Wednesday, November 19, 2008

नंबर 1 टीम मैन है एम एस धोनी

सौरव गांगुली ने कहा था कि धोनी के पास वो एक्स्ट्र लक है जिसकी सबसे ज्यादा जरूरत एक कप्तान को होती है। एम एस धोनी के हाथों में कप्तानी की बागडोर देकर कुंबले को भी अच्छा लगा होगा और सौरव को भी ये देखकर अच्छा लगा होगा कि जो स्पार्क टीम इंडिया को उन्होंने दिया था वो वैसा ही है।
महेंद्र सिंह धोनी को शायद ही कोई खिलाड़ी इस पूरे नाम से कभी बुलाता हो वर्ना वो सबके लिए धोनी या फिर माही है। टीम क्या पूरे भारत और क्रिकेट जगत के लिए धोनी को इन दो नामों से ही जाना जाता है। धोनी इस समय बल्लेबाजी में वन डे रैंकिंग में 784 अंकों के साथ नंबर 1 पर हैं। मेरी नजर में वो नंबर 1 बल्लेबाज ही नहीं हैं बल्कि नंबर 1 कप्तान भी हैं और यहां तक पहुंचने के लिए धोनी का जोश में होश ना खोना ही सबसे अहम है।
शायद कोई सोच भी नहीं सकता कि धोनी के पास विकेट के पीछे से दुश्मन पर दांव चलाने का हुनर है। नागपुर टेस्ट का दूसरा दिन, पहली पारी में भारत के पास 441 रन का बड़ा स्कोर था और दूसरे दिन का खेल खत्म होने तक ऑस्ट्रेलिया ने 189-2 बना लिए थे। मैच के तीसरे दिन आस्ट्रेलिया अपनी पारी दो विकेट पर 189 रन से आगे बढाने उतरा। धोनी ने पहले ही सोच रखा था कि पहले सत्र तक उन्हें क्या करना है और पूरे उस सत्र में महज 42 निकले वो भी पूरे 24 ओवर में। धोनी ने नई रणनीति बनाई मैदान की 8 खिलाड़ी आफ साइड में औऱ सिर्फ 2 फील्डर आन साइड में रखे थे और गेंदबाजों को बोल दिया कि गेंद सिर्फ आफ स्टंप के बाहर रखो। हसी औऱ कैटिच लगातार ऑफ स्टंप के बाहर की गेंदों को खेलते-खेलते उकता गये। तमाम क्रिकेट पंडित धोनी को कोस रहे थे लेकिन धोनी जानते थे कि वो क्या कर रहे हैं, उन्हें सिर्फ अपना मकसद दिख रहा था। नतीजा ये रहा कि जो टीम 2 विकेट पर 189 रन बटोर चुकी थी वो अगले 166 रनों में बाकी आठ विकेट गंवा बैठी।
दूसरी पारी में भी धोनी ने तेज औऱ फिरकी गेंदबाजों को बड़ी सूझबूझ से लगाया। दूसरी पारी में कंगारू 50वें ओवर में मैच छोड़ चुके थे। इस दौरान सिर्फ भज्जी ही एक ऐसे गेंदबाज थे जिन्होंने 19 ओवर तक फेंके वर्ना सब ने बराबर के लगभग ही ओवर डाले थे। मैथ्य़ू हेडन भज्जी की गेंदो को बार-बार बाउंड्री के बाहर भेज रहे थे। लेकिन धोनी ने भज्जी को हटा कर अपने मंसूबों पर पानी नहीं फेरा। और फिर भज्जी की एक गेंद ने हेडन को गच्चा दे दिया औऱ फिर तो कंगारु मैच को पकड़ सकने में भी कामयाब नहीं रह पाए। टीम इंडिया ने 2-0 से कंगारुओं को सीरीज में मात देकर जो इतिहास रचा है उसे जब-जब याद किया जायेगा माही का जिक्र जरुर आयेगा।
वैसे गर देखें तो धोनी टीम मैन है। कुंबले को कंधे पर उठाने का हौसला बहुत ही कम दिखा सकते थे। जब सीरीज की ट्रॉफी दी जा रही थी तो धोनी ने कुंबले को साथ लेजाकर, कुंबले को ये सम्मान दिया कि जिसे खुद कुंबले के साथ-साथ सब याद रखना चाहेंगे। धोनी ने ये ही काम श्रीलंका में भी किया था। वहीं दूसरी तरफ सौरव गांगुली अपना अंतिम मैच खेल रहे थे और धोनी ने दादा से अंतिम मैच के अंतिम क्षणों में कप्तानी देकर एक ऐसा काम किया जो शायद कोई और नहीं कर पाता और दूसरों के लिए एक मिसाल भी रख दी। और जब-जब इन दोनों सितारों के संन्यास की बात आएगी तब धोनी का नाम हमेशा आएगा।
अब इंग्लैंड के साथ भी माही का जुझारुपन दिख रहा है। साथ ही टीम मैन वाली बात भी हमेशा सामने आती है। बाइक मिली युवराज को धोनी ने पूरे मैदान में खुद युवराज का सारथी बनकर घुमाई। इसी जज्बे के साथ धोनी और धोनी की टीम जिसने २०-२० वर्ल्ड कप जीता था अभी तक इंग्लैंड से इस सीरीज में २-० से आगे हैं। धोनी को मछ्ली की आंख दिख रही है हम भी चाहेंगे कि धोनी अपने लक्ष्य से ना भटके।

आपका अपना
नीतीश राज

3 comments:

  1. बहुत सही लिखा आपने ! जिसको मछली की आँख दीख जाए , यानी लक्ष्य का पता हो तो विजय मिलना पक्का है ! बहुत शुभकामनाएं !

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  2. कया बात है बहुत सुन्दर
    धन्यवाद

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