सूरत की सूरत को बिगाड़ने का पूरा इंतजाम आतंकवादियों ने कर रखा था। एक दिन में 18 जिंदा बम बरामद हुए, हर समय दिल में डर बना रहा कि कहीं इनमें से कोई भी फट गया तो पता नहीं कितनों की जान जाएगी। सूरत में तो बम मिल रहे हैं वहां की हवा में दहशत है साथ ही साथ ख़ौफ़ तो हमारे दिल में घर करता जा रहा है। इतनी तादाद में जिंदा बम मिलने से लगता तो ये ही है कि अहमदाबाद के बाद सूरत ही था निशाने पर। सूरत में बारूद हर जगह बिछा हुआ था। ऐसा भी नहीं कि अभी और जिंदा बम नहीं हो सकते, हो सकते हैं पुलिस इस से इनकार नहीं कर रही। साफ जाहिर है, कि अभी संकट टला नहीं, बारूद के ढेर पर ही बैठा है सूरत। एक दिन पहले ही दो कारों से विस्फोटक बरामद हुए। उन कारों में भी जिंदा बम मिले। जगह-जगह पर बम मिल रहे हैं। गली में, कूड़ें में, टिफिन में, यहां तक की पेड़ पर भी। पुलिस ने लोगों को आगाह भी किया है कि संदिग्ध वस्तु की सूचना तुरंत पुलिस को करें और सतर्क रहें। वहीं लोगों का साथ पुलिस और प्रशासन के साथ है।
यहां पर मन में सवाल सिर्फ ये उठता है कि किस कारण से यहां पर इतने विस्फोटक मिल रहे हैं। क्या सूरत के साथ-साथ पूरे गुजरात को उड़ाने का प्रोग्राम था इन दहश्तगर्दों का। लेकिन अब आए दिन कई थ्यौरी आ रही हैं कि इसके बाद महानगर जैसे दिल्ली-मुंबई या फिर मध्यप्रदेश निशाने पर थे। ये कयास तो लगते रहेंगे।
दूसरी तरफ, ख्याल ये भी आता है कि अहमदाबाद में सीरियल ब्लास्ट के बाद पुलिस और आम लोगों में सतर्कता काफी बढ़ी। इस वजह से अपने मंसूबों में ये अमन के दुश्मन कामयाब नहीं हो पा रहे हों और वो इन बमों का इस्तेमाल सिर्फ दहशत फैलाने के लिए कर रहे हों। आतंकवादियों को भी डर होगा कि गुजरात के दिल पर उन्होंने हमला किया है यदि उनमें से कोई विभीषण पुलिस को ख़बर कर दे या कैसे भी पुलिस को इन के ठिकाने के बारे में पता चल जाए और पुलिस इन तक पहुंच जाए तो, बारूद, बम, विस्फोटकों का जखीरा जो उनके पास है जिससे वो हमारे देश में क़हर बरपाना चाहते हैं वो पुलिस के हाथ लग जाएगा और इनका भंडाफोड़ हो जाएगा। इसलिए ये इन बमों को सिर्फ ठिकाने लगा रहे हैं, अपने पास से निकाल रहे हैं।
इतनी मात्रा में बम और विस्फोटकों के मिलने से तो ये ही लगता है कि पूरे देश पर आतंकवाद के काले बादल मंडर रहे हैं। कब बरस पड़ें कुछ पता नहीं। सूरत के वराछा में एक किलोमीटर के फासले पर ही 7 बम बरामद हुए हैं। वराछा से ही पहले विस्फोटकों से भरी एक लाल रंग की वैगन आर मिल चुकी है और अभी जिंदा बमों के मिलने का सिलसिला थमा नहीं है।
सलाम करना चाहता हूं अपनी जान पर खेलकर उन जिंदा बमों को निष्क्रिय करने वालों को। माना उन को ट्रैनिंग दी जाती है पर क्या भाग्य हमेशा साथ देता है। फिल्मों में जब कभी भी ऐसा दृश्य आता है तो सब देखने वालों की उंगली अनायास ही मुंह की तरफ बढ़ जाती है और जैसे ही पर्दे पर कलाकार अपनी कला का नमूना दिखाते हुए उस बम को नाकाम करने की कोशिश में जुटता है, देखने वाले अपने नाखूनों को कुतरने लग जाते हैं। लेकिन वो पर्दे पर चलता रहता है, रील लाइफ में। जिसमें हमें-आपको सब को पता रहता है कि हीरो को कुछ नहीं होगा। लेकिन ये रील नहीं रियल लाइफ हैं। यहां पर रीटेक नहीं होते। अब आप सोचिए, उस शख्स के जिगरे के बारे में जो उस ओर अपने कदम बढ़ाता है जहां पर शायद उसके शरीर के चिथड़े तक उड़ सकते हैं। सुरक्षा कवच पहनने के बाद भी उसके शरीर के कई अंग-हिस्से हैं जो कि खराब तक हो सकते हैं। लेकिन जिस तरह से राकेश यादव और संदीप ने अपने काम को अंजाम दिया है वो काबिलेतारीफ है।
मैं साथ ही सलाम करना चाहता हूं वहां की जनता को जो संयम और सूझबूझ का परिचय दे रही है। इस कठिन समय में वो अपना हौसला बनाए हुए है और देश का भी हौसला बढ़ा रही है। विश्वास है ये कि ये काले बादल जल्द ही छट जाएंगे और हवा में आतंक का जहर नहीं घुला हुआ होगा। भगवान, अब और नहीं, और बम नहीं मिलें....
बस, दुआ है ऊपर वाले से.....
इतनी शक्ति हमें देना दाता, मन का विश्वास कमजोर हो ना....,
हम चलें नेक रस्ते पे हमसे, भूल कर भी कोई भूल हो ना.....।
(एक तरफ तो लोग अपने हौसले का परिचय दे रहे हैं और दूसरी तरफ सुषमा स्वराज के बयान के बाद श्रीप्रकाश जायसवाल का बयान आया। बीजेपी के वार का पलटवार करते हुए श्रीप्रकाश जायसवाल ने कहा, कि "ये राज्य सरकार के बीते दिनों का किया धरा है जिसके कारण उस राज्य सरकार को ये दिन देखना पड़ रहा है, जैसा बोओगे वैसा काटोगे"। क्या ये सही वक्त है ऐसे घटिया वक्तव्य देने का। पलटवार की इतनी भी जल्दी क्या, कि आप इस समय को बीत जाने देना भी नहीं चाहते। यदि इन्हीं वक्तव्यों के कारण गुजरात में सांप्रदायिक दंगे फैल गए तो उसके लिए जिम्मेदार कौन होगा। तब तो ये पार्टियां खूब रोटी सेकेंगी उन जलते हुए आशियानों पर। क्यों ये नेता चुप नहीं रह सकते। मत करो बयानबाजी, कुछ तो शर्म करो।डायन भी सात घर छोड़ देती है पर ये तो...।बेशर्म हैं।)
आपका अपना
नीतीश राज
हम भी आपके साथ प्रार्थना में शामिल हैं.
ReplyDeleteगुजरात की जनता संयम और सूझबूझ का परिचय दे रही है, कठिन समय में अपना हौसला बनाए हुए है और देश का भी हौसला बढ़ा रही है. पर क्या देश और राजनीतिबाज उनका हौसला बढ़ा रहे हैं? सुषमा स्वराज को संयम बरतना चाहिए था, पर जैसवाल तो ऐसे बात कर रहा है जैसे आतंकवादियों का प्रतिनिधि हो. कब यह घटिया कांग्रेसी भारतीय मुसलमानों और आतंकवादियों में फर्क करना सीखेंगे?
ReplyDeleteईश्वर सद्बुद्धि और सहने की शक्ति दे यही कह सकते हैं
ReplyDeleteहम भी आपके साथ प्रार्थना में शामिल हैं.
ReplyDeleteआप सब प्रार्थना कर रहे हैं, धन्यवाद, लेकिन अब तक आज फिर दो बम बरामद हो चुके है।
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