Friday, September 4, 2009

इन बहकते कदमों का दोषी कौन?

बेगम ने फोन पर बताया कि, ‘सोसायटी में कुछ हलचल हो रही है और शायद पुलिस भी पहुंची हुई है’। मैं सैलून में सेविंग करवा रहा था। अमूमन मैं सेविंग घर पर ही करता हूं। एक तरफ जल्दी-जल्दी सेविंग हो रही थी और दूसरी तरफ मेरे दिमाग में कई बातें चल रही थीं। सैलून से फारिक़ होकर मैं घर की तरफ दौड़ लिया। इस बीच मैंने ये काम कर दिया था कि सोसायटी में एक और शख्स को फोन पर इस बारे में जानकारी दे दी थी और कह दिया था कि थोड़ा ध्यान रखे।

सोसायटी के गेट पर पहुंचते के साथ ही लग गया कि मामला गड़बड़ है। गेट के बाहर तक आवाज़ें आ रही थीं। गेट में दाखिल होते ही गार्ड ने मुझे रोक लिया फिर पहचान करके अंदर आने दिया। मैंने इस बीच ही आधी जानकारी गार्ड से ही ले ली। गाड़ी पार्किंग में लगा रहा था तब भी कई बार आवाज़ें बहुत तेज हो जाती और फिर किसी के बीच-बचाव करने पर तेज होती आवाज़ों पर लगाम लग जाती।

जहां से आवाज़ रही थी जब उस समूह के पास पहुंचा तो अधिकतर चेहरे नए थे दो-चार लोग कुर्ते-पजामें में दिख रहे थे, बाकी सब 35-40 के बीच की उम्र के थे। उनमें से कुछ तो पुलिसवाले के साथ गेट रजिस्टर की एंट्री को चैक कर रहे थे और कुछ गार्डों से सच निकलवाने की कोशिश में जुटे हुए थे। सच इसलिए क्योंकि कई बार वो लोग ये बात कह रहे थे कि इन गार्डों को पता है सारा सच। अभी तक मेरी समझ में ये तो आ गया था कि कौन परिवार का है और कौन-कौन साथ के या फिर मित्रगण हैं उस पीड़ित परिवार के। पर ये अभी तक नहीं समझ पाया था कि मामला क्या है।

थोड़ी देर बाद सारी स्थिति साफ हो गई। हमारी सोसायटी में रहने वाले एक बिजनेसमैन का बेटा तरुण बीती रात करीब दो-तीन बजे अपने घर से भाग गया। रात एक बजे तक परिवार के साथ बैठे होने की पुष्टि पूरा परिवार कर रहा था। परिवार के मुताबिक रात में पूरे परिवार ने मिलकर एक साथ खाना खाया और फिर टीवी देखा। बिजनेसमैन होने के कारण खाना देर से ही होता था। रात को तीन बजे से पहले ही तरुण घर छोड़कर भाग गया था और जाते-जाते बाहर से घर के दरवाजे की कुंडी भी लगा गया था। इस बात की पुष्टि गेट में मौजूद गार्ड की रजिस्टर एंट्री से हुई थी कि कोई भी रात 3 बजे के बाद नहीं गया था।

वहां पर मौजूद लोगों ने ये बताया कि उसकी उम्र 14 साल की है तब तो उसके दोस्तों को और कुछ गार्डस को साथ लेकर पुलिस वहां से चली गई। शाम होते-होते सोसायटी में इसी बात की चर्चा होने लगी। तब मुझे पता चला कि ये 14 साल का लड़का वो ही है जो कि बार-बार मना करने पर भी सोसायटी में सबसे तेज पल्सर बाइक चलाता था। सोसायटी के एक सज्जन ने मुझे बताया कि उस लड़के को काफी बुरी आदतें थीं। दोस्तों ने जो पुलिस को बताया वो ये कि तरुण तो कल से कह रहा था कि वो अपने किसी दोस्त के पास पुणे या गोवा जा रहा है। कोई उसे ट्रेस ना कर सके वो अपना मोबाइल फोन भी घर पर ही छोड़ कर गया था। पुलिस तफ्तीश में लगी हुई है।

यहां पर इस 14 साल के लड़के की बात को बताने का मतलब सिर्फ ये है कि कहीं हम अपने बच्चे को छोटी सी उम्र में सारी सहुलियतें देकर उन्हें बिगाड़ तो नहीं रहे। जैसे बाइक को चलाने की उचित उम्र तो 18 साल है पर उस लड़के को देखकर लगता था कि वो इस उम्र को भी पार कर चुका है। मैंने तरुण की तस्वीर देखी तो देख कर लगा कि वो कोई 18-20 साल का लड़का है। बच्चों के मांगने पर उन्हें हमेशा पैसे पकड़ा देने कहां तक उचित है? कहीं हम खुद ही तो उनको गलत राह पर नहीं धकेल रहे? इन बहकते कदमों का दोषी कौन? माना की इस दौड़ती भागती जिंदगी में घरवालों की सारी इच्छाओं और सहुलियतों और उनकी मांगों को मानने के लिए हमेशा काम में लगे रहना क्या हम अभिभावक अपनी जिम्मेदारियों से मुंह तो नहीं मोड़ रहे? कई बार तो ये भी समझ में नहीं आता कि इसके लिए क्या करें कि जो हर मोड़ पर हम सही और सब की इच्छाओं पर खरा उतर सकें?

आपका अपना
नीतीश राज

10 comments:

  1. इसके लिए क्या करें --कुछ न करो बस ब्लॉग लिखते चलो..सब सही रहेगा. :)

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  2. आप सही कह रहे हैं . हमारे पडौस मे एक सज्जन हैं जिनके दस साल के बालक को कार और बाईक चलवाते हैं और बडी बेशर्मी से लोगों को उसके गुणगान करते हैं.

    आपको जन्मदिन की हार्दिक शुभकामनाएं.

    रामराम.

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  3. जन्मदिन की हार्दिक बधाई!

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  4. श्री नीतीश राज जी!
    आप की सलाह से सहमत हूँ।
    आपको जन्मदिन की बहुत-बहुत बधाई एवं हार्दिक शुभकामनाएँ!

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  5. आज कल का माहौल ऐसा ही होता जा रहा है ..पैसा कमाने की होड़ बच्चो को अधिक अधिक से सुविधा देने की होड़ के साथ शामिल हो चुकी है ...

    जन्मदिन की बहुत बहुत बधाई नितीश जी

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  6. आप सही कह रहे हैं
    आज कल माहौल ऐसा ही ...

    नितीश जी आपको जन्मदिन की बहुत-बहुत बधाई
    शुभकामनाएँ!

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  7. नीतीश राज जी सब से पहले तो आप को जन्म दिन की बधाई,बाकी बात आप ने सॊ % सही कही है, ओर यही ओलाद आगे जा कर बिगडेल बन जाती है

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  8. जन्मदिन की हार्दिक बधाई!

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  9. जनम दिवस की हार्दिक शुभकामनाएँ

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  10. आप सभी साथियों का बहुत-बहुत धन्यवाद।

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“जब भी बोलो, सोच कर बोलो,
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