Thursday, May 21, 2009

हम तो उसकी फिराक में है जो हमारी फिराक में है।

कुल मिलाकर ३२२ का आंकड़ा हो गया है यूपीए के पास। मनमोहन सिंह ने इतनों का पर्चा तो महामहिम को सौंप दिया है। यूपीए के २७० और ४ निर्दलीय बाकी ४८ सब माया-मुलायम-लालू से। ये तिकड़ी ना चाहते हुए भी साथ है। जैसे कि पिछले लेख में मैंने कहा था कि तीनों कुछ भी कर जाएंगे पर सरकार को समर्थन जरूर देंगे। हुआ भी बिल्कुल वही। क्योंकि तीनों के तीनों बचने की फिराक में हैं। एक शायर हुए थे फिराक। उन्होंने क्या खूब कहा था---

ये ना समझ कि हम तेरी फिराक में हैं,
हम तो उसकी फिराक में हैं जो तेरी फिराक में है।


यहां पर इन लोगों पर ये चंद शब्द कुछ यूं बैठते हैं---

ये ना समझ कि हम तेरी फिराक में हैं,
हम तो उसकी फिराक में है जो हमारी फिराक में है।


ये बचाना चाहते हैं सीबीआई के हंटर से। मतलब साफ है कि तीनों के तीनों ने समर्थन एक डर कि वजह से किया है। आज नहीं तो कल इन पर चार्जशीट तो लगनी ही है। इन तीनों का चालान तो होना ही है। दुनिया को ये दिखाने के लिए रह जाएगा कि कांग्रेस को सरकार बनाने में समर्थन भी किया अब सरकार हमारे ऊपर ही ऊंगली उठा रही है। यूपी में मिली कांग्रेस की बढ़त अब इन से देखी नहीं जा रही है। ये चाहते हैं कि यूपी में आने वाले दिनों में यदि कांग्रेस की तरफ से कोई भूचाल आता है तो अपना बचाव वो यूं कर सकें। राज्य में बीएसपी की सरकार है तो पहले पत्ता मुलायम-अमर का ही कटेगा। लालू तो चुनाव के नतीजों से मरे हुए हैं जब तक संभलेंगे तब तक सीबीआई कोई ना कोई रास्ता निकाल ही लेगी।
जहां तक कांग्रेस का सवाल है कि उसको राज्यसभा की स्थिति पर गोर भी तो करना ही होगा। अभी तो कांग्रेस को मंत्रिमंडल बंटवारे पर माथापच्ची करनी होगी।

मनमोहन यूपीए के नेता चुने गए, सरकार का दावा ठोंकने गए पर फिर भी बात पूरे समय राहुल की ही होती रही। जहां भी देखो तो चर्चा का केंद्र बिंदु युवराज ही क्यों बने हुए हैं? क्यों? यूपीए की पहली बैठक में जो शुमार हुए। राहुल को अब तो कोई पद संभाल लेना चाहिए या सीधे पीएम का पद ही संभालेंगे।

आपका अपना
नीतीश राज

1 comment:

  1. करिश्मा उन्हीं का तो है हाल ऐ यूपी...तो क्यूँ न हो ऐसा...मेरे भाई-इसे स्वीकार करो!! अन्य कोई राह उपयुक्त नहीं अभी.

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पोस्ट पर आप अपनी राय रख सकते हैं बसर्ते कि उसकी भाषा से किसी को दिक्कत ना हो। आपकी राय अनमोल है, उन शब्दों की तरह जिनका कोईं भी मोल नहीं।

“जब भी बोलो, सोच कर बोलो,
मुद्दतों सोचो, मुख्तसर बोलो”