आज मनमोहन सरकार की परीक्षा की घड़ी है। सरकार बचेगी या चली जाएगी? ये सवाल हर एक के दिल में उमड़ रहे हैं। लेकिन फैसले की घड़ी आगई है। आज शाम से बहस शुरू हो जाएगी और फिर वोटिंग और फिर परिणाम भी आ जाएंगे। हमें पता चल चुका होगा कि किसके चेहरे पर हंसी है और किसके चेहरे पर ग़म। लेफ्ट-राइट या यूपीए। सोमनाथ और दागी सांसदों का वोट काफी अहम होगा। यदि सोमनाथ दादा स्पीकर रहते हुए सरकार के विपक्ष में वोट डाल कर सरकार को गिरा देते हैं तो फिर वो इस दुनिया के पहले ऐसे स्पीकर हो जाएंगे जिस के वोट से सरकार गिरेगी। लेकिन सोमनाथ दादा पहले ही मन बना चुके हैं कि वो सरकार के साथ जाएंगे। संसद में कुछ ऐसे सांसद भी होंगे कि जिनके चेहरे पर हवाईयां उड़ रही होंगी क्योंकि वो जब संसद में दाखिल हुए होंगे तो इस विश्वास के साथ कि हमने इतनों को तो खरीद ही लिया है, तो जीत हमारी तय है। लेकिन तब तक खेल हो चुका होगा। ये हाल किसी भी पक्ष का हो सकता है। क्योंकि कई सांसद मान चुके हैं कि खरीद-फरोख्त का सिलसिला चला है। ये हम भी जानते हैं कि यह पहला अवसर नहीं है कि जब सांसदों पर ये इल्जाम लगे हैं। राष्ट्रपति चाहतीं तो शायद इस खरीद-फरोख्त के धंधे को कम समय के लिए कर सकतीं थीं, यूपीए को बहुमत साबित करने के लिए कम वक्त देकर। बहरहाल, ये तो हम सभी जानते हैं कि यदि मनमोहन एंड ग्रुप जादुई आंकड़े को पा जाते हैं तो सरकार बच जाएगी। लेकिन यदि जादुई आंकड़ा या यूं कहें कि बहुमत साबित नहीं कर पाते हैं तो क्या होगा। फिर राष्ट्रपति क्या फैसला करंगे।
1) राष्ट्रपति प्रधानमंत्री को इस्तीफा देने के लिए कह सकते है। यदि पीएम मना करते हैं तो सरकार को बर्खास्त (हटाना) कर सकते हैं। लेकिन आज तक ऐसा हुआ नहीं है कि किसी भी पीएम ने विश्वास मत नहीं मिलने के बाद इस्तीफा नहीं दिया हो। 2) थर्ड फ्रेंट सरकार बनाने के लिए आग आ सकती है और बाहर से बीजेपी समर्थन दे सकती है। लेकिन मुलायम का धड़े के बाहर होने के कारण मायावती अंदर तो आगईं है लेकिन बीजेपी किसी भी कीमत में माया का समर्थन नहीं कर सकती। भई, दूध का जला छाज को भी फूंक-फूंक कर पीता है। 3) बीजेपी सरकार बनाने के लिए आगे आ सकती है और यूएनपीए बाहर से समर्थन दे। लेकिन देखने की बात ये होगी कि क्या लेफ्ट बीजेपी को सरकार गिराने के साथ-साथ सरकार बनाने के लिए भी
समर्थन दे सकती है। वैसे बीजेपी पहले ही कह चुकी है कि वो चुनाव चाहते हैं। 4) कोई भी सरकार बनाने का दावा नहीं करे और मनमोहन सिंह अगले चुनाव तक केयर टेकर प्रधानमंत्री बन रहेंगे। पीएम की सारी ताकत उनके पास रहेंगी। लेकिन पीएम किसी भी महत्वपूर्ण पॉलिसी से जुड़े निर्णय नहीं ले सकते।अभी तो कोई भी ये नहीं जानता कि क्या होगा लेकिन संसद अभी गर्म है। संसद में पार्टियां एक दूसरे पर इल्जाम लगा रही हैं सांसदों के खरीद-फरोख्त का। कौन कितने में बिका, कौन कितने में खरीदा गया आज संसद में ये ही सब सवाल रहेंगे और कल अखबारों में।
आपका अपना
नीतीश राज
चलिये, अब तो बच गई.
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