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Thursday, June 25, 2009

क्या सिर्फ लुटना लिखा है इनकी किस्मत में?

जिससे प्यार किया, उसने ही रेप किया। वो लड़की अपनी शादी छोड़ अपने प्यार के पास आई नई जिंदगी बसाने के लिए पर उस प्यार ने उसकी अस्मत को किया तार-तार। प्रेमी इतना जालिम निकला कि अपने दो दोस्तों से भी उसके शरीर को नुचवाता रहा। एक दिन नहीं, दो दिन नहीं, पांच महीने तक वो हर रोज़ यूं ही लुटती रही। पांच महीने बाद भी वो शख्स जिससे हुई थी सगाई, आज भी अपनी मंगेतर के साथ कदम से कदम मिलाकर चलने के लिए तैयार है। ये घटना है राजकोट, गुजरात की।

क्या करे वो नारी वो तो दूसरों पर भी विश्वास नहीं कर सकती और अपने उसे मजबूर कर रहे हैं कि वो उन पर विश्वास ना करे।

फिर राजकोट, गुजरात। इसमें भी जानने वालों ने ही लूटा विश्वास। प्रेमिका नाबालिग और प्रेमी उसे भगा लेजाने के लिए उतावला। लड़की ने घऱ की खातिर भागने से कर दिया मना तो लड़के ने अपने दोस्तों और एक महिला की मदद से उसे कर लिया अगवा और १७ दिन तक करता रहा बलात्कार। लड़का, उसके दोस्त और वो महिला अब पुलिस की गिरफ्त में।

सूरत, गुजरात। यहां भी जाननेवाले ही बन गए भक्षक। १७ साल की नाबालिग स्कूली छात्रा के साथ तीन दरिंदों ने किया कार में लगातार तीन घंटों तक सामूहिक बलात्कार। लड़की रोती रही, चीखती रही पर दया नहीं आई। लड़की को चुप रखने के लिए उसके बनाए कई एमएमएस। तीनों पुलिस की गिरफ्त में, मेडिकल जांच के दौरान लोगों ने की थी उनकी जमकर पिटाई।

मुंबई। १९ साल की छात्रा के साथ उसके ७ जाननेवालों ने किया गैंगरेप। सभी आरोपी लगभग १९-२० साल के। सातों ने किया दरिंदों की तरह कई घंटों तक रेप और फिर बनाया उसका एमएमएस ताकि लड़की अपनी जुबान ना खोले। तीन आरोपी गिरफ्त में चार अब भी फरार।

फिर मुंबई। २ जुलाई तक अभिनेता शाइनी आहूजा जेल में और उसके बाद गारंटी के साथ वो जमानत पर रिहा भी हो जाएंगे। फिर शुरू होगी शाइनी की वो ही ‘पेज 3’ वाली जिंदगी। आरोप है कि शाइनी ने अपनी नौकरानी के साथ मुंह काला किया और मुंह काले होने के सबूत भी पुलिस को मिल गए हैं। पर पत्नी ने एक नया शगूफा छोड़ दिया है कि आदमी नहीं औरत भी बलात्कार करती है, सच तो है पर इस केस में कितना सच, कोई कह नहीं सकता।

दिल्ली। यहां भी एक नौकरानी ने अपने मालिक पर बलात्कार का इल्जाम लगाया। मेडिकल जांच में रेप की पुष्टि होने के बाद मेडिकल व्यवसायी को गिरफ्तार कर लिया गया है। आरोपी का कहना है कि नौकरानी एक गेंग के साथ मिलकर उसे ब्लैकमेल कर रही है।

कुलगाम, कश्मीर। अब एक शिक्षक की घिनौनी करतूत। अपनी ही साली के साथ उसने पहले रेप किया फिर मोबाइल से उसका एमएमएस बनाया और फिर लोगों में बेचा। इन सारी करतूत ने उसको पहुंचा दिया सलाखों के पीछे। वो परिवार आज अधर में खड़ा है एक तरफ उसकी बड़ी बेटी है जो अपने बच्चे के साथ खड़ी है और दूसरी तरफ छोटी बेटी अपने आंचल को हटाने के लिए इंसाफ मांग रही है।

दिल्ली। रक्षक ही बन गए भक्षक। एक महिला ने लगाया चार सिपाहियों और एक एसएचओ के खिलाफ रेप का आरोप। महिला के मुताबिक पहले महिला को मारा पीटा गया और फिर उसके साथ बलात्कार किया गया। पति सट्टा का काम करता था और उसे ढूंढती पुलिस आई थी और फिर महिला को थाने लेगई थी और फिर उसके साथ रेप हुआ। पर मेडिकल जांच में कुछ नहीं निकला और पति-पत्नी से पूछताछ में कई जगह विरोधाभास कमेंट सामने आए। वैसे जांच कमेटी बना दी गई है और दिल्ली पुलिस इस केस को अपनी नाक का प्रश्न बना चुकी है। अभी तक कोई गिरफ्तारी नहीं हुई है और लगता भी नहीं की होगी।


नोएडा/दिल्ली। चार महीने तक स्वेच्छा से महिला एक ब्लू लाइन बस मालिक के साथ रहती रही, इस आश्वासन में कि एक दिन वो शादी करेगा। पर एक दिन उस बस मालिक ने मना कर दिया और उस महिला को कैद करके उसके साथ बलात्कार करता रहा। बस मालिक पर केस दर्ज पर वो फरार। पति से अनबन के बाद वो महाराष्ट्र से अपने दो बच्चों के साथ भागकर दिल्ली आई थी तभी नौकरी की तलाश के बीच इस बस मालिक की प्रेमिका बन गई थी और साथ रहने लगी थी। पर उसे क्या पता था कि वो जहां शादी के सपने संजो रही है वो शख्स उसे रखैल बनाकर रख रहा था।

इंदिरापुरम/गाजियाबाद। दो लड़कों ने अपने पड़ोस में रहने वाली एक महिला के साथ रेप किया और फिर उसका एमएमएस बनाया और फिर उसे ८ महीने तक ब्लैकमेल करते रहे और खेलते रहे उसकी अस्मत के साथ।

रेप...रेप...रेप...हर जगह सिर्फ और सिर्फ ये ही आवाज सुनाई दे रही है। और ये आवाज़ कुछ ही दिन से आ रही है। क्या हो गया है इस समाज को। शर्मसार हूं इन घटनाओं से और आप भी होंगे और आपको होना भी चाहिए। जिस देश में हम नारी की पूजा करते हैं उसके लिए घर, घर से बाहर हर जगह अपने ही अपनों को छल रहे हैं। क्या करे वो नारी वो तो दूसरों पर भी विश्वास नहीं कर सकती और अपने उसे मजबूर कर रहे हैं कि वो उन पर विश्वास ना करे। क्या करे वो लड़की जो कि अपने ही घर में सुरक्षित नहीं है। शिक्षक ही ऐसे कर्म कर रहा है कि वो क्या शिक्षा देगा। रक्षक ही बना हुआ है भक्षक। अनपढ़ क्या, पढ़े लिखों ने भी उनको अपना शिकार बनाया है। क्या करे वो लड़की जो बाहर भी नहीं निकल सकती, घर के पड़ोस में भी सुरक्षित नहीं, अपने दोस्तों, अपने प्रेमी, घर में भी किसी पर विश्वास नहीं कर सकती। क्या सिर्फ लुटना लिखा है इनकी किस्मत में?

आपका अपना
नीतीश राज

Thursday, December 25, 2008

कब तक डरपोक बने रहेंगे हम? हर दिन के मरने से तो बेहतर है कि एक बार ही मर जाएं।

जब-जब भारत पर आतंकी हमला हुआ है तब-तब भारत की सरकार ने बड़ा ही कड़ा रुख इख्तियार किया है। हर बार पाकिस्तान की तरफ ही निशाना रहा। भारत की तरफ से सबूत भी पाक सरकार को दिए गए। हर बार भारत के कड़े रुख के बाद पाक का रवैया क्या रहा? क्या पाकिस्तान ने कभी भी इस बात को स्वीकार किया कि वो आतंकवादी हमला पाकिस्तान की जमीन से किया गया। नहीं, भारत के हर कड़े रुख का जवाब पाकिस्तान ने और भी तीखे तेवरों में दिया। कोई भी कुछ कहता रहा, पर पाकिस्तान ने किसी की भी नहीं सुनी। भारत ने पूरे विश्व का समर्थन हासिल किया लेकिन पाकिस्तान का रवैया उतना ही सख्त रहा, उसने कभी नहीं माना कि आतंकियों को पाक जमीन मुहैया है।
भारत की संसद पर हमला हुआ, विमान अपहरण कांड और दिल्ली, बैंगलोर, राजस्थान, गुजरात, उत्तरप्रदेश, भारत के हर प्रदेश पर संकट के काले बादल अपना क़हर बरपाते रहे। भारत को सबूत के तौर पर कुछ आतंकवादी मिलते रहे लेकिन कभी भी पाकिस्तनी सरकार ने ये कबूल नहीं किया कि उनकी जमीन ही है दहशतगर्दों की पनाहगाह। पाक अधिकृत कश्मीर में तो आतंकवादियों के गढ़ के इतने पुख्ता सबूत मिले जिसे की दरकिनार नहीं किया जा सकता था पर पाकिस्तानी सरकार ने इसे कभी नहीं माना और आज भी वहां कई आतंकवादी संगठन अपना गढ़ बनाए बैठे हैं और उनकी मदद कर रहा है आईएसआई। जिसके पुख्ता सबूत बकौल भारत सरकार भारत के पास हैं और कुछ तो पाक और यूएन को भी दिए जा चुके हैं।
करगिल, क्या किसी को याद नहीं है, अभी हम नहीं भूले हैं, पाकिस्तान की सरकार पर करगिल करवाने का इल्जाम लगा। जब तक कि पाक सरकार पर काबिज नवाज शरीफ कुछ कर पाते तब तक उन्हें ही देश से ऱुखसत करवा दिया गया। आज भी नवाज शरीफ इस बात से इनकार नहीं करते कि करगिल पाकिस्तान पर काबिज समानान्तर सरकार की ही देन थी जिसे कि उस समय के जनरल परवेज मुशर्रफ चला रहे थे। वो दौर था जब कि भारत के राजनीतिक और आपसी संबंध पाकिस्तान के साथ काफी सौहार्दपूर्ण हो गए थे। लेकिन ठीक इसी दौर के बाद पाकिस्तान को एक ऐसा जनरल कम नेता मिला जो कि चाणक्य की तरह सोचता था। उसने कई मामलों में भारत के साथ ऐसी कूटनीति खेली कि भारत के चाणक्य कुछ कर नहीं सके। हमारे देश में आकर ही पाक सरकार का वो जनरल अपनी अधिकतर बातें मनवा के चला गया। आगरा वर्ता के असफल होने का ठीकरा भी भारतीय सरकार के ऊपर ही फोड़ दिया गया। जनरल परवेज मुशर्रफ ने यूएन तक में जाकर हमारे कई तथ्यों को दरकिनार कर दिया और साथ ही पीठ में छुरा भोंकने से भी वो बाज नहीं आया।
अब बात आती है कि घुसपैठ तो पहले भी भारत की लगी पाक सीमा से भारत की जमीन पर होती ही रही हैं। लेकिन इस बार मुंबई में फिदाइनों ने मासूम जनता पर क़हर बरपा दिया। इस हमले ने भारत की आर्थिक राजधानी के साथ-साथ पूरे देश को दहशत से भर दिया। २०० से ज्यादा लोग मारे गए उसमें २० से ज्यादा विदेशी भी थे। पूरे विश्व में इस हमले की निंदा हुई। लेकिन पहली बार किसी फिदाइन हमलावर को जिंदा पकड़ा जा सका। उस आतंकवादी अजमल आमिर कसाब ने ये कबूला कि वो पाकिस्तानी है। आतंकवादी के कबूलनामें के बाद इस समय की सरकार को बाहर से सहयोग देने वाले नवाज शरीफ ने भी ये मान लिया कि कसाब पाकिस्तानी है। पाक मीडिया की जुबानी पूरी दुनिया ने ये जाना कि खुद कसाब के पिता और उस गांव फरीदकोट के लोगों ने ये माना कि कसाब पाकिस्तानी है पर पाकिस्तान को अब भी सबूत की दरकार रही।
भारत एक तरफ डर-डर कर ये बात कहता रहा कि भारत के सारे विकल्प खुले हुए हैं। भारत के विदेश मंत्री और पीएम ने कहा कि हम तो आतंकवाद को ख़त्म करने की बात कर रहे हैं। पाकिस्तान अपनी जमीन से जितनी जल्दी हो आतंकवादियों को पनाह देना बंद करे। दूसरी तरफ पीएम ने साफ शब्दों में कहा कि भारत का मुद्दा युद्ध नहीं, आतंकवाद है। पर दूसरी तरफ पाकिस्तान डंके की चोट पर कार्रवाई करने से मना कर रहा है। पाकिस्तान के आर्मी चीफ परवेज कयानी ने तो यहां तक साफ कह दिया कि
‘पाकिस्तान की आर्मी पूरी तरह तैयार है और यदि भारत कोई भी कदम उठाता है तो भारत के हर कदम का जवाब एक मिनट के अंदर दे दिया जाएगा।’
जहां भारत सूझबूझ का परिचय दे रहा है वहीं पाकिस्तान अकड़ और अड़ियल रवैया अपना रहा है। पाकिस्तान ने अपने रैंजर्स राजस्थान और गुजरात सीमा से हटा कर वहां पर फौज की तैनाती कर रहा है। जबकि पाकिस्तान के इस कदम को भारत रुटीन कार्रवाई मान कर अभी अपनी सेना की तैनाती पर विचार कर रहा है। जबकि भारत की तरफ से एहतियातन कदम उठाए जा रहे हैं। सेना को अलर्ट पर रख दिया गया है लेकिन सीमा पर अभी भी बीएसएफ ही है।
मुंबई हमारे देश का हिस्सा है जब मुंबई पर हमला हुआ तो बैकफुट पर भारत क्यों है। कब तक हम ये सोचते रहेंगे कि अमेरिका हस्ताक्षेप करेगा तभी कोई फैसला होगा। क्या जब सबूत हमारे पास हैं तो क्या हम कार्रवाई नहीं कर सकते। पाकिस्तान के ऊपर जब अमेरिका को शक हुआ था तो उनके घर में घुसकर अमेरिकी सेना ने कार्रवाई की थी। मुशर्रफ को पूरा सहयोग देना पड़ा था, पाक के जितने कठमुल्ला थे सब मियां मुशर्रफ के खिलाफ हो गए थे। लेकिन अमेरिका ही आकर जज की भूमिका क्यों निभाए। हम फैसले बाद में लेते हैं अब जब कि पाकिस्तान पूरे एक्शन में आ गया है तो सरकार भी अपनी सीमा पर सुरक्षा तैनात करना शुरू कर देगी। ये ही समय होता है जब कि भारत की सरजमीं पर आतंकवादी सबसे ज्यादा आते हैं उन बर्फीली चोटियों से जो कि भारत का मस्तक है।
मेरा भारत महान, हम आजाद हैं, मेरे देश की तरफ जो भी निगाह उठा कर देखेगा हम उनकी आंखें नोच लेंगे। असल मायने में हम बस कहते रहते हैं, डरपोक हैं हम, डरते हैं हम, हर दिन हम जीते हैं पर डरते हुए, कब कोई गोली हमें मौत के आगोश में डाल दे। मौत से भरी जिंदगी से हमें शिकवा नहीं पर एक दिन में ये फैसला नहीं कर सकते कि इस जिल्लत से भरी जिंदगी नहीं चाहिए। अरे आज हम खुश नहीं हैं कल हमारे बच्चे खुश नहीं रहेंगे परसों उनके बच्चे। क्या करना है इस बात का फैसला भी हम अपने अनुसार नहीं लेते। क्यों आखिर क्यों? हम दूसरों की तरफ नजरें गड़ाए बैठे रहते हैं कि या तो वो आकर फैसला कर दे या फिर जब तक दूसरा कोई हरकत नहीं करेगा तब तक हम कोई हल्ला नहीं बोलेंगे। और जब हल्ला बोलेंगे और पैर पर गिरकर माफी मांगने लगेगा तो फिर हमसे बड़ा दानवीर इस धरती पर कोई नहीं। १९७१ में यदि बांग्लादेश बना तो हमारे कारण लेकिन पाकिस्तानियों के घर में घुसकर उन्हें हमने औकात दिखाई थी। पर जंग जीतने के बाद भी भारत ने क्या किया। वो जो भारत और पाकिस्तान के बीच की जड़ थी उस को खत्म नहीं किया। हम जंग जीत चुके थे तब भी हमने पीओके वापस नहीं लिया। क्यों, क्यों नहीं लिया आज वहां पर आतंकवादियों ने हमारी ही जमीन पर आतंक के कैंप लगा रखे हैं। अरे, मुंबई मेरा अपना है, मेरे देश का हिस्सा है, करगिल हमारा है, उसपर किसी ने आंखें उठाई थी, तुमने आंखें तो नोच ली पर ये क्या साथ में उन आंखों को ठीक करने के लिए दवा दारू सब कुछ खुद मुहैया करा दिया। मैंने देखी थी लाशें, जब जवानों को ताबूत में से निकाला जाता था और पूरा गांव दहाड़ें मार मारकर रोता था उस सफेद पाउडर से लिपे बिना हरकत के जिस्म को।
भारत के साथ-साथ अमेरिका तक ने भी ये कह दिया कि पाकिस्तान अपनी जमीन से आतंकवादी वारदातें बंद करे। सख्त बात कोई भी देश नहीं कर रहा है। साथ ही विश्व ये चाहता है कि ये पड़ोसी देशों का आपसी मामला है और हो सके तो दोनों देश ही मिलकर इस मसले को सुलझाएं। सभी ये जानते हैं कि भारत और पाकिस्तान दोनों परमाणु सक्षम देश हैं और यदि लड़ाई हुई तो नुकसान विश्व का होगा। इसी का फायदा उठाकर पाकिस्तान ये गेम खेलता है, जब भी पाक पर आतंकियों को पनाह देने की बात आती है तब ही वो सीमा पर ऐसा माहौल बना देता है कि जिससे लगे कि तनावपूर्ण स्थति बन चुकी है। ये भारत को समझना होगा कि पाकिस्तान हर बार इसी गेम प्लान के अंतर्गत काम करता है। भारत अब तक बहुत संयम का परिचय दे चुका है लेकिन हमारे संयमपन को हमारी कायरता ना समझा जाए, हम बार-बार ये बात कह चुके हैं लेकिन हमने कभी भी ये दिखाया नहीं है। देश का हर बाशिंदा इस खौफ के साए से अपने आप को निकालना चाहता है। हमारा साथ हमारी सरकार के साथ है, हम एक जुबान में कहते हैं कि अब कहने का नहीं करने का वक्त आ गया है।

आपका अपना
नीतीश राज
“जब भी बोलो, सोच कर बोलो,
मुद्दतों सोचो, मुख्तसर बोलो”