कोटला टेस्ट में कुंबले को चोट लगी तब उनकी पत्नी चेतना दिल्ली एयरपोर्ट पर बैंगलोर के लिए फ्लाइट लेने के इंतजार में खड़ीं थीं। तभी पता चला कि कुंबले को हाथ में चोट लगी है और उनको अपोलो अस्पताल में भेज दिया गया है। तुरंत वो अपोलो पहुंची और फिर पता चला कि ऊंगली में ११ टांके लगे हैं और शायद ये भी हो सकता है कि नागपुर टेस्ट के साथ-साथ वो ये टेस्ट भी ना खेल पाएं। दोनों ने मिलकर ये फैसला किया कि बस ये टेस्ट ही आखिरी टेस्ट होगा क्योंकि अगले टेस्ट में कुंबले को शायद मौका भी ना मिले। वो खेलते हुए संन्यास लेना चाहते थे, मैदान में रहते हुए संन्यास।
आखिरकार १९ साल के लंबे खेल करियर को विराम लग ही गया। आए दिन कयास लगाए जा रहे थे कि अनिल कुंबले भी सौरव गांगुली की तरह कभी भी संन्यास का एलान कर देंगे। इस सीरीज में इस जीवट खिलाड़ी के ऊपर शक किया जाने लगा था कि आखिर कब तक कुंबले? लोगों कि तरफ से आवाज़ भी आने लगी कि क्या टीम पर बोझ बन गए हैं जंबो?
इस सब सवालों पर एकदम से विराम लगाते हुए ऑस्ट्रेलिया के साथ कोटला में तीसरे टेस्ट के आखिरी दिन जब कमेंट्री के दौरान ये एलान हुआ कि कुंबले संन्यास ले रहे हैं, थोड़ी देर तक तो सुनने वालों को इस बात का पर यकीन ही नहीं हुआ पर तभी स्क्रीन पर लिखा आया----
“Anil Kumble Decides To Retire From International Cricket.
Please Wait Till The End To Cheer Anil Kumble”.

सारी दुनिया को यकीं हो गया कि कुंबले संन्यास ले रहे हैं। उसी कोटला मैदान पर संन्यास का फैसला लिया जिस पर उन्होंने १९९९ में एक पारी में १० विकेट लेने का कीर्तिमान हासिल किया था जिसे सिर्फ एक खिलाड़ी ही उनके साथ बांट रहा है। साथ ही ये वो रिकॉर्ड है जिसे कि कोई भी तोड़ नहीं सकता बस पा सकता है। सब बस मैच खत्म होने का इंतजार करने लगे।
और मैच खत्म हो गया। सभी खिलाड़ी कुंबले से हाथ मिलाने लगे और गले मिलने का सिलसिला शुरू होगया। कुंबले को सम्मान देने के लिए कमेंट्रीटेटर ने लोगों से अपील की कि सभी खड़े होकर इस महान गेंदबाज को सम्मान दें।

फिर पूरा कोटला खड़ा होगया अपने पैरों पर और वहीं कुंबले को हाथों में उठा लिया उनके पुराने दोस्त और सहयोगी राहुल द्रविड़ और जहीर खान ने। पिच से मैदान के एक छोर तक की दूरी ही काफी लगने लगी और वहां ये आवाज़ आने लगी कि कुंबले को और ऊंचा उठाया जाए। पूरे समय १९ साल से कदम-दर-कदम साथ चल रहे सचिन यहां भी उनके साथ ही चल रहे

थे। सहवाग दौड़ते हुए आए साथ में आर पी सिंह भी। तभी पीछे से एक शख्स और दौड़ता हुआ आया जो बार-बार कहने लगा कि मैं बैठाता हूं कंधे पर कुंबले को। आर पी सिंह ने इशारा किया कि बैठाओ हम उठाते हैं कुंबले को और वो शख्स अपने कंधे पर बैठा कर जंबो को आगे बढ़ चला।

जी हां, महेंद्र सिंह धोनी को कप्तानी की कमान भी सौंपी गई है और माही ने ही अपने कंधों का एहसास कराकर जंबो को बता दिया कि ये कंधे भी तुम्हारे कंधों की तरह ही मजबूत हैं। और फिर वो जंबो को लेकर मैदान का चक्कर लगाने लगे।
यदि देखें तो जंबो सच में जंबो ही हैं लेकिन धोनी को ऐसा करते देख अच्छा ही लगा और सच, ये भी लगा कि हां सिर्फ ऑस्ट्रेलियन ही अपनों की विदाई ऐसे नहीं करते हम भी कह सकते हैं कुछ इसी शान से अपनों को बाय बाय, कुंबले।
कोटला में कुंबले के अंतिम पल
मेरी नजर से कुंबले की कुछ चुनिंदा यादें अगले अंक में।
आपका अपना
नीतीश कुमार