Friday, January 27, 2023

चलो फिर साथ चलें...

 बहुत वक्त से सोच रहा था कि लिखने का क्रम फिर से शुरू करूं। तो लगभग दस साल के बाद फिर से ब्लॉग की दुनिया में कदम रख रहा हूं। वैसे तो बहुत से माध्यम हो चले हैं तब से अब तक अपनी बात को रखने के लिए पर ब्लॉग का अपना ही एक अनुभव है। जब लिखा करता था तो बहुत से लोगों का साथ मिला था। कुछ दूर तक चले और कुछ कभी कभार मिल जाते। कुछ साथी याद करके चुटकी लेते "क्यों, दवात में स्याही नहीं बची, यार लिखा करो।"

तो चलिए, फिर इस सफर पर निकल पड़ते हैं। बस आप सब का साथ और मेरे प्रभु का आशीर्वाद बना रहे।

2 comments:

  1. अगर आपके पास कला है कुछ करने की तो उसे दबने नही देना चाहिए बल्कि निखारना चाहिए।
    Keep it up 👍🏻

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  2. बहुत-बहुत धन्यवाद 🙏

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पोस्ट पर आप अपनी राय रख सकते हैं बसर्ते कि उसकी भाषा से किसी को दिक्कत ना हो। आपकी राय अनमोल है, उन शब्दों की तरह जिनका कोईं भी मोल नहीं।

“जब भी बोलो, सोच कर बोलो,
मुद्दतों सोचो, मुख्तसर बोलो”