Tuesday, July 1, 2008

आरुषि केस-अब भी कई पेंच

आरुषि हत्याकांड का सच सामने आ भी पाएगा, ये सवाल सब के जहन में घूम रहा है। इस केस ने पहले नोएडा पुलिस की भद पीटी और अब हर दिन सीबीआई की साख दांव पर लगी रहती है। सीबीआई नोएडा पुलिस की तरह काम नहीं कर रही, वो काम दिमाग खोलकर कर रही है। यूपी पुलिस ने तो आंखें, दिमाग, अनुभव सब को बंद कर काल कोठरी में डाल दिया था। सीबीआई एक भी पक्ष को दरकिनार नहीं कर रही और आगे बढ़ती जा रही है। लेकिन सीबीआई के पास भी वो ही पुराने सवाल मुंह खोले खड़े हुए हैं। क्या था क़त्ल का मकसद? हेमराज को किसने मारा? किस से की गई हत्या? कहां है हथियार? कहां है मोबाइल? किसने किया आरुषि का मोबाइल बंद? किसने तोड़ा या गायब किया मोबाइल? कैमरे से फोटों क्यों और किसने की डिलिट? जवाब, अभी अधर में। कहीं इनका हाल भी ऐसा ही ना हो, जैसे कि नोएडा पुलिस का। एक दिन पहले तक एक आला अफसर मीडिया के सामने आकर कहता है कि यदि सुराग आपके पास हों तो हमें भी बताए। और अगले दो दिन में दूसरा अधिकारी साल की सबसे बड़ी मर्डर मिस्ट्री को सुलझाने का दावा करता है। केस बताते हुए वो आरुषि की जगह पर श्रुति का नाम बार-बार बोल रहे थे। लेकिन सीबीआई से किसी को भी इस तरह की गुगली की उम्मीद नहीं है।लेकिन सीबीआई कृष्णा पर ‘ब्लाइंड फेथ’ क्यों कर रही है। क्या कृष्णा इंट्रोगेशन में सच ही बता रहा है? सीबीआई कृष्णा को आरोपी मान चुकी है और पूछताछ कर रही है। जैसे कृष्णा हांक रहा है वैसे सीबीआई चलती जा रही है। अभी तक सीबीआई हत्या में शामिल हथियार और मकसद को तक नहीं जान पाई है। 15 मई की रात को एल 32 में क्या हुआ, क़त्ल कैसे हुआ, किसने किया, कुछ भी तो साफ नहीं कर पा रही है सीबीआई?डेढ़ महीने से वो राज, राज ही बना हुआ है। एक महीने से सीबीआई इस केस की जांच पड़ताल कर रही है और 2 जून से कृष्णा भी उनके कब्जे में है लेकिन नतीजा, अभी तक सिर्फ कई थ्योरी ही हैं। वहीं दूसरी तरफ, डॉ राजेश तलवार को भी अपने कब्जे में सीबीआई ने रखा हुआ है। पूछताछ के मामले में डासना जेल का रुख अब वो नहीं कर रही है। लेकिन सीबीआई का मानना है की अभी भी शक की सुईं सबसे ज्यादा डॉ तलवार पर ही अटकी हुई है। कृष्णा जो भी जवाब दे रहा है वो भी डॉ तलवार को कठघरे में खड़े करने के लिए प्रर्याप्त हैं। और बात भी सच है, उस रात डॉ तलवार ने क्या किया और साथ ही सुबह क्या-क्या हुआ ये बातें वो ठीक-ठीक नहीं बता पाए। फिर, अपनी इकलौती बेटी के क़त्ल का शक जिसपर था उसकी लाश मिलने पर प्रतिक्रिया भी हैरान कर देने वाली थी। सीबीआई ने डॉ तलवार की अपने दोस्त से कहीं बात को सबूत बना कर राजेश तलवार की न्यायिक हिरासत बढ़वाई है। वहीं नूपुर तलवार कह रहीं है कि वो सहयोग पूरा कर रहीं है। हां, अभी तक सही बात जो इसमें लग रही है वो ये कि जो दुर्रानी दंपत्ति के चरित्र पर कीचड़ उछल रहा था वो शर्मनाक बात अब नहीं हो रही है, इससे सभी को काफी सुकुन है। अब सीबीआई एक नई थ्योरी पर काम कर रही है। ये थ्योरी नौकरों पर आधारित है। हेमराज, कृष्णा, राजकुमार और विकास मंडल इन चारों ने मिलकर किया है क़त्ल? लेकिन इस पर भी आने वाले दिनों में कई सवाल उठ खड़े होंगे। जैसे कि, यदि कृष्णा की बात मानें, तो क्या उस क़ातिल रात, राजकुमार ने आरुषि से जबरदस्ती की थी? और यदि की थी तो माता-पिता तक चीखने-चिल्लाने की कोई भी आवाज़ क्यों नहीं पहुंच गई। रात में दो आदमी की आहट ही काफी है किसी की नींद में दखल डालने के लिए। तो क्या तलवार परिवार को उस रात खाने में नशा दिया गया था? लेकिन आरुषि की रिपोर्ट में साफ हो चुका है कि उसके शरीर में किसी भी प्रकार का नशा नहीं था। तो क्या सिर्फ तलवार दंपत्ति को ही नशा दिया गया था? तो क्या वजह है कि दूसरे कमरे में इतना बड़ा हादसा हो रहा हो और पता भी नहीं चले। अभी हाल ही में, एक महिला का पति, रात के समय पंखे से लटककर फांसी लगाने जा रहा था लेकिन आहट से ही पत्नी की आंख खुल गई और उसने अपने पति को बचा लिया। तो ये नींद कैसी थी?सीबीआई के पास हर तरह की, नई से नई तकनीक है। इतने वक्त में भी यदि वो किसी ठोस नतीजे पर नहीं पहुंची हैं तो इसके पीछे शुरुआती दौर में सबूतों के साथ छेड़छाड़ भी मानी जा सकती है। सीबीआई डॉ तलवार, नूपुर तलवार, कृष्णा, राजकुमार सभी के कई टेस्ट भी करवा चुकी है। पॉलीग्राफी टेस्ट, नारको टेस्ट, साइको टेस्ट के बाद भी अभी तक दाल ठीक से गल नहीं पाई है, काफी कच्ची है। सीबीआई की इस केस रुपी दाल के गलने का, इंतजार है ।

आपका अपना,
नीतीश राज

2 comments:

  1. पेंच ही पेंच हैं अभी.

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  2. ये एक केस ऐसा है जो कि पेंचों का पिटारा है।

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“जब भी बोलो, सोच कर बोलो,
मुद्दतों सोचो, मुख्तसर बोलो”