Sunday, June 29, 2008

हाय रे! हिंदी

हिंदुस्तान, मेरा देश, जहां पर सबसे ज्यादा हिंदी ही बोली जाती है। ये मेरी मातृभाषा और मेरे देश की राष्ट्रभाषा भी हिंदी ही है। माना कि व्यवसायिक जगत में इंग्लिश की अहमियत भी कुछ कम नहीं है। लेकिन ये क्या यदि कोई छात्र हिंदी माध्यम से पढ़ाई करता है तो क्या उसको कॉलेज में सिर्फ इसी आधार पर प्रवेश नहीं दिया जाएगा। जबकि वो टॉपर हो। अरे, यदि वो अच्छे नंबरों से पास हुआ है तो क्या, आप उसको प्रवेश के नाम पर टालते जाएंगे, क्योंकि उसका माध्यम हिंदी है। क्यों, आखिर ऐसा क्यों? हम अपने ही देश में अपनी राष्ट्रभाषा में पढ़ाई करने पर, अपने भविष्य के साथ खिलवाड़ होते देखते रहें। क्यों हम हिंदी को दरकिनार करते जा रहे हैं। माना दुनिया में इंग्लिश युनिवर्सल भाषा बन गई है तो क्या हिंदुस्तान में हम हिंदी को तबज्जो देना छोड़ दें। सरकार हिंदी को बढ़ावा देने के लिए इतना प्रयत्न कर रही है कि प्रयत्न नाम के नाम पर दिखाई नहीं दे रहे, सिर्फ कुछ जगहों को छोड़कर। सरकार गाहे-बगाहे ही कहती रही है कि ऑफिसों में सारा काम हिंदी में हो लेकिन इस बात से हम लोग भी वाकिफ हैं कि कितनी जगह ये लागू है।
कई संस्थाओं में तो ये भी है कि यदि आपने हिंदी में ड्राफ्ट भेजा तो फिर आप अपने काम भूल जाइए। वैसे, भारत छोड़ कर यदि दुनिया की बात करूं तो दस सबसे ज्यादा बोली जाने वाली भाषा में मेन्डरीन(चीन) पहले, इंग्लिश दूसरे, हिंदुस्तानी तीसरे नंबर पर है। लगभग 10 मिलियन लोग हिंदुस्तानी से ज्यादा इंग्लिश बोलते हैं।
ये वाक्या दिल्ली का है जहां उस छात्र को खालसा कॉलेज में प्रबंधन ने प्रवेश देने में लटकाए रखा। जब छात्र ने पिता के साथ मिलकर कोशिश की, कुछ सवालों का बंडल प्रबंधन के सर पर मारा, और बात मीडिया तक पहुंची तो यकायक प्रबंधन जागा। अब जाकर कॉलेज प्रबंधन ने ये बात मानी कि भारत में हिंदी नहीं पढ़ी जाएगी तो कहां? लेकिन यदि कोई जुझारु छात्र नहीं होता तो अरमानों के साथ-साथ फिर हिंदी का क़त्ल हो गया होता।
आपका अपना
नीतीश राज

3 comments:

  1. aapne bilkul sahi likha hai. me sahamat hu aapse.
    aap apna word verification hata le taki humko tipani dene me aasani ho.

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  2. आपने सही मुद्दा छेड़ा है मगर एक मूल गलती है। हिंदुस्तानी (हिंदी) भारत की मातृभाषा नहीं राष्ट्रभाषा है। सनद रहे कि पूरा दक्षिण है जिसकी मातृभाषा हिंदी नहीं है और न ही वह भारोपीय मूल की भाषा बोलता है। मगर यह तथ्य सही है कि हिंदुस्तानी दुनिया की सात सबसे ज़्यादा बोली जाने वाली भाषाओं में शामिल है।
    शुभम।

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  3. हिन्दी ब्लॉगजगत में आपका स्वागत है. नियमित लेखन के लिए शुभकामनाऐं.

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