ट्वेंटी-20 सीरीज हारने के बाद धोनी और धोनी की टीम के लिए पहला वन डे बहुत बड़ी चुनौती के रूप में सामने था। धोनी के लिए फिर टॉस अच्छा रहा, और टॉस जीतकर पहले बल्लेबाजी करने का फैसला। ओपनर के रूप में जैसा कि सोचा जा रहा था वो ही हुआ सहवाग के साथ गंभीर नहीं सचिन ही थे। सचिन से लोगों को काफी उम्मीदें, सचिन ने जमने की कोशिश की। वहीं दूसरी तरफ सहवाग अपने रंग में आ चुके थे। जहां सहवाग अर्ध शतक के नजदीक थे वहीं सचिन अभी डबल फिगर को छू ही पाए थे।
सचिन ने भी अपने हाथ दिखाए और दो शानदार चौके लगाए। एक-दो चौकों के बाद लग रहा था कि सचिन शायद उतनी फॉर्म में नहीं हैं, फिर भी इतने तो हैं कि नेपियर में अपना सर्वाधिक बना देंगे और जैसे मैंने सचिन से सवाल पूछा था कि क्या सचिन अपने चाहने वालों का अरमान पूरा कर पाओगे? चाहने वालों को जवाब मिल गया, दो चौके मारने के बाद सचिन बाहर जाती बॉल को स्लिप के रास्ते चार रन तक पहुंचाने की कोशिश में बॉल की रफ्तार और हवा से चकमा खा गए और कीपर को एक आसान सा कैच थमा बैठे।
जिसकी उम्मीद थी बिल्कुल उससे हटके हुआ। जहां लोग सोच रहे थे कि लेफ्ट-राइट का कॉम्बिनेशन देने के लिए कोई लेफ्टी आएगा याने कि सबसे सफल जोड़ी फिर होगी क्रीज पर, पर ऐसा हुआ नहीं। लोगों और मीडिया की खरी-खरी सुनने के बाद अपना पसंदीदा नंबर 7 छोड़ कप्तान धोनी 3 नंबर पर बैटिंग करने पहुंचे। अपने इस निर्णय को साबित करने के लिए धोनी ने धीमे और सधी शुरुआत करी। वहां वीरू का बल्ला बोल रहा था। अब तक वीरू 56 गेंदों पर 11 चौके और 1 छक्के की मदद से 77 रन बना चुके थे। विटोरी की गेंद पर एक लाजवाब शॉट सहवाग ने खेली और सर्कल के अंदर खड़े टेलर ने उससे भी शानदार कैच लपक वीरू की शानदार पारी पर ब्रेक लगा दी। चौथे नंबर पर टीम के युवराज आए और
कप्तान के साथ दूसरे रन के फेर में पड़कर पवैलियन की राह पर निकल लिए। अब टी-20 के स्टार सुरेश रैना की बारी थी। 20-20 के क्रम को आगे बढ़ाते हुए रैना ने मैदान के हर कोने में बॉल पहुंचाई और शानदार 4 छक्के और 5 चौंकों की मदद से महज 39 गेंदों पर 66 रन बनाकर छक्के मारने के प्रयास में एलिट की गेंद पर ब्रायन को कैच थमा बैठे। वहीं दूसरे छोर पर कप्तान ने पारी संभाल रखी थी। अब धोनी का साथ देने क्रीज पर आए यूसुफ पठान आए और 10 गेंदों पर 1 छक्के और 2 चौकों की मदद से 20 रन बनाए। धोनी की इस समझदारी भरी पारी में सिर्फ ६ चौकों की मदद से 89 गेंदों पर 84 रन बनाए। न्यूजीलैंड के सामने 7.20 की औसत के साथ लक्ष्य 38 ओवरों में 274 रहा।
वैसे, इस बीच न्यूजीलैंड में झमाझम बारिश होने लगी और पाकिस्तान में श्रीलंका टीम की बस पर दनादन फायरिंग। पाकिस्तान में दूसरे टेस्ट के साथ-साथ दौरा भी खटाई में पड़ गया। खेल और क्रिकेट के इतिहास का काला दिन। वहीं दूसरी तरफ न्यूजीलैंड में बारिश के कारण पहला वन डे के ओवर कम कर दिए गए, मैच 38-38 ओवरों का हो गया।
इरफान की जगह टीम में आए प्रवीण कुमार ने बिना खाता खोले न्यूजीलैंड को दूसरे ओवर में ही पहला झटका मैक्कुलम के रूप में दिया। न्यूजीलैंड की तरफ से टी-20 का सितारा अस्त हो गया था। दूसरा विकेट भी प्रवीण कुमार की झोली में गया। गुप्टिल और टेलर जब खेल रहे थे तो लग रहा था कि औसर रन रेट तो बढ़ता जा रहा है पर फिर भी यदि ये दोनों टिके रहे तो मैच को कभी भी पलटने की काब्लियत रखते हैं। १६वें ओवर में यूसुफ पठान ने घातक होते टेलर को सचिन के हाथों कैच करवाकर न्यूजीलैंड की मुसीबत और बढ़ा दी। एलिट को सहवाग के सपाट थ्रू ने रन आउट कर दिया और बारिश शुरू हो गई।
डकवर्थ लुईस नियम को लागू किया गया और फिर जो टार्गेट न्यूजीलैंड के सामने था वो लगभग नामुमकिन सा ही था। 43 गेंद पर 111 रन। जब चौथा विकेट गिरा था तो न्यूजीलैंड को 102 गेंद पर 163 रन चाहिए थे और उनके हाथ में 6 खिलाड़ी थे।
जब मैच शुरू हुआ तो स्कोर को आगे बढ़ाने के कारण ओरम युवराज का शिकार बने। अब लगने लगा कि यदि गुप्टिल का विकेट भारत कैसे भी झटक ले तो फिर पूरी तरह मैच भारत के पक्ष में हो जाएगा। और हुआ भी कुछ यूं ही, पर अब बारी थी भज्जी की। चार गेंद पर भज्जी ने 3 विकेट झटक लिए। सबसे पहले गुप्टिल, फिर ब्रूम और फिर मिल्स को आउट कर न्यूजीलैंड की हार में चारों तरफ कील ठोंक दी। कहां एक समय 132 पर 5 विकेट थे वहीं 9 विकेट भी होगए। अब बस खानापूर्ति ही शेष रह गई थी। और भारत ने पहला वन डे 53 रन से डकवर्थ लुईस नियम से जीत लिया। मैन ऑफ द मैच चुने गए टीम इंडिया के कप्तान महेंद्र सिंह धोनी।
जब टीम इंडिया बैटिंग कर रही थी तब ये खबर फैल चुकी थी कि श्रीलंका की टीम पर हमला हो गया है। और दोनों टीमों ने हाथ पर काली पट्टी बांधकर अपना विरोध दर्ज कराया। धोनी ने कहा कि अच्छा हुआ कि भारतीय टीम ने पाकिस्तान का दौरा नहीं किया और शायद ही अब कोई भी खिलाड़ी पाकिस्तान में जाकर खेलना पसंद करेगा।
पर सच तो ये है कि पाक में पनपे आतंक के सच से खुद पाकिस्तानियों को लड़ना होगा और क्रिकेट को जिंदा रखने के लिए तालिबानी ताकतों के सामने घुटने नहीं टेकने होंगे। फिल्म के बाद अब इन दहशतगर्दों के निशाने पर है क्रिकेट पर आतंक से तो लड़ना होगा ही।
आपका अपना
नीतीश राज
(फोटो साभार-क्रिक इन्फो)
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