Thursday, December 25, 2008

कब तक डरपोक बने रहेंगे हम? हर दिन के मरने से तो बेहतर है कि एक बार ही मर जाएं।

जब-जब भारत पर आतंकी हमला हुआ है तब-तब भारत की सरकार ने बड़ा ही कड़ा रुख इख्तियार किया है। हर बार पाकिस्तान की तरफ ही निशाना रहा। भारत की तरफ से सबूत भी पाक सरकार को दिए गए। हर बार भारत के कड़े रुख के बाद पाक का रवैया क्या रहा? क्या पाकिस्तान ने कभी भी इस बात को स्वीकार किया कि वो आतंकवादी हमला पाकिस्तान की जमीन से किया गया। नहीं, भारत के हर कड़े रुख का जवाब पाकिस्तान ने और भी तीखे तेवरों में दिया। कोई भी कुछ कहता रहा, पर पाकिस्तान ने किसी की भी नहीं सुनी। भारत ने पूरे विश्व का समर्थन हासिल किया लेकिन पाकिस्तान का रवैया उतना ही सख्त रहा, उसने कभी नहीं माना कि आतंकियों को पाक जमीन मुहैया है।
भारत की संसद पर हमला हुआ, विमान अपहरण कांड और दिल्ली, बैंगलोर, राजस्थान, गुजरात, उत्तरप्रदेश, भारत के हर प्रदेश पर संकट के काले बादल अपना क़हर बरपाते रहे। भारत को सबूत के तौर पर कुछ आतंकवादी मिलते रहे लेकिन कभी भी पाकिस्तनी सरकार ने ये कबूल नहीं किया कि उनकी जमीन ही है दहशतगर्दों की पनाहगाह। पाक अधिकृत कश्मीर में तो आतंकवादियों के गढ़ के इतने पुख्ता सबूत मिले जिसे की दरकिनार नहीं किया जा सकता था पर पाकिस्तानी सरकार ने इसे कभी नहीं माना और आज भी वहां कई आतंकवादी संगठन अपना गढ़ बनाए बैठे हैं और उनकी मदद कर रहा है आईएसआई। जिसके पुख्ता सबूत बकौल भारत सरकार भारत के पास हैं और कुछ तो पाक और यूएन को भी दिए जा चुके हैं।
करगिल, क्या किसी को याद नहीं है, अभी हम नहीं भूले हैं, पाकिस्तान की सरकार पर करगिल करवाने का इल्जाम लगा। जब तक कि पाक सरकार पर काबिज नवाज शरीफ कुछ कर पाते तब तक उन्हें ही देश से ऱुखसत करवा दिया गया। आज भी नवाज शरीफ इस बात से इनकार नहीं करते कि करगिल पाकिस्तान पर काबिज समानान्तर सरकार की ही देन थी जिसे कि उस समय के जनरल परवेज मुशर्रफ चला रहे थे। वो दौर था जब कि भारत के राजनीतिक और आपसी संबंध पाकिस्तान के साथ काफी सौहार्दपूर्ण हो गए थे। लेकिन ठीक इसी दौर के बाद पाकिस्तान को एक ऐसा जनरल कम नेता मिला जो कि चाणक्य की तरह सोचता था। उसने कई मामलों में भारत के साथ ऐसी कूटनीति खेली कि भारत के चाणक्य कुछ कर नहीं सके। हमारे देश में आकर ही पाक सरकार का वो जनरल अपनी अधिकतर बातें मनवा के चला गया। आगरा वर्ता के असफल होने का ठीकरा भी भारतीय सरकार के ऊपर ही फोड़ दिया गया। जनरल परवेज मुशर्रफ ने यूएन तक में जाकर हमारे कई तथ्यों को दरकिनार कर दिया और साथ ही पीठ में छुरा भोंकने से भी वो बाज नहीं आया।
अब बात आती है कि घुसपैठ तो पहले भी भारत की लगी पाक सीमा से भारत की जमीन पर होती ही रही हैं। लेकिन इस बार मुंबई में फिदाइनों ने मासूम जनता पर क़हर बरपा दिया। इस हमले ने भारत की आर्थिक राजधानी के साथ-साथ पूरे देश को दहशत से भर दिया। २०० से ज्यादा लोग मारे गए उसमें २० से ज्यादा विदेशी भी थे। पूरे विश्व में इस हमले की निंदा हुई। लेकिन पहली बार किसी फिदाइन हमलावर को जिंदा पकड़ा जा सका। उस आतंकवादी अजमल आमिर कसाब ने ये कबूला कि वो पाकिस्तानी है। आतंकवादी के कबूलनामें के बाद इस समय की सरकार को बाहर से सहयोग देने वाले नवाज शरीफ ने भी ये मान लिया कि कसाब पाकिस्तानी है। पाक मीडिया की जुबानी पूरी दुनिया ने ये जाना कि खुद कसाब के पिता और उस गांव फरीदकोट के लोगों ने ये माना कि कसाब पाकिस्तानी है पर पाकिस्तान को अब भी सबूत की दरकार रही।
भारत एक तरफ डर-डर कर ये बात कहता रहा कि भारत के सारे विकल्प खुले हुए हैं। भारत के विदेश मंत्री और पीएम ने कहा कि हम तो आतंकवाद को ख़त्म करने की बात कर रहे हैं। पाकिस्तान अपनी जमीन से जितनी जल्दी हो आतंकवादियों को पनाह देना बंद करे। दूसरी तरफ पीएम ने साफ शब्दों में कहा कि भारत का मुद्दा युद्ध नहीं, आतंकवाद है। पर दूसरी तरफ पाकिस्तान डंके की चोट पर कार्रवाई करने से मना कर रहा है। पाकिस्तान के आर्मी चीफ परवेज कयानी ने तो यहां तक साफ कह दिया कि
‘पाकिस्तान की आर्मी पूरी तरह तैयार है और यदि भारत कोई भी कदम उठाता है तो भारत के हर कदम का जवाब एक मिनट के अंदर दे दिया जाएगा।’
जहां भारत सूझबूझ का परिचय दे रहा है वहीं पाकिस्तान अकड़ और अड़ियल रवैया अपना रहा है। पाकिस्तान ने अपने रैंजर्स राजस्थान और गुजरात सीमा से हटा कर वहां पर फौज की तैनाती कर रहा है। जबकि पाकिस्तान के इस कदम को भारत रुटीन कार्रवाई मान कर अभी अपनी सेना की तैनाती पर विचार कर रहा है। जबकि भारत की तरफ से एहतियातन कदम उठाए जा रहे हैं। सेना को अलर्ट पर रख दिया गया है लेकिन सीमा पर अभी भी बीएसएफ ही है।
मुंबई हमारे देश का हिस्सा है जब मुंबई पर हमला हुआ तो बैकफुट पर भारत क्यों है। कब तक हम ये सोचते रहेंगे कि अमेरिका हस्ताक्षेप करेगा तभी कोई फैसला होगा। क्या जब सबूत हमारे पास हैं तो क्या हम कार्रवाई नहीं कर सकते। पाकिस्तान के ऊपर जब अमेरिका को शक हुआ था तो उनके घर में घुसकर अमेरिकी सेना ने कार्रवाई की थी। मुशर्रफ को पूरा सहयोग देना पड़ा था, पाक के जितने कठमुल्ला थे सब मियां मुशर्रफ के खिलाफ हो गए थे। लेकिन अमेरिका ही आकर जज की भूमिका क्यों निभाए। हम फैसले बाद में लेते हैं अब जब कि पाकिस्तान पूरे एक्शन में आ गया है तो सरकार भी अपनी सीमा पर सुरक्षा तैनात करना शुरू कर देगी। ये ही समय होता है जब कि भारत की सरजमीं पर आतंकवादी सबसे ज्यादा आते हैं उन बर्फीली चोटियों से जो कि भारत का मस्तक है।
मेरा भारत महान, हम आजाद हैं, मेरे देश की तरफ जो भी निगाह उठा कर देखेगा हम उनकी आंखें नोच लेंगे। असल मायने में हम बस कहते रहते हैं, डरपोक हैं हम, डरते हैं हम, हर दिन हम जीते हैं पर डरते हुए, कब कोई गोली हमें मौत के आगोश में डाल दे। मौत से भरी जिंदगी से हमें शिकवा नहीं पर एक दिन में ये फैसला नहीं कर सकते कि इस जिल्लत से भरी जिंदगी नहीं चाहिए। अरे आज हम खुश नहीं हैं कल हमारे बच्चे खुश नहीं रहेंगे परसों उनके बच्चे। क्या करना है इस बात का फैसला भी हम अपने अनुसार नहीं लेते। क्यों आखिर क्यों? हम दूसरों की तरफ नजरें गड़ाए बैठे रहते हैं कि या तो वो आकर फैसला कर दे या फिर जब तक दूसरा कोई हरकत नहीं करेगा तब तक हम कोई हल्ला नहीं बोलेंगे। और जब हल्ला बोलेंगे और पैर पर गिरकर माफी मांगने लगेगा तो फिर हमसे बड़ा दानवीर इस धरती पर कोई नहीं। १९७१ में यदि बांग्लादेश बना तो हमारे कारण लेकिन पाकिस्तानियों के घर में घुसकर उन्हें हमने औकात दिखाई थी। पर जंग जीतने के बाद भी भारत ने क्या किया। वो जो भारत और पाकिस्तान के बीच की जड़ थी उस को खत्म नहीं किया। हम जंग जीत चुके थे तब भी हमने पीओके वापस नहीं लिया। क्यों, क्यों नहीं लिया आज वहां पर आतंकवादियों ने हमारी ही जमीन पर आतंक के कैंप लगा रखे हैं। अरे, मुंबई मेरा अपना है, मेरे देश का हिस्सा है, करगिल हमारा है, उसपर किसी ने आंखें उठाई थी, तुमने आंखें तो नोच ली पर ये क्या साथ में उन आंखों को ठीक करने के लिए दवा दारू सब कुछ खुद मुहैया करा दिया। मैंने देखी थी लाशें, जब जवानों को ताबूत में से निकाला जाता था और पूरा गांव दहाड़ें मार मारकर रोता था उस सफेद पाउडर से लिपे बिना हरकत के जिस्म को।
भारत के साथ-साथ अमेरिका तक ने भी ये कह दिया कि पाकिस्तान अपनी जमीन से आतंकवादी वारदातें बंद करे। सख्त बात कोई भी देश नहीं कर रहा है। साथ ही विश्व ये चाहता है कि ये पड़ोसी देशों का आपसी मामला है और हो सके तो दोनों देश ही मिलकर इस मसले को सुलझाएं। सभी ये जानते हैं कि भारत और पाकिस्तान दोनों परमाणु सक्षम देश हैं और यदि लड़ाई हुई तो नुकसान विश्व का होगा। इसी का फायदा उठाकर पाकिस्तान ये गेम खेलता है, जब भी पाक पर आतंकियों को पनाह देने की बात आती है तब ही वो सीमा पर ऐसा माहौल बना देता है कि जिससे लगे कि तनावपूर्ण स्थति बन चुकी है। ये भारत को समझना होगा कि पाकिस्तान हर बार इसी गेम प्लान के अंतर्गत काम करता है। भारत अब तक बहुत संयम का परिचय दे चुका है लेकिन हमारे संयमपन को हमारी कायरता ना समझा जाए, हम बार-बार ये बात कह चुके हैं लेकिन हमने कभी भी ये दिखाया नहीं है। देश का हर बाशिंदा इस खौफ के साए से अपने आप को निकालना चाहता है। हमारा साथ हमारी सरकार के साथ है, हम एक जुबान में कहते हैं कि अब कहने का नहीं करने का वक्त आ गया है।

आपका अपना
नीतीश राज

4 comments:

  1. आप बिल्कुल सही कह रहे हैं ! अनर्गल प्रलाप नही बल्कि कार्यान्वित करो !

    क्रिशमश की घणी रामराम !

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  2. आतंक पर राजनीति करने वालों से आप आतंक-विरोधी कुछ करने की आशा कर रहे हैं. मुंबई हमलों के बाद एक असाधारण स्थिति पैदा हो गई, जनता उठ खड़ी हुई, विदेशी सरकारें मुखर हो उठीं. इस स्थिति में मजबूरन कांग्रेस को कुछ ऐसा कहना और करना पड़ा. पर साथ ही आतंक पर राजनीति भी करने से कांग्रेस नहीं चुकी, अंतुले द्वारा करवाया गया नाटक सब ने देखा है.

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  3. यह सरकार कुछ नही करने वाली,

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  4. क्या खूब लिखा है.............
    please visit on my blog again...........
    http://kumarendra.blogspot.com

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पोस्ट पर आप अपनी राय रख सकते हैं बसर्ते कि उसकी भाषा से किसी को दिक्कत ना हो। आपकी राय अनमोल है, उन शब्दों की तरह जिनका कोईं भी मोल नहीं।

“जब भी बोलो, सोच कर बोलो,
मुद्दतों सोचो, मुख्तसर बोलो”