Tuesday, April 21, 2009

अफजल गुरु को कोई भी सरकार फांसी नहीं देगी, किसी भी पार्टी में इतना दम नहीं है।

सारा देश संसद पर हमले के मुख्य आरोपी अफजल गुरु को फांसी पर चढ़ता हुआ देखना चाहता है। पर शायद अल्पसंख्यकों का एक बड़ा वोट बैंक होने के कारण अभी फिलहाल तो उस पर कोई कार्रवाई नहीं हो रही है। माना तो ये जाता है कि भारत में सुप्रीम कोर्ट के ऊपर कोई अदालत नहीं, पर मेरा विश्वास इस बात से डगमगा रहा है। सुप्रीम कोर्ट एक घृणत कृत्य के लिए एक शख्स को फांसी मुकर्रर करता है। उसको इस सज़ा तक पहुंचाने में लाखों खर्च होते हैं और जेल में रखने पर भी लाखों खर्च। फांसी की सज़ा तो कोर्ट ने सुना दी पर यहां पर हमारा संविधान थोड़ा लचीला हो जाता है। राष्ट्रपति के पास सज़ायाफ्ता मुजरिम एक माफीनामा भेज देता है कि उसे जो सज़ा मिली है उसमें रहम किया जाए। मतलब ये कि इसके बाद आप गारंटी के साथ काफी सालों तक जिंदा रह सकते हैं।

हमारी सरकारें ये नहीं चाहती कि राष्ट्रपति कोईं भी फैसला लें क्योंकि उस फैसले से अगले चुनावों में वोट बैंक पर असर पड़ेगा। अभी राष्ट्रपति के पास 28 मामले फांसी के पड़े हुए हैं और उसमें अफजल गुरु का नंबर 22वां है। इससे पहले पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी की हत्या में शामिल तीन आरोपियों की याचिका भी है। यूपीए के शासन काल में उस पर भी फैसला नहीं हो सका। 1998 में जो फैसले सुप्रीम कोर्ट ने फांसी के सुनाए थे उन मामलों पर भी फैसला लिया जाना बाकी है।

जब किसी को सुप्रीम कोर्ट से फांसी की सज़ा सुनाई जाती है तो फिर वो राष्ट्रपति के पास याचिका क्यों डालते हैं? उसके चुनिंदा कारण ही होते होंगे, जैसे कि घर के अकेला चिराग होना, मुजरिम पर बूढ़े मां-बाप का निर्भर होना, या ये गलती जो हुई है वो अनजाने में हुई है और साथ ही अभी उम्र बहुत कम है। जब याचिका डाली गई और 10-15 साल तक कोई फैसला नहीं हो रहा है तो उस याचिका का क्या औचित्य रह गया? बड़े-बूढ़े मर गए और जवान आदमी जेल में पड़ा-पड़ा सड़कर बूढ़ा हो गया।

1999-2004 तक के अपने कार्यकाल में एनडीए ने किसी भी याचिका पर सुनवाई नहीं की। क्या जवाब है इस पर बीजेपी का? कि पहली बार सत्ता पर बैठे थे तो सुख भोगना था भोग लिया, फैसला कैसे सुनाते। वो ही काम अब यूपीए ने भी किया। पूर्व राष्ट्रपति नारायणन और डॉ. कलाम ने किसी भी याचिका पर गौर नहीं किया। तो क्यों राष्ट्रपति इस मामले पर कोई कार्रवाई नहीं करते? कब तक सिर्फ और सिर्फ रबड़ स्टेंप की तरह वो देश पर अपनी मुहर लगाते रहेंगे?

माना कि राष्ट्रपति के लिए प्रक्रिया थोड़ी जटिल है पर राष्ट्रपति चाहें तो सब हो सकता है। राष्ट्रपति किसी भी केस को लेते है और उस केस पर गृहमंत्रालय से राय मांगते हैं। कैबिनेट के साथ मिलकर गृहमंत्रालय एक रिपोर्ट तैयार करके जिस राज्य की वो घटना होती है उस राज्य से इस पर राय मांगते है। अब वो राज्य सरकार जब चाहे उस पर अपनी राय बना कर भेजे क्योंकि कोई समय सीमा इस पर निर्धारित नहीं है। और सरकारें वोट से चलती हैं इसलिए एक वर्ग को नाराज़ करके कोई भी सरकार, अपनी सरकार नहीं गिराना चाहेगा।

तो....अफजल गुरु को कोई भी सरकार फांसी नहीं देगी।

आपका अपना
नीतीश राज

7 comments:

  1. मेरे विचार में अब ठीक यही है कि अफजल को जेल में ही सड़ा कर मारा जाये। फांसी से तो वो एक दिन मं ही मर जायेगा पर जेल में फांसी के इंतजार में म पल-पल मरता रहेगा।

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  2. मेरे विचार में अपने देश की यही सबसे बड़ी विडम्बना है यहाँ फैसले देश हित में न होकर सांप्रदायिक नफा-नुकसान देखकर हुआ करते हैं. शाहबानो केस में हम ये देख चुके हैं और अब अफज़ल के मामले में हमें ऐसा ही देखने को मिल रहा है. अफज़ल जैसो का समर्थन करने की यही मानसिकता कुछ लोगों किसी प्रज्ञा पाण्डेय जैसे लोगों का समर्थन करने को मजबूर करती है हमारी इसी मानसिकता के कारण राजनीतिक बिरादरी दंगे कराने में सफल हो पाती है और इसी के कारण हम एक-दूसरे को एक देश का नागरिक नहीं समझ पाते. हम इसी कारण एक नहीं है और हमेशा समस्या से घिरे रहते हैं.

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  3. ऐसा बिलकुल नहीं है कि कोई भी पार्टी किसी एक जाति के अपराधी को सजा नहीं सुनाती.. आप देखिये ना मालेगाँव हमले के आरोपियों को तो कब की सज़ा हो चुकी.. ये आपका भरम है कि किसी जाति विशेष के लोगो को आज तक सजा नहीं मिली.. अफज़ल गुरु का नाम यदि अनुपम गुरु होता तो अब तक तो लटक चुका होता..

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  4. उन अल्पसंख्यकों एक बड़ा वर्ग भी शायद उसे लटकता ही देखना चाहता हो...मगर ये तो एक एक वोट के लिए कुछ भी कर गुजरें. बड़ी अजब कौम है इन नेताओं की.

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  5. सटीक और सामयिक लिखा आपने,मज़बूर नेताओ के देश मे कठोर फ़ैसले होना सम्भव ही नही है।

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  6. कुश भाई मालेगाँव के आरोपियों को सजा कब हुई?
    क्या उनका दोष सिद्ध हो चुका है?

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  7. Afzal guru should be hang because he is not a jeneral criminal he is teroriest.And i think Mr. Afzal guru has no right to alive in india. So i regard to indian law maker please hang afzal and save our india and indian prestig.

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