वो हंस रहा है, वो मुस्कुरा रहा है, वो ठहाके लगा रहा है। आज वो भीख नहीं मांग रहा, आज वो जवाब दे रहा है। ये सब वो कर रहा है दुनिया को ये दिखाने के लिए कि उसे किसी का डर नहीं है, कैद में भी वो जी रहा है मौज में। ये सब वो वहां कर रहा है जहां पर सिर्फ उसे जिंदा रखने का खर्च लाखों में आ रहा है। वो ठहाके लगा रहा है कानून व्यवस्था पर, कानून प्रणाली पर, कानून के नियमों पर। वो इस बात पर हंस रहा है कि यहां पर एक देशद्रोही, एक आतंकवादी के ऊपर ट्रायल चलाने के लिए भी 36 पेंच हैं। वो जानता है कि वो बेवकूफ बना सकता है, तो बना रहा है। और ऐसा सब वो कर रहा है कानून के मंदिर में, वहीं पर बैठ वो उड़ा रहा है कानून की धज्जियां, हंस रहा है उसी कानून पर, ठहाके लगा रहा है।
और ऐसा भी नहीं है कि वो कोई अच्छा आदमी है। वो तो है एक ही रात में करोड़ों के मन में दहशत पैदा करने वाला अजमल आमिर कसाब।
जी हां, मुंबई में बंद है कसाब नाम का वो शख्स जिसने अपने पाकिस्तान साथियों के साथ मिलकर 26/11 को मुंबई दहलाई थी। ऐसी साजिश जिसने पूरे मुल्क से लेकर दुनिया को एक नए तरीके के हमले से दो-चार कराया था। 26/11 की रात को जब उसे पकड़ा गया था तो उसे इस बात का इल्म भी नहीं था कि भारत में एक आतंकवादी को जिंदा पकड़ने के बावजूद उसे इतने आराम से रखा जाएगा। तभी तो वो सिर्फ अपने आप को मार देने की बात कर रहा था। अब तो वो अपने इकबालिया बयान से भी पलट गया। अब क्या? उसका वकील ये कहने से पीछे नहीं हट रहा है कि कसाब तो बच्चा है। शायद उस वकील को ये नहीं पता कि बच्चे कैसे होते हैं।
मेरा सवाल ये है कि ४० पेज का इकबालिया बयान जो कि मैजिस्ट्रेट के सामने दिया गया था कसाब उस से कैसे मुकर सकता है। बयान देते समय उस पर किसी भी पुलिस का दवाब नहीं था।
मेरा सवाल ये है कि क्यों उस आतंकवादी को इतनी सहुलियत देने पर आमादा है हमारी सरकार। क्या जानती नहीं है कि वो पाकिस्तानी आतंकवादी है जिसने मुंबई को एक ऐसा घाव दिया है जो कि कभी भरा नहीं जा सकता।
मेरा सवाल ये है कि कैसे कसाब इकबालिया बयान से पलट रहा है। एक तरफ तो उसने अपने मां-बाप का पता-ठिकाना सही बताया अब बयान को दबाव में बता रहा है। मां को जो ख़त लिखा था क्या वो भी भारतीय पुलिस ने दबाव में लिखवाया था।
मेरा सवाल है कि उस जैसे क़ातिल, दरिंदे को हम कैसे छोड़ सकते हैं, क्यों नहीं फांसी पर चढ़ा देते। क्यों मामले को टाल रहे हैं और कसाब को भी अफजल गुरू की तरह मौका देने की भूल कैसे कर सकते हैं।
अफजल गुरु को कांग्रेस फांसी पर नहीं लटकाएगी क्योंकि उस से हताहत होगा हमारे देश का अल्पसंख्यक समुदाय जो कि बहुत बड़ा वोट बैंक है। पर क्या कसाब को भी वोट बैंक की राजनीति में तोला जा रहा है? सरबजीत की दुहाई मत दो, वो तो अकेला है। कांग्रेसियों, अफजल गुरू और कसाब को सरबजीत के साथ मत तोलो। केस मत लटकाओ, उन्हें लटकाओ। वर्ना गर चुनाव जीते तब भी हार जाओगे।
आपका अपना
नीतीश राज
"MY DREAMS" मेरे सपने मेरे अपने हैं, इनका कोई मोल है या नहीं, नहीं जानता, लेकिन इनकी अहमियत को सलाम करने वाले हर दिल में मेरी ही सांस बसती है..मेरे सपनों को समझने वाले वो, मेरे अपने हैं..वो सपने भी तो, मेरे अपने ही हैं...
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“जब भी बोलो, सोच कर बोलो,
मुद्दतों सोचो, मुख्तसर बोलो”
बड़ी छीछालेदर हो रही है इस मुकदमे में।
ReplyDeleteदेश का बंटाधार कर रहे हैं ये कांग्रेसी नेता।जो अपने देश की जनता को कभी न्याय नही दे सके उनसे कोई भी उम्मीद करना बेकार है।पूरे देश को शर्मसार कर रही है यह कांग्रेस अपनी स्वार्थमयी नितियों के कारण।
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