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Wednesday, July 29, 2009

आपके अहम दिन के लिए ‘ये’, समीर लाल जी

‘.....यूँ ही कभी शौकिया लेखन शुरु किया था, आम हल्की फुल्की भाषा में लिखता गया. जब जो मन में आया, लिख दिया. सबने बहुत उत्साहित किया, सम्मानित किया, स्नेह दिया और मैं अपनी ही रौ में बहता लिखता चला गया’। जब मन भर आता है उसका तो उसकी कलम से ऐसे शब्द निकल आते हैं।

जब ब्लॉगिंग की शुरूआत की थी तो एक शख्स हमेशा ही हौसला अफजाई करने के लिए टिप्पणी कर जाता था। ये पता भी नहीं चलता था कि कब-कब में वो टिप्पणी कर जाते थे। यहां आप ने पोस्ट की और वहां आपके ब्लॉग पर टिप्पणी चस्पा हो गई। जब तक ब्लॉगवाणी में आपकी पोस्ट रिफ्लेक्ट होती उतनी देर में आपके खाते में एक टिप्पणी होती। नए ब्लॉगर की दौड़ कुछ जगहों तक ही होती थी तो ब्लॉगवाणी पर देखा करते कि यार इस शख्स की पोस्ट आए तो देखें कि कौन हैं, क्या और कैसा लिखता हैं वगैरा-वगैरा।

धीर-धीरे उनको जानकर या यूं कहें कि पढ़कर बातचीत शुरू हुई। और फिर कई बार कई विष्यों पर उनसे राय लेने लगे। खास तौर पर दो बातें उनके बारे में बनी कि उन्होंने ऊल जुलुल टिप्पणियों से बचने के लिए अपने ब्लॉग पर मोडरेशन ऑन कर रखा है और ये ही सलाह वो हमेशा ही सब को देते हैं। पर बावजूद इसके वो आपकी टिप्पणियां नहीं पढ़ते। उसका शिकार मैं एक नहीं कई बार हो चुका हूं। पहले मैं उनसे टिपिया कर के ही बात किया करता था पर बाद में उन्हें मेल करने लगा।

दूसरी बात, हिंदी ब्लॉगरों में शायद ही किसी को पता चलता हो कि वो शख्स कैसे हर दिन इतनी मशरूफियत के बावजूद इतनी सारी टिप्पणी करता है। गत वर्ष उनको भी कई बार निशाना बनाया गया कि वो बिना पढ़े ही टिप्पणी करते हैं। उस के जवाब में उन्होंने जो लिखा था वो खासकर ब्लॉगवाणी में सबसे ज्यादा पढ़ने और पसंद की जाने वाली पोस्ट बन गई थी। हिंदी ब्लॉगिंग का हर शख्स उस शख्स को मनाने में जुट गया था कि ब्लॉगिंग और टिपियाना बंद मत करो। आलसी काया पर कुतर्कों की रजाई के जरिए मुंह तोड़ जवाब दिया था उन्होंने।

एक बार मुझे उनके तर्कों से इत्तेफाक नहीं था। फिल्म गुलाल उन्हें अच्छी नहीं लगी साथ ही उसके गाने भी। वहीं मेरे को वो फिल्म पसंद आई थी और साथ ही उस फिल्म के गाने भी। तब उनको संबोधित करके मैं आपसे इत्तेफाक नहीं रखता समीर जी’ एक पोस्ट लिखी थी और उस पर उनकी टिप्पणी काफी संयम भरी थी और जो बात उन्होंने लिखी थी उसको कई टिप्पणीकारों ने सराहया भी था। बहुत-बहुत धन्यवाद हमारा हौसला अफजाई करने का और कामना ये ही है कि आप यूं ही टिपियाते रहें।

आज उन्हीं समीर लाल उड़न तश्तरी वाले समरी लाल जी का जन्मदिन है। हार्दिक बधाई के साथ ये पोस्ट उन्हीं को समर्पित क्योंकि ब्लॉगिंग के अध्याय के रूप में मैंने उनसे काफी कुछ सीखा है।

जन्मदिन मुबारक!!!!!!!

आपका अपना
नीतीश राज
“जब भी बोलो, सोच कर बोलो,
मुद्दतों सोचो, मुख्तसर बोलो”