1983 में कपिल के रणबांकुरों ने इसी लॉर्ड्स के मैदान पर वेस्टइंडीज की धुरंधर टीम को मात देकर वर्ल्ड कप जीता था। उस दिन कपिल देव ने विवियन रिचर्डस का कैच लपका था आज उसी मैदान पर सिमोन्स ने उसी तरह गंभीर का कैच पकड़ा। सुपर 8 के अपने पहले ही मुकाबले में चैंपियन भारत हार गया। कप्तान धोनी की कप्तानी नहीं चली और ना ही काम आई युवराज की शानदार पारी। भारत ने टॉस जीतकर पहले बल्लेबाजी करने का फैसला किया। फैसला तब गलत साबित होने लगा जब भारत के तीन बल्लेबाज महज 29 रन पर पवैलियन लौट गए। गौतम गंभीर 14 रन, रोहित शर्मा और सुरेश रैना 5 रन।
कप्तान-उपकप्तान से आस, पर कप्तान ने किया निराश
फिर क्रीज पर थे कप्तान और उप कप्तान। दोनों से टीम को बहुत उम्मीदें थीं। पर कप्तान धोनी बल्ले से कुछ भी कमाल नहीं दिखा सके और महज 11 रन बनाकर पवैलियन लौट गए। इन 11 रन को बनाने के लिए धोनी ने गेंद खेली 23 और इस 11 रन में धोनी किसी भी गेंद को बाउंड्री के पार नहीं पहुंचा सके। वहीं दूसरी तरफ मैच से पहले उपकप्तान बने युवराज सिंह ने लाज बचा ली। युवी ने 43 गेंद का सामना करते हुए 67 रन की पारी खेली। इस पारी में 6 चौके और 2 छक्के शामिल थे। एडवर्डस ने अपनी ही गेंद पर कैच लपककर युवी की पारी को समाप्त किया।
नहीं दिखा यूसुफ पठान का जलवा
यूसुफ पठान का जलवा वैसा नहीं दिखा जैसा आईपीएल में दिखा था। जैसी उम्मीद यूसुफ से थी उसके पासंग भी नहीं फटके यूसुफ मियां। कई बार सिर्फ बल्ला घुमाते नजर आए। जब पठान से उम्मीद थी कि वो 2-4 छक्के मार कर टीम के स्कोर को मजबूती की तरफ ले जाएंगे वहीं पर वो विफल रहे। 23 गेंद पर 31 रन जिसमें 3 चौके और 1 छक्का। इरफान भी कोई कमाल बल्ले से नहीं कर पाए। पर अंत में भज्जी ने हाथ जमाते हुए महज़ 4 गेंदों पर 3 चौकों की मदद से नाबाद 13 रन बनाए।
टीम इंडिया ने युवराज के आउट होने के बाद अंतिम 20 गेंदों पर सिर्फ 23 रन जोड़े जो कि हार का एक मुख्य कारण बने। वेस्टइंडीज की तरफ से ब्रावो ने 4 और एडवर्डस ने 3 विकेट झटके और किसी अन्य गेंदबाज को कोई भी सफलता नहीं मिली। भारत की पूरी टीम पर ये दो गेंदबाज ही भारी पड़े।
इंडीज की बैटिंग, शुरूआती झटके के बाद कमाल
154 रन का पीछा करते हुए वेस्टइंडीज को शुरुआत में ही इरफान ने फ्लेचर को आउट कर दिया। पर दूसरी तरफ गेल जमे रहे और भारत की मुश्किलें बढ़ाते रहे। यूसुफ पठान ने जब जहीर के हाथों केच लपकवाकर गेल को 22 के स्कोर पर आउट किया तो लगा कि टीम जीत सकती है पर ये दिन टीम इंडिया के लिए नहीं था। सिमोन्स और ब्रावो ने सारे गेंदबाजों को पीटा। ब्रावो ने सब गेंदबाजों को धुना। सिमोन्स को ओझा ने इरफान के हाथों कैच आउट किया। 5 चौकों की मदद से 37 गेंद पर सिमोन्स ने 44 रन बनाए। वहीं ब्रावो ने सिर्फ 36 गेंद पर शानदार नाबाद 66 रन बनाए, इसमें 4 चौके और 3 छक्के शामिल थे। ब्रावो बने मैन ऑफ द मैच। भारत की तरफ से भज्जी ने क्रिस गेल के सामने ओवर मेडिन डाला।
ना चला बल्ला, ना चली कप्तानी, कीपिंग में भी कांपे हाथ
बल्लेबाजी के ऑर्डर में फेरबदल, क्या होगया धोनी को? इस महत्वपूर्ण मुकाबले से ठीक पहले धोनी ने बल्लेबाजी क्रम में फेरबदल किया। अभ्यास मैच और लीग मुकाबलों में धोनी ने 3 नंबर पर बल्लेबाजी की, तो क्या वजह थी कि इस महत्वपूर्ण मुकाबले में धोनी ने फेरबदल किया और रैना को 3 नंबर पर भेजा। धोनी ने कीपिंग में भी गलती की। सिमोन्स को रन आउट करने का मौका धोनी ने गंवा दिया और साथ ही ब्रावो का कैच छोड़ना ये काफी भारी पड़ा। धोनी के दिमाग में क्या चल रहा है ये बता पाना तो मुश्किल है लेकिन उसकी बानगी देखने को मिली जब कि धोनी ने वीरू के जाने के बाद पूछा गया कि कौन हो टीम इंडिया का उपकप्तान। तो धोनी ने युवराज की जगह गंभीर का नाम लिया। ऐसा क्यों? क्या धोनी अपने ऊपर कोई भी सीनियर टीम में नहीं चाहते। पर अभी पूरा वर्ल्ड कप बाकी है धोनी यदि सब को साथ लेकर चलें तो ये कप हमसे कोई नहीं छीन सकता।
इस मैच की हार से ये भी अंदाजा लगाया जा सकता है कि स्टेडियम में भारतीय प्रशंसकों का दिमाग इतना खराब हुआ कि उन्होंने भारत के खिलाफ वेस्टइंडीज के लिए नारे लगाने लगे। वैसे आज इस मैच को देखने के लिए वो शख्स भी लॉर्ड्स के स्टे़डियम में मौजूद था जिसे पूरा भरोसा है कि टीम इंडिया ये कप किसी और को नहीं लेने देगी। सचिन तेंदुलकर भी स्टेडियम में मौजूद थे शायद निराश होंगे कि भारत इतनी बुरी तरह से हार गया।
आपका अपना
नीतीश राज
"MY DREAMS" मेरे सपने मेरे अपने हैं, इनका कोई मोल है या नहीं, नहीं जानता, लेकिन इनकी अहमियत को सलाम करने वाले हर दिल में मेरी ही सांस बसती है..मेरे सपनों को समझने वाले वो, मेरे अपने हैं..वो सपने भी तो, मेरे अपने ही हैं...
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“जब भी बोलो, सोच कर बोलो,
मुद्दतों सोचो, मुख्तसर बोलो”
बहुत अच्छा विश्लेषण किया आपने. और बहुत उम्दा सलाह भी दी.
ReplyDeleteरामराम.
सच मे अखरने वाली रही ये हार्।ये बात भी सच है बिना सब को साथ लिये जीतना बेहद कठीन है और इस बात को धोनी को समझना ही पड़ेगा वर्ना टीम तो धुलेगी ही उनको भी धो दिया जायेगा।दादा का हाल देख कर तो सीख ले ही लेना चाहिये।
ReplyDeleteवेस्टइंडीज की शुरुआती गेंदबाजी आक्रामक थी जबकि हमारी सुरक्षात्मक। हमारे तेज गेंदबाजों में धार की कमी है क्यूँकि ज़हीर अभी भी पूरी तरह फिट नहीं हैं। रैना को पिछले मैच में भी तीसरे नंबर पर आना चाहिए था। रही धोनी की बात तो उन्हें ये सोचना होगा कि उनकी बैटिंग में क्या कमियाँ हैं जिससे वो चाहकर भी आक्रामक खेल नहीं दिखा पा रहे।
ReplyDeleteहम भारतीया हर जगह अपनी राजनिति करने से वाज नही आते, अगर सब मिल कर चले तो हम पुरे विश्व पर छा सकते है, लेकिन हाये री किस्मत
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