Wednesday, May 13, 2009

.....और भारत हार गया।

.....और भारत हार गया। जी हां, एक बार फिर हार गई हॉकी। एशिया कप की पूर्व चैंपियन भारत 2009 एशिया कप के सेमीफाइनल में जगह नहीं बना पाई। सेमीफाइनल में पहुंचने के लिए भारत को चीन से हर हाल में मैच जीतना था पर भारत नहीं जीत सका। 70 मिनट का हूटर जब बजा तो भारत के अरमान खत्म हो चुके थे, मैच का स्कोर 2-2 था और सेमीफाइनल में चीन था, भारत नहीं।

हमने फिर से अंत में गोल खाने की आदत को नहीं सुधारा और मैच को गंवा बैठे। पहले हाफ में भारत ने 2-0 से बढ़त बना रखी थी। पहले हाफ के खत्म होने से महज चार मिनट पहले मिले पेनल्टी कॉर्नर में संदीप सिंह ने गोल दाग कर भारत को 1-0 से बढ़त दिला दी। फिर हाफ खत्म होने से सिर्फ एक मिनट पहले संदीप सिंह ने पेनल्टी कॉर्नर से दूसरा गोल दागकर भारत को 2-0 से आगे कर दिया था।

वहीं दूसरे हाफ में चीन ने भारत की रक्षात्मक तकनीक के ऊपर बढ़कर हमले करने शुरू कर दिए। और इसमें उन्हें सफलता भी 45 मिनट में मिले पेनल्टी कॉर्नर से मिल गई। भारत ने कई मौके बनाए मगर कामयाबी नहीं मिली। साथ ही लगातार रक्षात्मक खेल का उदाहरण देते हुए खिलाड़ी इतने दबाव में आगए कि 59वें मिनट में चीन ने बराबरी कर ली। भारत को अंतिम मिनट पर पेनल्टी कॉर्नर मिला था जिससे लग रहा था कि भारत ये मैच जीत जाएगा पर चीन के गोलकीपर सू री फेंग ने कमाल का बचाव किया और चीन को सेमीफाइनल में पहुंचा दिया। चीन ने इस मैच को बराबरी पर खत्म कर दिया और भारत को सेमीफाइनल की दौड़ से बाहर। पता नहीं हमारे खिलाड़ियों को जीतता मैच बचाना क्यों नहीं आता?

अब भारत 14 मई को दोपहर 3 बजे अंतिम स्थान पर नहीं आने की जंग लड़ेगा बांग्लादेश के साथ। वैसे बांग्लादेश ने अभी तक इस टूर्नामेंट में 21 गोल खाए हैं और मात्र 1 गोल मलेशिया के खिलाफ किया है। वहीं भारत ने 4 गोल किए हैं और पांच खिलाफ हुए हैं। यदि भारत मैच जीत जाता है तो पांचवें स्थान के लिए 15 मई को शाम 5 बजे जापान के साथ मुकाबला होगा।

अजलान शाह जीतने के बाद कोच हरेंद्र ने सोचा था कि इस बार भी परचम भारतीय खिलाड़ी ही लहराएंगे, पर ये हो ना सका। जब हरेंद्र सिंह कोच के रूप में अच्छा प्रदर्शन कर रहे हैं तो फिर क्या जरूरत है भारत को विदेशी कोच की। पता नहीं क्यों?

कोरिया, पाकिस्तान और फिर भारत का नाम सेमीफाइनल में पहले से ही माना जा रहा था साथ ही मलेशिया की टीम ने पिछले टूर्नामेंट में भी अच्छा प्रदर्शन किया था तो चौथी टीम वो ही मानी जा रही थी। सभी टीमें वहीं हैं पर एक टीम सेमीफाइनल से बाहर है वो है भारत। कब हम दबाव में जीतना सीखेंगे? कब जीतता हुआ मैच बचाना सीखेंगे? आखिर कब तक लीड लेकर मैच गवाएंगे? कब तक अंतिम मिनट में मिले मौकों को यूं ही बेकार कर देंगे और दबाव में ठीक से रिजल्ट नहीं दे पाएंगे? आखिर कब तक हम अपनी इस कमजोरी पर विजय पाएंगे? आखिर कब तक?

आपका अपना
नीतीश राज

3 comments:

  1. चलो कोई बात नहीं..जब पिछली बार जीत जाने की खुशी न मनाई तो अब हारने का दुख क्या मनाना..और किस मूँह से. जीतने पर क्या दे दिया था???

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  2. जय गोविन्दम जय गोपालम

    हार गये तो डरना क्या
    हार के पीछे मरना क्या
    इससे ज्यादा क्या होगा
    टीम में भर्ती का टालम
    जय गोविन्दम जय गोपालम

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  3. अबकी हारे है तो फिर जीतंगे.............
    आशा पर जीवन कायम है

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