Wednesday, May 19, 2010

ये फैसला तो जरूरी था।


पिछले वर्ल्ड टी 20 में मैंने एक पूर्व क्रिकेटर और चयनकर्ता से पूछा था कि कौन सी टीम सब से प्रबल दावेदार है कप की। उनके जवाब से मैं संतुष्ट नहीं हुआ। मैंने कहा कि पाकिस्तान को आप कम मत आंकिए ये कभी भी उल्टफेर करने का माद्दा रखती है। उनका जवाब क्या था वो आप को बाद में बताता हूं पहले बात इस बारे में।

ये तो जरूरी था।

7 दिन के अंदर नोटिस का जवाब देना होगा भारतीय टीम के 6 खिलाड़ियों को जिन्होंने वर्ल्ड टी-20 में भारत की शर्मनाक विदाई के बाद पब में पंगा किया था। युवराज सिंह, जहीर खान, आशीष नेहरा, रोहित शर्मा, पीयूष चावला और रवींद्र जडेजा को बोर्ड ने नोटिस जारी किया। वैसे तो हारने के बाद भारतीय जमीन पर कदम रखते ही आशीष नेहरा का पीछा पब ने नहीं छोड़ा था। पर पब के किसी भी तरह के पंगे से उन्होंने गुस्से की हंसी के साथ साफ-साफ इनकार किया था। साथ ही टीम के वरिष्ठ खिलाड़ी युवराज सिंह ने सोशल नेटवर्किंग साइट ट्विटर में कहा था कि उनका कोई पंगा नहीं हुआ।
वेस्टइंडीज टूर पर भारतीय टीम मैनेजर रंजीव बिस्वाल ने खिलाड़ियों के इनकार के बाद जो रिपोर्ट सौंपी उसमें ये साफ था कि पब में पंगा हुआ था पर हाथापाई नहीं हुई थी

कितनी शर्म की बात है कि सीनियर खिलाड़ियों ने ऐसा बर्ताव किया। हार गए और ऐसा बर्ताव। सीनियर खिलाड़ी बखूबी जानते हैं कि क्रिकेट को खुदा की तरह समझने वाले देश भारत के प्रशंसक कैसे हैं। इन्होंने गलती की और गलती के बाद झूठ बोला। एक बार नहीं बार-बार। वहीं दूसरी तरफ, हम यदि ये कहें कि हार का गम था और फैन्स को ऐसा कुछ नहीं कहना चाहिए था तो ये भी गलत है। ऐसा तो होना ही था पर हां उसको अंत कुछ इस तरह होगा ऐसा शायद ही किसी ने सोचा हो। ये अनुशासनात्मक कार्रवाई इन खिलाड़ियों के ऊपर होनी थी और ये जरूरी भी थी।

धोनी का बयान, एक तीर दो निशाने

वहीं धोनी ने कहा कि टीम के चयन में चयनकर्ता उनकी सुनते नहीं है। तो ये बात पहले भी कही जा सकती थी। जब तक टीम जीत रही थी तब तक आपको भी कोई दिक्कत नहीं हुई पर जैसे ही टीम हारी आप भी खिलाड़ियों के साथ छोड़कर दूर खड़े होगए। जबकि ये बात आप खुद जानते हैं कि इस बार के टी-20 में आपके कई फैसलों पर सवालिया निशान लगाया जा रहा है। लेकिन धोनी कहीं ना कहीं टीम / बोर्ड की राजनीति को भी सामने लाना चाहते हैं।

बोर्ड भी कठघरे में

असल मायने में बोर्ड पर भी सवाल उठना चाहिए। ना वो कोच की सुनती ना ही वो कप्तान की सुनती, क्यों? याद है मुझे पिछले वर्ल्ड टी-20 में हार के बाद भी बोर्ड के एक सदस्य का ये ही कहना था जो कि इस बार भी दोहराया उन्होंने कि यदि खिलाड़ियों को थकान महसूस हो रही थी तो वो बताते तो हम उन्हें आराम देते। रटा-रटाया बयान फिर से जैसे पढ़ दिया गया हो। यानी की वो बोर्ड अधिकारी पुरानी गलतियों से सबक नहीं लेते हैं, इससे तो ये ही जाहिर होता है।
दूसरी बात, इस बात से मैं तो कतई इत्तेफाक नहीं रखता कि सहवाग की जगह मुरली विजय को भेजने का फैसला ठीक कहा जाएगा। आईपीएल की फॉर्म रॉबिन उथप्पा को भेजने की हिमायती दिखती है पर फिर ये फैसला क्यों लिया गया, शायद सेलेक्टर ही जानते हों। मुरली विजय जिस टीम से आईपीएल में खेलते हैं उस टीम के मेंबर बोर्ड में भी मेंबर हैं।

आईपीएल असर तो डालता ही है....

आईपीएल ने फायदा दिया या घाटा पहुंचाया इस पर बहुत समय से बहस हो रही है पर जहां पर जिस देश में आईपीएल ने जन्म लिया और उस देश का कप्तान ये कहे कि थैंक्स, अगली बार पहले वर्ल्ड कप है बाद में आईपीएल। इस बयान से आप एक कप्तान की व्यथा जान ही सकते हैं कि आईपीएल में कितना पेंच होता है। शायद ये ही कारण है कि इस बार आईपीएल के किसी भी खिलाड़ी ने वहां पर परचम नहीं लहराया।

जाते-जाते----अच्छा हुआ कि इंग्लैंड जीता कप

पिछले वर्ल्ड टी 20 में मैंने एक भूतपूर्व क्रिकेटर और चयनकर्ता से पूछा था कि कौन सी टीम सब से प्रबल दावेदार है इस बार वर्ल्ड टी 20 की। उनके जवाब से मैं संतुष्ट नहीं था। मैंने कहा कि पाकिस्तान को आप कम मत आंकिए ये कभी भी उल्टफेर करने का माद्दा रखती है। उनका जवाब था कि नए खिलाड़ी हैं क्या जीतेंगे। जवाब में मैंने कहा कि पिछली बार भी तो भारत जीत गया था सभी बच्चे थे। पाकिस्तान की ये टीम नहीं जीत सकती, उन्होंने जवाब दिया।
जब पाकिस्तान ने कप जीता, मेरा उनसे आमना-सामना कई बार हुआ अब वो कभी बातचीत में ऐसी कोई लाइन नहीं लेते कि ये तो नहीं हो सकता।
अच्छा हुआ फिर इस बार वो टीम जीती जिसे दावेदार की सूची में नहीं रखा जा रहा था। जितने लोग थे उतने चैंपियन थे, कोई कह रहा था वेस्टइंडीज, द. अफ्रीका, पाकिस्तान शायद भारत भी...। पर अच्छा हुआ कि इंग्लैड जीत गया। पहली बार इतिहास में इंग्लैंड ने कोई ऐसा खिताब जीता है। इंग्लैंड में शुरू हुआ क्रिकेट आज तक एक बार भी 50-50 का चैंपियन नहीं बन पाया है। ब्रिटेन की लेबर पार्टी की सचमुच में हार हुई और ब्रिटेन में बदलाव आ ही गया।

आपका अपना
नीतीश राज

3 comments:

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“जब भी बोलो, सोच कर बोलो,
मुद्दतों सोचो, मुख्तसर बोलो”