Tuesday, January 6, 2009

क्यों हमारे देश भीख मांगने आ रहे हो मुशर्रफ?

अभी हाल ही में ये खबर सामने आई थी कि पाकिस्तान के पूर्व राष्ट्रपति परवेज मुशर्ऱफ भारत आ सकते हैं। वैसे मुशर्रफ इसलिए भारत नहीं आ रहे कि मुंबई हमलों के मामले में भारत की कुछ मदद कर सकें। दरअसल मुशर्रफ भविष्य में अपनी राजनीतिक गतिविधियों के लिए धन जुटाने के उद्देश्य से भारत, अमेरिका, हांगकांग, चीन, यूरोपीय देशों की यात्रा कर विशेष व्याख्यान देंगे। इन सभी देशों में जाकर वो अपने संवादों के जरिए अपना नजरिया लोगों तक पहुंचाएंगे। और वैसे भी मियां मुशर्रफ के पास अभी दो साल का वक्त भी है क्योंकि दो साल याने नवंबर २००९ से पहले वो राजनीति में नहीं उतर सकते। सत्ता छोड़ने के बाद से ही ये पाबंदी लगी हुई है। लेकिन सबसे बड़ा सवाल ये आता है कि जहां एक तरफ तो मुशर्रफ भारत के सबूत देने के बाद भी अपना बचाव करने में लगे हुए हैं साथ ही युद्ध तक की धमकी देने से गुरेज नहीं कर रहे तो भारत आकर व्याख्यान के जरिए भारत की जनता से अपने जीवनयापन और अपने स्वार्थ के लिए भीख मांगने की जरूरत क्या है। यदि लड़ाई रखनी है तो खुल के रखो। एक तरफ तो आप पीठ में खंजर भोंक रहे हैं, भारत को अंतरराष्ट्रीय बिरादरी में जलील करने से भी नहीं चूक रहे हैं, वहीं दूसरी तरफ अपने स्वार्थ के लिए आप भारत में आकर भारत के पैसों से, भारत का निवाला खाकर भारत के खिलाफ ज़हर उगलने की तैयारी कर रहे हैं।
यदि देखता हूं तो अपनी सरकार की ही राजनीतिक अस्थिरता ज्यादा नज़र आती है। क्यों हमारे फैसले अडिग नहीं रहते? यदि किसी देश ने आपका जीना दुर्भर कर रखा है तो बेहतरी इसी में है कि कुछ समय के लिए उस देश का बहिष्कार कर दो। दूसरे देश को इस बात से कितना असर पड़ेगा इस बात की चिंता करने की हमें जरूरत नहीं है। हमें अपने कड़े कदम उठाने की जरूरत है और साथ ही दुनिया को ये भी बताने की जरूरत है कि हम ये कड़े कदम उठा रहे हैं। यदि पाकिस्तान से दोस्ती के बढ़े हाथ लाहौर बस सेवा, ट्रेन सेवा और हवाई सेवा को कुछ समय के लिए रोक दिया जाए तो पता चलता है कि हां आपने अपना रुख साफ किया है। एक तरफ तो क्रिकेट टीम, हॉकी टीम पर रोक लगा दी गई है वहीं दूसरी तरफ आतंकवादी एक देश से दूसरे देश आ-जा रहे हैं इन सेवाओं के जरिए। और यदि उस सेवाओं को बंद करने पर किसी को ऐतराज है तो बेहतर है कि वो पाकिस्तान में जाकर बस जाए मेरे देश भारत में इनके लिए जगह नहीं हैं। आतंकवाद के नाम पर अमेरिका किसी देश पर हमला कर दे तो चलेगा तो क्या हम आतंकवाद के नाम पर अपने देश की सुरक्षा के लिए कुछ कड़े कदम तो ले ही सकते हैं।
हमारी सरकार को चाहिए कि कड़े कदम उठाते हुए मियां मुशर्रफ को देश में आने से रोकें वर्ना पता नहीं वो कौन शख्स हो पर जिस बात का पता है वो है कि जूता कानपुर का ही रहेगा और यकीन मानिए चेहरा मुशर्रफ का ही होगा।

आपका अपना
नीतीश राज

3 comments:

  1. @यदि किसी देश ने आपका जीना दुर्भर कर रखा है तो बेहतरी इसी में है कि कुछ समय के लिए उस देश का बहिष्कार कर दो। दूसरे देश को इस बात से कितना असर पड़ेगा इस बात की चिंता करने की हमें जरूरत नहीं है।

    मैं आपकी इस बात से पूरी तरह सहमत हूँ. पाकिस्तान के कलाकार भारत आते हैं, पैसा कमाते हैं और चले जाते हैं. उनके मुल्क से आए इन वहशी दरिंदों के बारे में वह कुछ नहीं कहते. मुशर्रफ़ सारी जिंदगी भारत को नुक्सान पहुंचाते रहे. अब जब उनकी नौकरी चली गई है तो भाषण देकर कमाई करने भारत आ रहे हैं. यह तो बेशर्मी की हद है. भारत का कुछ दिन नमक खाएँगे, कुछ घर ले जायेंगे और फ़िर नमकहरामी करेंगे. और वह कौन लोग हैं जो इन्हें बुला रहे हैं? इन लोगों को सरहद के पार छोड़ आना चाहिए ताकि वहीँ मुशर्रफ़ का भाषण सुन लें. देश के दुश्मन को देश में बुलाकर उसका भाषण सुनना देशद्रोह है.

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  2. जब तक हमारे नमक हराम नेता नही सुधरते तब तक यह सब ड्रामे होते रहेगे, यह जो आ रहा है हमारा दुशमन है अब इसे भी सर पर बिठायेगे, हरामी कही के पांच लाख दल्ले मरे होगे तो एक नेता पेदा हुआ होगा.
    धन्यवाद

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  3. एक बेगैरत फौजी तानाशाह के व्याख्यान से किसको क्या मिलना है? और फ़िर उस आदमी के और अधिक पैसा इकट्ठा करने से पाकिस्तान या दुनिया का कितना भला होना है यह हम सब जानते हैं.

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