Saturday, September 12, 2009

कल खुशी पर भारी पड़ा गम।


कहीं खुशी, कहीं गम, ये ही हाल रहा दो दिन के बारे में कहूं तो। दिल्ली में बारिश ही बारिश। हरियाणा से यमुना में पानी भी छोड़ा गया जिसके कारण दिल्ली में बाढ़ जैसे हालात हो गए हैं। पता नहीं कितने सालो बाद ऐसी बारिश हुई है। शायद 98 में दिल्ली में ऐसा ही एक बार हुआ था जब कि यमुना पुश्ता पर पानी भर गया था और दिल्ली में बाढ़ आई थी।
एक गाना हुआ करता था रिमझिम गिरे सावन....पर अब तो सावन बीत जाए और फिर रिमझिम शुरू हो जाए। ये हाल हो गया है मौसम का।

वैसे, मैं यहां पर बात क्या करने वाला था और क्या करने लग गया। कल के दिन खुशी मिली पर जब गम सामने आया तो वो खुशी पर भारी पड़ गया।

ऑफिस में इस बात का इंतजार हो रहा था कि क्या भारत आज का मैच जीत जाएगा। चार विकेट गिर चुके थे। मैं और मेरे साथ ही कुछ इस पर चर्चा भी कर रहे थे कि जब स्कोर छोटा होता है तो टीम इंडिया जरूर उतना ही मर मर कर जीतती है। ये नहीं कि शेर की तरह खेले और जल्दी जीत कर मैच को रफा-दफा करे। चार विकेट गिर चुके थे, द्रविड़ ने 65 मिनट क्रीज पर रहकर 45 गेंदों में महज 14 रन बनाए। द्रविड़ एक महान खिलाड़ी हैं पर क्यों द्रविड़ वन डे को भी टेस्ट की तरह खेलते हैं।

इस बीच एक खबर ने सब में रोमांच भर दिया। पहले था कि सीरीज जीतने पर ही टीम इंडिया नंबर वन बन पाएगी। पर अब ये खबर आई कि न्यूजीलैंड को हराने के साथ ही हम नंबर वन बन जाएंगे पर नंबर वन बने रहने के लिए कॉम्पेक कप जीतना जरूरी होगा। और थोड़ी देर बाद ही धोनी और रैना ने जीत दिला दी। धोनी और रैना दोनों की तारीफ करना चाहूंगा कि दोनों ने सूझबूझ कर बैटिंग की और अंत तक टिके रहे। आशीष नेहरा को मैन ऑफ द मैच से नवाजा गया। सचिन को सम्मान के रूप में बाइक दी गई जिसपर इस बार सचिन खुद ही बैठे धोनी को बैठने का मौका नहीं दिया।

अब बात गम की भी कर लें।

अभी ऑफिस से घर की तरफ निकले ही थे कि पता चला कि डीडी ने सेमीफाइनल और फाइनल के राइट्स खरीद लिए हैं। अब तो लगा कि वर्ल्ड बॉक्सिंग चैंपियनशिप में भी भारत का झंडा ऊंचा होगा और विजेंदर अपने बाउट जीतकर फाइनल की जंग में पहुंच जाएगा।

पूरे ऑफिस में बताया गया कि रात के 1.30 बजे है बाउट। मैं घर पहुंच कर खाना पीना करके टीवी खोलकर कभी कुछ कभी कुछ देखते हुए जगने की कोशिश में लग गया। बार-बार न्यूज पर वापिस आता कि जब तक क्रिकेट का ही लुत्फ ले लिया जाए। दिल में एक इच्छा थी कि विजेंदर जीत जाए क्योंकि हाल ही में करोड़ों का मुनाफा हुआ है विजेंदर को।

इतिहास तो विजेंदर ने भी रच ही दिया है। पहली बार कोई भारतीय बॉक्सर इस ऊंचाई तक पहुंच पाया है। यदि विजेंदर जीत जाए तो अच्छा होगा क्योंकि बहुत हो लिया क्रिकेट। पर ये ही सोचते-सोचते कब नींद आगई पता ही नहीं चला। सुबह जब उठा तो तुरंत टीवी चलाया देखा तो हर न्यूज चैनल पर सिर्फ क्रिकेट ही क्रिकेट चल रहा था। लग गया कि विजेंदर का क्या हुआ। यानी हार गया विजेंदर।

जी हां, उजबेकिस्तान बॉक्सर अब्बोस अतोव जिसकी रैंक इस चैंपियनशिप में चौथी थी उसने पहली रैंक विजेदर को 7-3 से मात दे दी। जबकि पहले राउंड में 0-1 से आगे चल रहा थे विजेंदर। पर दूसरे राउंड में ज्यादा डिफेंसिव मोड विजेंदर को हार के कगार पर ले गया। और उजबेक बॉक्सर ने दूसरे राउंड में 5 अंक बटोर लिए और फिर अंतिम राउंड में तो सिर्फ खानापूर्ति ही रह गई। अतोव ने 2007 में लाइट वेट में वर्ल्ड चैंपियनशिप में फाइनल जीता था और वो भी तब जब कि वो बाउट के दौरान प्रतिद्वंदी के पंच के कारण नीचे गिर गए थे। दूसरे राउंड के बाद स्कोर 5-1 था और अंत में 7-3 से विजेंदर हार गया और मुझे लगता है कि बॉक्सिंग का फ्यूचर भी हार गया।

मैंने टीवी बंद कर दिया था। सोच रहा था कि आज भी दो मैच हैं। जहां एक जगह टीम इंडिया श्रीलंका से भिड़ेगी, वहीं दूसरी तरफ जीतेगा भी भारत और हारेगा भी भारत। अमेरिकी ओपन टेनिस चैंपियनशिप में भूपति और पेस होंगे आमने-सामने। देखते हैं कि खुशी मिलती है या फिर आज का पार्ट-2।
आपका अपना
नीतीश राज

3 comments:

  1. वाह आपका यह हिसाब-किताब पसंद आया.. हैपी ब्लॉगिंग

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  2. हम्म यह हुई न बात

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  3. जी हाँ!
    आपने बिल्कुल सही लिखा है।
    खुशी और गम दोनों दायें-बायें जीवन के साथ-साथ चलते हैं।

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