Friday, November 21, 2008

डकवर्थ लुईस नियम ने कम किया जीत का मजा

क्रिकेट में क्या कभी बाद में बैटिंग करने वाली टीम विकेट की जगह रनों से जीतती है। जी हां, जब भी कभी डकवर्थ लुइस नियम लागू होता है तब ऐसा ही होता है। डकवर्थ लुइस नियम है क्या? शायद ही कुछ को पता हो। डकवर्थ और लुइस थे जिन्होंने इस नियम को बनाया था। डकवर्थ लुइस वो नियम है जब कभी मैच किसी कारणवश पूरा नहीं हो पाता या कि कोई बाधा आजाती है तो इसका इस्तेमाल किया जाता है। जो भी टीम पहले खेलती है उससे मिले लक्ष्य को एक फार्मूल में डाल दिया जाता है जो कि कंप्यूटर पर पहले से सेव होता है(जैसे कि जन्मपत्री के लिए करते हैं हम, कंप्यूटर पर पहले से ही सोफ्टवेयर डला होता है बस आंकड़े भरने होते हैं)। इस नियम के अंतर्गत 15 ओवर का खेल होना जरूरी है। फिर 16 ओवर से लेकर पूरे ओवर तक के बार(BAR) सामने आ जाते हैं। उनमें हर ओवर के हिसाब से विकेट और रन का लक्ष्य दिया होता है साथ ही यदि इतने ओवर तक बाद में खेलने वाली टीम के ५ विकेट गिरते हैं तो उनके रन निर्धारित रनों से ज्यादा होने चाहिए। और ये कागज स्कोरर, दोनों टीमों के कप्तान और या यूं कहें कि हर खिलाड़ी को इस आंकड़ों के बारे में जानकारी होती है। और सभी खिलाड़ी इसी को ध्यान में रखकर खेलते हैं।
ना ही कोई खिलाड़ी और ना ही देखने वाले इस तरह के फैसले से खुश होते हैं। फिर क्या है कि आईसीसी अपने इन नियमों में फेरबदल क्यों नहीं करती। कोई भी टीम शायद ये नहीं चाहती होगी कि कभी भी इस तरह से फैसला हो।
यदि भारत और इंग्लैंड के बीच हुए तीसरे वन डे की बात करें तो,
पहली बात- मैच 45 मिनट की देरी से शुरू हुआ। तो उसका खामियाजा खेल पर क्यों?
दूसरी बात- जब मैच 45 मिनट की देरी से शुरू हुआ तो सिर्फ 2 ओवर कम क्यों किए गए।
तीसरी बात- जब मैच 45 मिनट देरी से शुरू हुआ तो लंच के समय में कमी क्यों नहीं की गई। जब कि नियम ये है कि 60 मिनट का खेल यदि बाधित होता है तो फिर दोनों कप्तानों की सलाह पर ये 10 मिनट का लंच टाइम कम किया जाता है। पर 15 मिनट यदि खेल कम बाधित होता है तो उसके लिए नियम कुछ नहीं कहते।
चौथी बात- धोनी-पीटरसन ने ये कहा कि उन्हें पता था कि अंत में मैच का निर्णय डकवर्थ से ही पूरा होगा। तो क्या आईसीसी और अंपायर पैनल को समय को आधार बनाकर नहीं चलना चाहिए था जिसके कारण मैच पूरा हो सके।
भारत को इस मैच में जीत तो मिल गई लेकिन क्या इस जीत से हम अपने आपको उस तरह से जोड़ पा रहे हैं जिस तरह हम पिछले दो मैचों की जीत से अपने को जोड़ पाए थे। शायद नहीं। मैच पर लाखों लोगों की निगाह टिकी हुई थी लेकिन शायद ही कोई चाहता होगा कि मैच का अंत कुछ इस तरह से हो। सब चाहते थे कि भारत जीते पर पूरे तरीके से, अंत तक खेलते हुए।
अंत तक मैच फंसा हुआ था। भारत को जीत के लिए 9 ओवर में 43 रन चाहिए थे। भारत की रन रेट वैसे इंग्लैंड से ऊपर चल रही थी। लेकिन भारत ने अपने 5 क्रीम प्लेयर खो दिए थे। यदि धोनी और यूसुफ में से कोई भी आउट हो जाता तो 241 का स्कोर ही पहाड़ लगने लगता। या दो विकेट जल्दी निकल जाते और तब मैच बाधित होता तो भी मैच भारत के हाथ से निकल जाता। पर ये सब तब है जब ऐसा होता तो पर अभी सच ये है कि भारत 3-0 से सीरीज में आगे है।

3-0 से आगे भारत

इंग्लैंड ने टॉस जीता और इस बार पहले खुद बल्लेबाजी करने का फैसला किया। इस बार नीचे जमकर खेल रहे बोपारा से ओपनिंग कराई गई। इंग्लैंड का ये तुरुप का पत्ता इस बार काम भी कर गया और पहले विकेट की साझेदारी 79 रन की हुई जब कि बेल को मुनाफ ने धोनी के हाथों विकेट के पीछे कैच करवाया जब कि बेल 46 रन के निजी स्कोर पर खेल रहे थे। कप्तान ने अपने को इस बार तीसरे नंबर पर उतारा और लगा कि इंग्लैंड की इस मैच को लेकर नई रणनीति शायद कारगार हो जाए पर फिर भज्जी ने पीटरसन को 13 के स्कोर पर पवैलियन की राह दिखा दी। धोनी ने कमाल की स्टंपिंग का परिचय देते हुए कोलिंगवुड को आउट किया। पर शायद बोपारा ये बात भूल गए कि इस दुनिया के सर्वश्रेष्ठ विकेट कीपरों में से एक धोनी के सामने क्रीज से पैर बाहर निकालने का मतलब सिर्फ और सिर्फ पवैलियन की राह होती है। 8 चौके की मदद से बोपारा ने 60 रन बनाए। धोनी ने इन दो स्टेंपिंग से दुनिया के उभरते हुए कीपरों को ये बताया कि आखिरकर कीपरिंग की कैसे जाती है। फ्लिंटॉफ और शाह के आने से लगा कि शायद इंग्लैंड बड़ा स्कोर खड़ा करने में कामयाब हो जाएगा पर भारत के स्पिनरों ने इन बल्लेबाजों की एक नहीं चलने दी। 48.4 गेंद पर भारत के सामने 241 रन का लक्ष्य रखकर इंग्लैंड की पूरी टीम पवैलियन लौट चुकी थी। हरभजन सिंह ने 3 विकेट लिए मुनाफ-ईशांत को 2-2 विकेट मिले।
भारत के दिमाग में डकवर्थ का ख्याल शुरूआत से ही था। पर भारत के दो विकेट 34 रन पर गिर गए। गंभीर(14) और रैना(1) कानपुर में बिना कमाल दिखाए ही सस्ते में लौट गए। पर दूसरी तरफ सहवाग टीम के स्कोर को बढ़ाते रहे। फिर रोहित शर्मा के साथ मिलकर भारत के स्कोर को 100 के ऊपर तक पहुंचाया और फिर रोहित को स्वान ने आउट किया। फिर वीरु का साथ निभाने आए पिछले दो मैचों के हीरो युवराज सिंह और अपने हाथ दिखाए। बाद में खेलने उतरी भारत को पिच से दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा था। तभी सहवाग 68 के निजी स्कोर पर फ्लिंटॉफ का शिकार बन गए। सहवाग ने 76 गेंदों पर 8 चौक और 1 छक्के की मदद से 68 की पारी खेली। धोनी और यूसुफ पठान ने अच्छा खेल दिखाते हुए भारत का स्कोर 40 ओवर में 198 रन बना लिए थे जब मैच खराब रोशनी के कारण रोक देना पड़ा और भारत 16 रन से जीत गया।
पर सच ये है कि भारत ने ये मैच जीत लिया पर इस फैसले के कारण जीत का वो मजा आना था वो नहीं आया जिसके हम हकदार थे।

आपका अपना
नीतीश राज

2 comments:

  1. सबसे ज्यादा अनिश्चितताओं वाले इस खेल को इन दो सज्जनों ने जैसे अपने अजिबोगरीब नियमों में बांधा है, वह शुरु से ही विवादास्पद रहा है। जैसा वृक्ष लगा है वैसे ही फल मिल रहे हैं।

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  2. हमे नही शोंक इस मुई का, यह तो हमारा खेल ही नही ,
    धन्य्वाद

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