकारी। पहले डीएम से बात हुई, उन्होंने इस घटना के बाबत बताया कि कुछ नहीं हुआ है ये एक देसी बम था जो कि फटा है। और इस ब्लास्ट में सिर्फ चार लोगों को मामूली सी खरोंचें आई हैं। जब एसएसपी से बात की तो नई बात पता चली कि विस्फोटक साइकिल पर रखा हुआ था और साइकिल किराए की थी। उस साइकिल का नंबर 12 था। तफ्तीश पर टालमटोल रवैया दिखा एसएसपी साहब का। ठीक-ठीक बता नहीं पा रहे थे कि साइकिल वहां पर किसने रखी। साइकिल कहां से आई और किसकी थी। क्या साइकिल के मालिक से पूछताछ की गई है। कोई भी शख्स इतना विस्फोटक लेकर कहां जा रहा था उसकी क्या मंशा थी। इन सब सवालों पर वो चुप्पी साध गए। टालते हुए जवाब मिला कि ये सब तो तफ्तीश के बाद ही पता चलेगा। तो फिर ये कैसे अनुमान लगा लिया गया कि ये कोई वारदात नहीं थी। क्या ये किसी की गलत मंशा नहीं हो सकती थी। बाद में पुलिस ने इस बात से इनकार नहीं किया कि इस के पीछे कुछ शरारती तत्वों का हाथ भी हो सकता है।
पुराने कानपुर में करीब शाम साढ़े 6 बजे के करीब बजरिया के पुरानी शराब गद्दी इलाके में विस्फोट हुआ। साइकिल पर रखे थैले के अंदर रखा हुआ था विस्फोटक। इस धमाके में 7 लोग जख्मी हुए हैं और जिनमें 3 बच्चे भी शामिल हैं। 6 घायलों को उपचार के बाद छोड़ दिया गया है लेकिन एक बच्ची को अभी भी अस्पताल में ही रखा हुआ है जिसकी हालत थोड़ी नाजुक बताई जाती है। चश्मदीदों के मुताबिक एक शख्स दुकान के सामने साइकिल खड़ी करके जैसे ही थोड़ी दूर गया उसी वक्त साइकिल पर रखे झोले में धमाका हो गया। स्थानीय प्रशासन इसे आतंकी कार्रवाई नहीं करार दे रही है। पुलिस ने पूछताछ के लिए एक दुकानदार और उसके भतीजे को हिरासत में ले लिया है। विस्फोटक किस तरह का था इसकी पड़ताल की जा रही है। लेकिन हाल के दिनों में हुए धमाकों को यदि ध्यान में रखें तो ये वारदात संदेह के घेरे में तो जरूर है।
पर ठीक उसी समय एक कार्यक्रम में केंद्रीय गृह मंत्री शिवराज पाटील आतंकवाद के मुद्दे पर अपनी पीठ ठोंकने में लगे हुए थे। वो कह रहे थे,
"In last 4 and half years time the total no. of terrorist incident that have taken place in India is near about 25000 and the incident took place before that is 36000. If the number has come down from 36000 to 25000 it means that the terrorism is not eliminated, it means terrorism is continuing but it means terrorism is reduce. Terrorist activites are reduce, control, it means that. The no. of casuality that occured in this 5 year time is near about 6000 and the number of casuality that happen in previous 4 and half year time is 11000. when the number has come down from 11000 to 6000 and from 36000 to 25000 we can say that police and all who are involved in it have done better..... I am just giving you the statistics not to defend myself."

अब क्या कहें गृहमंत्री जी को। आप चाहे कितने भी आंकड़ें दे लें लेकिन लोगों का विश्ववास जो आपने खो दिया है उसे अब तो आप हासिल नहीं कर सकते। और ये हम भी जानते हैं कि आप अपने आप को डिफेंड नहीं कर रहे क्योंकि वो आप कर भी नहीं सकते। आने वाले चुनावों में देश की सुरक्षा का मुद्दा कांग्रेस के लिए ताबूत में कील का काम कर सकता हैं। गृहमंत्री जी आतंकवादी आपकी नाक के नीचे धमाके करके चले जाते हैं और आप कुछ कर भी नहीं पाते हैं। उल्टा आप के सहयोगी नेता दुहाई देने लग जाते हैं कि हर आदमी की सुरक्षा में पुलिस तो लगाई नहीं जा सकती। वो वक्त नहीं होता कि इस तरह के बयान दिए जाएं। और जो कुछ आप कहते या करते हैं गृहमंत्री जी उस पर इतने सवाल खड़े हो जाते हैं कि जवाब देने तक से बाद में आप खुद कतराने लगते हैं। आपके कहे में से कुछ सवाल आज भी मुंह बाए खड़े हुए हैं और लोग चाह रहे हैं कि आप अपनी पीठ ठोंकना छोड़ कर उन सवालों के जवाब देंगे। पर आप तो उन सवालों के जवाब दे ही नहीं सकते।
त्यौहार का महीना चल रहा है सारा देश इस समय तो किसी भी तरह के धमाके नहीं चाहता। चाहे आप अपनी पीठ ठोंकें चाहे किसी और की, पर हर कोई चाहता है कि त्यौहार के समय किसी भी घर में मातम ना रहे, सभी के घर रोशन रहें।

आपका अपना
नीतीश राज

Tuesday, September 16, 2008

नपुंसकों की तरह बात करना बंद करो शिवराज पाटील,यदि नहीं कर सकते,तो तुमको देश की सेवा का अधिकार भी नहीं देता ये इंडियन

क्या कभी चोर ये बता कर आता है कि लीजिए मैं आगया चोरी करने? नहीं बताता, और उस से ये उम्मीद भी नहीं की जाती कि वो बताए। यदि चोर बता कर आने लगे तो फिर वो चोरी कहां रह जाती है वो तो राज ठाकरे सरीकी दादागीरी कहलाती है। लेकिन कुछ शातिर चोर होते हैं जो ये बता कर आते हैं कि आज हम यहां पर चोरी करेंगे हो सके तो जितना भी पुलिस का इंतजाम करना है कर लो लेकिन चोरी होकर रहेगी। हमारे गृहमंत्री-गृहसचिव ये ही चाहते हैं कि उनको पहले बता दिया जाए कि किस स्पॉट पर आतंकवादी हमला करेंगे।
“एक टीवी इंटरव्यू में देश के गृहमंत्री शिवराज पाटील ने कहा कि, नरेंद्र मोदी के पीएम को जानकारी दिए जाने से पहले ही केंद्र के पास संभावित धमाकों के संबंध में ख़बर थी। हमें सिर्फ जगह, समय और इस बात का नहीं पता था कि आतंकी किस तरीके का इस्तेमाल करेंगे”।
क्या शर्म नहीं आनी चाहिए शिवराज पाटील को। क्या सोचते हैं शिवराज पाटील जी कि ये नापाक इरादा रखने वाले आतंकवादी आपको address लिख कर के देंगे कि इस समय हम यहां पर छुपे हुए हैं, साथ में हमारे पास इतना असला बारुद है, तुम्हारे ही मुल्क के इतने आदमी हमारे संगठन में अपनी इच्छा से काम करते हैं, हम आज फलां जगह पर फलां वक्त पर विस्फोट करेंगे। क्या लगता है शिवराज जी आप को ये बात करनी चाहिए थी। नाकामी का ढिंढोरा यूं पीटना चाहिए था। अब तो ये ढिंढोरा पिट ही गया है तो सब्र रखिए (वैसे भी आपको सब्र की आदत बहुत है), और ये सब्र आपका क्या गुल खिलाता है। कपड़े बदलने पर तो आपकी वैसे ही भद्द पिट चुकी है। इस प्रकरण से और नेताओं को भी सीख मिल गई होगी। जब देश की राजधानी पर हमला हुआ हो और लोग अपनी जान की परवाह किए बगैर दूसरी की सेवा करने में लग गए हों। तब दूसरी तरफ आप अपने कपड़ों पर पड़ने वाली धूल की फिक्र कर रहे थे और उस शाम तीन पोशाकें आपने बदल दी। सच शिवराज जी आप बाहर से ही नहीं अंदर से भी नपुंसक हैं।

“नपुंसकों की तरह बात करना बंद करो शिवराज पाटील, यदि नहीं कर सकते तो तुमको देश की सेवा का अधिकार भी नहीं देता ये इंडियन”।

कांग्रेस शिवराज पाटील का बचाव करने में लगी हुई है। वैसे वो कांग्रेस की मजबूरी है, पर कांग्रेस को ये सोचना चाहिए कि ताबूत में कीलों की जरूरत पड़ती है और शिवराज रूपी कील कहीं आखरी कील तो नहीं है कांग्रेस के ताबूत पर।
वहीं दूसरी तरफ श्रीजयप्रकाश जायसवाल जी कहते हैं कि आतंकवादियों ने हमें चकमा दे दिया इस बार, और हम एक सइस्टम बना रहे है जिससे की हम इन पर काबू पा सकें। अरे, जायसवाल जी कि क्या पागल बना ने के लिए हमारी प्यारी-भोली जनता ही मिली है क्या आपको। अरे इस साल में ही तीन बार आपको आतंकवादियों ने चकमा दिया और बता-बता कर के चकमा दिया है। हर बार वो आपको मेल करके सूचित करते हैं और आप उनका कुछ भी उखाड़ नहीं पाते। और वो मेरे भाइयों का खून बहाकर के अपने आला कमान को ये सूचना देते हैं खुशी से पागल हो जाते हैं।
यदि ये ही हाल रहा तो सिमी यानी दूसरी पहचान इंडियन मुजाहिद्दीन अभी पहले मेल भेजता है और फिर वो हमला करता है। वैसे भी आतंकियों को हमारे देश के लिजलिजे कानून पर पूरा भरोसा है कि यदि वो पकड़े भी गए तो जरूर से ही छुड़ा लिए जाएंगे वरना एक और हाईजैक प्रकरण से इस देश को हिलाते हुए उनको छुड़ा लिया जाएगा।
अब इसका हल सिर्फ ये है कि इन जैसे भी हो हम खास तौर पर धमाकों पर तो सियासी रोटियां सेकना बंद करें और साथ ही इन नपुंसकों को देश की सेवा से हमेशा के लिए मुक्त कर देना चाहिए।

आपका अपना
नीतीश राज
(फोटो साभार-गूगल)
“जब भी बोलो, सोच कर बोलो,
मुद्दतों सोचो, मुख्तसर बोलो”