जम्मू-कश्मीर में काउंटिंग थी और सुबह से लाइव करके दिमाग का दही बन चुका था। नेशनल कॉन्फ्रेंस सबसे बड़ी पार्टी के रूप में सामने आ रही थी पीछे-पीछे चल रही थी पीडीपी। जम्मू में पीडीपी को कुछ नहीं मिला था और बीजेपी ने सीटों की कमाई की थी। कश्मीर में पीडीपी शायद सबसे ज्यादा सीटें जीतने वाली पार्टी बनती नजर आ रही थी। ऑफिस में ये सब चल रहा था और मुझे मेरे रिलीवर ने रिलीव कर दिया और मैं सीधे घर की तरफ कूच कर गया। मेरे पास गाड़ी नहीं थी और कोई साथ जाने वाला भी नहीं मिल रहा था जिससे लिफ्ट ले सकता।
बस स्टेंड पर जाकर खड़ा हुआ तो खड़ा ही रह गया और आधा घंटा कब-कब में निकल गया पता ही नहीं चला। मेरे रूट की बस आ ही नहीं रही थी। दिमाग का दही पहले ही बन चुका था अब दही सड़ने भी लगी। बहुत ही चिड़िचिड़ाहट हो रही थी साथ में गुस्सा भी आ रहा था। पौन घंटे के इंतजार के बाद इंतजार खत्म हुआ और मैं बस में चढ़ा।
कनॉट प्लेस में एक अंग्रेज ने बस को हाथ दिया। बस स्टेंड से थोड़ा आगे जाकर बस वाले ने बस को रोक दिया। वो अंग्रेज जिसे की विदेशी सैलानी कहा जाएगा भागता हुआ बस को पकड़ने आया पर तुरंत ही बस वाले ने बस चला दी। वो पीछे भागता रहा, चिल्लाता रहा, भागता रहा, चिल्लाता रहा लेकिन बस नहीं रुकी। एक थ्री व्हीलर वाले ने ये देखा तो बस पकड़वाने में उसकी मदद करने लगा और आखिरकार बाराखंबा पर बस में वो चढ़ गया। आते के साथ ही उसने कंडेक्टर से कहा कि उसे गंजियाबाद (गाजियाबाद) जाना है।
ये सुनते के साथ ही कंडेक्टर ने उसका मजाक उड़ाना शुरू कर दिया। ‘गंजियाबाद जाना है ये तेरा गंजियाबाद कहां हैं ओ अंग्रेज?’ .... ..... .... तीन-चार गाली देने के बाद उस कंडेक्टर ने कहा, ‘साले अंग्रेज तेरे से तो सौ रु. किराया लूंगा गाजियाबाद तक के और तू क्या तेरा बाप भी देगा’। लेकिन यहां पर उस सैलानी ने कहां, ‘I Know the Fair…हमको मालूम...सौ नहीं...Just 10 Rs.’ ‘अरे अंग्रेज को किराया पता है किसने बताया बे तेरे को...’। कंडेक्टर का जवाब था।
वो अंग्रेज थोड़ी टूटी-फूटी हिंदी जानता था, याने कि उसे सब समझ आरहा था जो भी वो कंडेक्टर बोल रहा था। इसके बाद भी कुछ देर तक उस अंग्रेज को उसने ऐसे ही तंग किया। लेकिन उस अंग्रेज ने एक शब्द भी नहीं कहा। शायद ये उनको बताया भी गया होगा कि लोकल से कभी भी पंगा नहीं लेना है। पूरी बस में कुछ लोग इन बातों पर हंस रहे थे और कुछ ये तमाशा देख रहे थे। लेकिन पूरी बस में उस बदतमीज कंडेक्टर को कोई नहीं रोक रहा था। जब ये सब कुछ हो रहा था तो वहां पर कुछ लड़कियां भी बैठी हुईं थी। जब भी कंडेक्टर गांजियाबाद बोलता तो लड़कियां खूब जोर-जोर से हंसती। कंडेक्टर उन लड़कियों को देखता और फिर गांजियाबाद कहकर उस अंग्रेज को परेशान करता। कुछ बातें तो ऐसी थी कि बताई भी नहीं जा सकती। कंडेक्टर गालियां दे रहा था और लड़कियां हंस रही थीं। वो कंडेक्टर अपने आप को जेम्स बॉन्ड समझ रहा होगा इसलिए ये हरकत कर रहा होगा। लड़कियां हर दिन के लिए सीटें खाली मिलजाने के लालच में या फिर कुछ पैसे बचाने के मोह के कारण भी हंस रहीं थी या फिर वो सारी बेअकल थीं।
मुझे गुस्सा आ रहा था लेकिन मैं कुछ कर नहीं पा रहा था। पहले की इरिटेशन और बढ़ गई थी। लग रहा था कि उस कंडेक्टर को पकड़कर धुन दूं पर उस कंडेक्टर के साथ में दो-चार लड़के भी थे शामत से घबरा रहा था क्योंकि थका भी हुआ था। अपने को इतना असहाय कभी नहीं पाया था। सुबह ३.३० बजे का उठा हुआ और शाम के ४.०० बजे के करीब की ये बात थी। इन लड़कियों के पास में ही एक ४०-४५ साल की महिला खड़ीं हुईं थी। जैसे कि मुझे भी गुस्सा आ रहा था शायद उनको भी आ रहा था। उन्होंने सिर्फ एक लाइन उस कंडेक्टर को कही, ‘तुम सोच रहे हो कि तुम इसका मजाक उड़ा रहे हो, नहीं, तुम्हारे देश का मजाक उड़ रहा है। अपने या हमारे लिए ना सही पर देश की खातिर तो इस शख्स को परेशान मत करो’। ‘अरे, देश का अपमान क्यों हो रहा होगा, और वो फूहड़ सी हंसी हंसा। लेकिन इस बार लड़कियों ने साथ नहीं दिया। कुछ मुझ से लड़के जो कि इसी बात का इंतजार कर रहे थे तुरंत उस कंडेक्टर को ज्ञान देने लगे। लेकिन दिल से कह रहा हूं कि उस महिला ने मुझे खुद की ग्लानि से बचा लिया और मैं उन्हें दिल से धन्यवाद कहना चाहता हूं।
वैसे आप सब को ये बता दूं कि ये ब्लूलाइन बस की बात थी। जब मैं अपने स्टॉप पर उतरा तो पीछे से मुझे इसी रूट की सरकारी बस आती दिखी। शर्म आती है सरकारी बसों पर जो हमेशा ही इनसे पीछे चलती हैं और जब ब्लूलाइन बसें सवारी उठा लेती हैं तो तकरीबन १०-१५ मिनट के अंतराल के बाद चलती हैं और खाली आती हैं। ब्लूलाइन और आईसीआईसीआई बैंक की एक ही कहानी है दोनों ने ही सरकारी रवैये की सुस्त चाल का फायदा उठाया और पूरे मार्केट को कैप्चर करके अपने हिसाब से चलाया। ब्लूलाइन आज भी क़त्ल करती है और आईसीआईसीआई बैंक के रिकवरी एजेंट याने गुंडे आज भी लोगों को मारते पीटते हैं माना की अब थोड़ा सरकार सख्त होने के कारण ये सब कम हुआ है पर चल तो अब भी रहा है। पर कब तक?
आपका अपना
नीतीश राज
"MY DREAMS" मेरे सपने मेरे अपने हैं, इनका कोई मोल है या नहीं, नहीं जानता, लेकिन इनकी अहमियत को सलाम करने वाले हर दिल में मेरी ही सांस बसती है..मेरे सपनों को समझने वाले वो, मेरे अपने हैं..वो सपने भी तो, मेरे अपने ही हैं...
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“जब भी बोलो, सोच कर बोलो,
मुद्दतों सोचो, मुख्तसर बोलो”
First of all Wish u Very Happy New Year...
ReplyDeleteAchchha lekh..
Badhai....
आपने सरकारी ब्ल्यु लाईन और icici bank की बात्त बिल्कुल सही कही है! पर समर्थ को नही दोष गुसाई!
ReplyDeleteनये साल की घणी रामराम!
ऎसॆ मुर्ख एक नही हजारो मिल जायेगे, जिन्हे इतनी तमीज नही कि यह विदेशी अपने देश लोट कर क्या बतायेगा अपने देश वासियो को जब वो उस से पुछेगे की आप को भारत केसा लगा, वहा के लोग केसे लगे???
ReplyDeleteनव वर्ष की आप और आपके परिवार को हार्दिक शुभकामनाएं !!!नया साल आप सब के जीवन मै खुब खुशियां ले कर आये,ओर पुरे विश्चव मै शातिं ले कर आये.
धन्यवाद
सही कहा आपने
ReplyDeleteऐसे बदतमीज लोगों की वजह से ही देश की इमेज खराब होती है।
आतंकवाद ने पहले ही टूरिज्म सेक्टर का बैड बजा रखा है, उस पर ऐसा व्यवहार होगा तो कौन आएगा आपके देश