"MY DREAMS" मेरे सपने मेरे अपने हैं, इनका कोई मोल है या नहीं, नहीं जानता, लेकिन इनकी अहमियत को सलाम करने वाले हर दिल में मेरी ही सांस बसती है..मेरे सपनों को समझने वाले वो, मेरे अपने हैं..वो सपने भी तो, मेरे अपने ही हैं...
Thursday, July 17, 2008
कभी तो, एक बार
देर से हवा का एक झौंका
मुझे बार-बार सहलाता,
झकझोरता हुआ चला जाता है।
कैसे समझाऊं उस झौंके को
कैसे बताऊं उसे मन की कशिश
कि आज, आना है तुमको।
वो आएगी उस झौंके की तरह
जिस ने सुबह से मुझे
कर रखा है परेशान।
यूं...कब से बैठा हुआ हूं,
पड़ा उस झौंके के पशोपेश में
जो मुझे कभी,
ठंडक पहुंचा जाता है,
तो तभी, याद दिला जाता है,
कभी जब, धूप में खड़े होकर मैंने
इंतजार किया था, उस झौंके का।
रोज़...इस जगह पे खड़े होकर
सोचा है उस बेनाम प्यार को।
जो आएगा कभी तो
मेहंदी की तरह...मेरे हाथों पर,
मेरे जिस्म पर,
रच जाएगा, बस जाएगा, बस...
कभी तो, एक बार।।
आपका अपना,
नीतीश राज
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“जब भी बोलो, सोच कर बोलो,
मुद्दतों सोचो, मुख्तसर बोलो”
नीतीश जी बहुत खूब!!
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