(चे ग्वेरा)
सबसे ख़तरनाक होता है,
मुर्दा शांति से भर जाना
न होना तड़प का
सब सहन कर जाना
घर से निकलना काम पर
और काम से लौटकर
घर आना
सबसे खतरनाक होता है
हमारे सपनों का मर जाना।।
मुर्दा शांति से भर जाना
न होना तड़प का
सब सहन कर जाना
घर से निकलना काम पर
और काम से लौटकर
घर आना
सबसे खतरनाक होता है
हमारे सपनों का मर जाना।।
-अवतार सिंह पाश
bahut badhiya abhivyakti. dhanyawad.
ReplyDeleteआभार पाश की इस रचना को पढ़वाने का.
ReplyDeleteचलिए आप ने इस को पढ़ा, ये कविता मुझे बचपन से ही प्रिय है, ये तो उस कविता का अंश मात्र है। शायद कभी मौका लगा तो जरूर से पूरी आप लोगों के सामने पेश करूंगा।
ReplyDeletecomplete poetry of paash is available at my blog http://paash.wordpress.com
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