चुनवा हो गए और जनता ने चुन लिए हैं अपने नेता। साथ ही बता दिया है कि जनता के लिए कौन से मुद्दे हैं जिनपर वो वोट देती है। इस बार के चुनावों में जनता ने अपने आपको वोट दिया। जिसको चाहा उसको ही संसद की राह दिखाई। जनता विकास देखना चाहती है, अव वो ठगा जाना नहीं चाहती, अब वो नहीं डरती। जिनसे डरती थी उनको इस बार वोट नहीं दिया।
जनता ने कर दिखाया वो काम जो कि कानून की मोटी-मोटी किताबें और धाराएं नहीं कर सकी क्योंकि कानून ने बांध रखी है आंख पर पट्टी। जनता ने पूरा पत्ता साफ कर दिया उन बाहुबलियों का जो कल तक अपने आप को नेता कहते थे, जिनके ऊपर चलते थे कई मकद्दमें, पर हुए नहीं थे फैसले जनता ने एक उंगली से ही कर दिया फैसला, और कर दिया उन सभी का सूपड़ा साफ।
उत्तर प्रदेश हो या फिर बिहार या फिर महाराष्ट्र सभी जगह से ये भाई लोग हारे। हर कोई हारा चाहे कितना बड़ा हो या फिर कितना ही भारी। पर फिर भी 150 दागी उम्मीदवार पास होने में कामयाब हो ही गए, जिसमें बीजेपी से 42, कांग्रेस से 41, समाजवादी पार्टी से 8 दागी संसद में पहुंच गए हैं।
उत्तर प्रदेश में जनता ने काफी उलटपलट कर दिया। गाजियाबाद के डीपी यादव का पश्चिमी उत्तर प्रदेश में काफी रसूख है पर इस बार वो भी काम नहीं आया और जनता ने उन्हें भी टिकट देने से इनकार कर दिया। वैसे भी राजनीति में डीपी यादव के अब चंद ही दिन बाकी रह गए थे तो जनता ने इस बार बता दिया कि वो दिन भी पूरे हो गए। अतीक अहमद को अपना दल ने प्रतापगढ़ से टिकट दिया था पर ना तो अतीक का ना ही अपना दल का और ना ही इन दोनों का प्रताप कुछ काम आया।
मुख्तार अंसारी को बीएसपी ने वाराणसी से दिया था टिकट। बीजेपी के विधायक कृष्णानंद राय के कत्ल के आरोप में गाजीपुर जेल में बंद हैं मुख्तार अंसारी। इस बार जनता ने मुख्तार को संसद के अंदर का नहीं जेल के अंदर का टिकट काट कर दे दिया। मुख्तार के बड़े भाई अफजाल अंसारी को टिकट तो मिल गया पर गाजीपुर से जीत नहीं।
उन्नाव की लोकसभा सीट इसलिए इस बार काफी चर्चा में रही क्योंकि यहा की प्रत्याशी कांग्रेस की अनु टंडन के प्रचार के लिए सलमान खान गए थे। अनु टंडन का मुकाबला था वहां के डॉन अरुणशंकर शुक्ला उर्फ अन्ना का। लेकिन जनता ने डॉन को नहीं सीधी सादी अनु टंडन को संसद का टिकट दे दिया।
बिहार में इस बार सब को पता था कि नीतीश कुमार की मेहनत रंग लाएगी। नीतीश कुमार ने बिहार में लोगों के अंदर से भय गायब किया है। तो जनता ने भी इस का जवाब देते हुए राज्य से साले साहब साधु यादव, तसलीमुद्दीन, मुन्ना शुक्ला, रामा सिंह, प्रभुनाथ सिंह जैसे आपराधिक तत्वों को हरा कर नीतीश का साथ दिया है। पूर्णिया से बाहुबलि पप्पू यादव की पत्नी रंजीता रंजन सुपौल से और मां पूर्णिया से बुरी तरह हारी। सीवान से शहाबुद्दीन की बेगम हिना, आनंद मोहन की पत्नी लवली आनंद और डॉन सूरजभान की पत्नी वीणा नवादा से अपने पति के कर्मों के कारण इन्हें हार का मुंह देखना पड़ा।
जनता ने लेकिन इस बार ये दिखा दिया कि यदि वो चाहे तो क्या नहीं कर सकती है। पर अभी जनता को और जागरुक होना होगा। नामचीन बाहुबलियों को और उनके मंसूबों को तो जनता ने हरा ही दिया है पर फिर भी यदि देश को सुरक्षित रखना है तो इन दागियों को संसद का टिकट पाने से सिर्फ जनता ही रोक सकती है।
वहीं दूसरी तरफ जनता ने इस बार जितने भी सौदेबाज थे उतनों को हराकर साबित किया है कि वो स्थाई सरकार बनाना चाहती है। जितनी भी छोटी पार्टियां चंद सीटें जीतने के बाद सौदे करती है उन्हें जनता ने सिरे से नकार दिया। जनता ने कहा 'NO TO THEM'. चाहे वो लालू हों या फिर पासवान या फिर मुलायम-अमर की जोड़ी या फिर माया या लेफ्ट की कोई नई चाल। ऐसा हुआ कि कुछ गढ़ से ही कुछ का तो पत्ता साफ हो गया।
जनता है ये सब जानती है...पब्लिक है....।
आपका अपना
नीतीश राज
"MY DREAMS" मेरे सपने मेरे अपने हैं, इनका कोई मोल है या नहीं, नहीं जानता, लेकिन इनकी अहमियत को सलाम करने वाले हर दिल में मेरी ही सांस बसती है..मेरे सपनों को समझने वाले वो, मेरे अपने हैं..वो सपने भी तो, मेरे अपने ही हैं...
Monday, May 18, 2009
जनता है ये सब जानती है....
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“जब भी बोलो, सोच कर बोलो,
मुद्दतों सोचो, मुख्तसर बोलो”
pahli baar janta ne bahubaliyon ko unka sahi raast dikhaya hai...
ReplyDeleteइस बार के नतीजे लोकतंत्र के लिये अच्छे संकेत है।
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