Thursday, June 26, 2008

ये मैं हूं....




दाल रोटी की दिक्कत से लड़ते लड़ते कई नावों पर सवार हुए॥ कहीं तारीफ मिली तो कहीं धक्के खाए॥लेकिन हौसले बुंलद थे इरादे नेक॥ पथरीली राह पर चलते चलते कई बार थक कर गिरे भी॥ कहीं भले लोग मिले तो कहीं वो भी जो क्या थे आजतक नहीं जान पाए...लेकिन फिर एक राह मिली और जिसपर उम्मीदों के फूल खिल रहे थे और सामने दूर से आती दिख रही थी रोशनी॥ चंद कदम चलते ही एक हमसफर भी मिल गया और मानो राह आसान हो गई॥कुल मिलाकर अपनी बायोग्राफी बस इतनी सी है॥कुछ कहने का मन हुआ तो ब्लॉगर बन गया॥कह पाउंगा भी या नहीं शर्तिया तौर पर नहीं जानता लेकिन कहने की चाहत जरूर बनी हुई है...तो ये ब्लॉगिंग की दुनिया में मेरा पहला कदम हैं सभी ब्लॉगर बंधुंओं का प्यार और स्नेह मिला तो ये कोशिश जरूर मुकाम हासिल करेगी॥

आपकी दुआओं के इंतजार में,...

नीतीश राज

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“जब भी बोलो, सोच कर बोलो,
मुद्दतों सोचो, मुख्तसर बोलो”