सुना था कि लोग दीवाने होते हैं पर आज देखा कि दीवानगी क्या होती है। पहले तो मैं ये मानता था कि दीवाने सिर्फ और सिर्फ फिल्मी हस्तियों के ही होते हैं। धीरे–धीरे जानकारी हुई कि फिल्मी हस्तियों से कदम ताल कर रहे हैं क्रिकेटर। पर पहली बार दिखी दीवानगी किसी राजनेता के लिए। ये दीवानगी की बात है लोकप्रियता की नहीं जैसी कि साउथ में कई राजनेताओं की है।
हाल में ही सलमान खान अपनी फिल्म वीर के प्रमोशन के लिए कहीं पर भी जाते तो वहां पर उनके दीवाने ऐसे आते जैसे कि गुड के ऊपर मक्खियां। एक मॉल में गए तो वहां पर भगदड़ मच गई, एक मैराथन में गए तो लोग दौड़ना भूल कर सिर्फ और सिर्फ उनके पीछे हो लिए। प्रोग्राम तो हो ना सका पर हां ये प्रबंधकों को जरूर पता चल गया कि सलमान छोटे कद के अभिनेता नहीं हैं उनको बुलाना हो तो प्रबंध अच्छा खासा होना चाहिए।
बहरहाल, मैं जो बात कर रहा हूं वो लोकप्रियता से जरा हटकर है। राहुल गांधी। जी हां, राहुल गांधी पटना गए तो जो तस्वीरें टीवी पर देखीं तो मैं दंग रह गया। पटना में वूमेंस कॉलेज को चुना था राहुल ने। जिसमें कॉलेज के एक हॉल में उनसे कॉलेज की महज 400 लड़कियां ही मिल सकीं, बातचीत कर सकीं, सवाल-जवाब पूछ सकीं। बाकियों को बाहर ही इंतजार करना पड़ा। पर राहुल तो राहुल हैं।
राहुल ने हॉल की लड़कियों पर पता नहीं कहां से और क्या जादू फेरा कि वो उन्हें अपना आइडल मान बैठीं। वैसे भी, ये युवा नेता आज के युवाओं का आइडल तो बन ही चुका है। जिससे भी पूछा गया सबने राहुल की तारीफ में कसीदे पढ़ दिए। फिर राहुल कॉलेज के बाहर निकले तो लड़कियों का हुजूम राहुल को देखने के लिए दौड़ लगा बैठा। हर तरफ सिर्फ और सिर्फ लड़कियां दौड़ती ही नज़र आ रहीं थीं। पहले तो राहुल ने गाड़ी में बैठे- बैठे ही हाथ निकाला और लहरा दिया पीछे आती लड़कियां राहुल-राहुल चिल्लाने लगीं। अब तो राहुल से भी नहीं रुका गया। राहुल ने गाड़ी रुक वाई और दरवाजा खोलकर खड़े होगए और हाथ हिलाने लगे। फिर तो हजारों चीखने-चिल्लाने की आवाज़ चारों तरफ से आने लगीं। कुछ तो लड़कियां उनकी गाड़ी के नजदीक तक आ पहुंची। फिर क्या था राहुल ने वो काम कर दिया जो उनहें नहीं करना चाहिए था।
राहुल ने अपना सुरक्षा घेरा तोड़ा और लगे लड़कियों से हाथ मिलानें। ऐसे ही सुरक्षा घेरा तोड़ने की कीमत देश चुका चुका है और खुद राहुल भी चुका चुके हैं। फिर भी राहुल ने ऐसा ही किया। शायद जोश में राहुल होश खो बैठे। राहुल की ये आदत कहीं उन्हें ले ना डूबे।
पर पता नहीं समझ नहीं आता कि राहुल नाम के पीछे ऐसा क्या है कि जो लोग इस नाम के दीवाने हो जाते हैं। मेरे ऑफिस में भी दो राहुल हैं उन पर भी सब मरते हैं। पर जो भी है शायद राहुल लोकप्रिय कम और उनके दीवाने ज्यादा हैं।
आपका अपना
नीतीश राज
मैं भी नाम बदल कर राहुल कर लूँ तो देखो, शायद सिक्का चल निकले, :)
ReplyDeleteसब मीडिया का फैलाया मायाजाल है.
ReplyDeleteसमीर जी, लोग तो सोचते हैं कि अपना नाम समीर रख लें या फिर राहुल अब उसमें से एक नाम तो आपका है ही।
ReplyDeleteऔर ये सब मीडिया का फैलाया मायाजाल नहीं है। राहुल के दीवाने हैं इसमें कोई शक नहीं होना चाहिए।
आप यह क्यों भूल रहे हैं कि
ReplyDeleteराहुल जवाहर जी का नाती और इन्दिरा का पड़नाती है!