14 अगस्त को पोस्ट डाल के कहीं जाना था तो निकल गया। कंप्यूटर शट डाउन कर चुका था तो सोचा कि चलो आज़ादी की बात कल ही करूंगा। जब अगले दिन कंप्यूटर खोला तो थोड़ी ही देर बाद एक छोटी सी विंडो आई और उसमें एक एर्रर लिखा हुआ था। जब तक उसे एर्रर को पढ़ पाता तब तक स्कैन विंडो खुल गई और उसमें पहला, फिर दूसरा और फिर तीसरा वायरस दिखा और कंप्यूटर बंद। तुरंत रिस्टार्ट किया और जल्दी से स्कैन पर डाल दिया कि एंटी वायरस अपडेट हो ही रहा है तो शायद सारे वायरस मारे जाएं। कंप्यूटर स्टार्ट तो बड़े ही आराम से हो गया लेकिन फिर वो ही प्रकरण और कंप्यूटर बंद।
अपने ऑफिस में सिस्टम(आईटी डिपार्टमेंट) के दोस्तों को अपने कंप्यूटर के लक्षण बताए तो उन्होंने कहा कि बीमार हो गया है तुम्हारा कंप्यूटर। बीमारी का नाम है वायरस। तुम्हारे कंप्यूटर पर शत्रुओं ने हमला कर दिया है और वायरस रूपी मिसाइलें दाग दी हैं जिससे बच पाना किसी भी सूरत में नामुमकिन है। तुम्हारा कंप्यूटर एफेक्टिड हो चुका है और ये स्वाइन फ्लू की तरह है यहां से वहां बहुत जल्दी फैलता है।
कंप्यूटर को सेफ मोड में चलाओ और सी ड्राइव से जो भी डेटा है वो निकाल लो। मैंने तुरंत उन सब चीजों को पेन ड्राइव में सुरक्षित कर लिया। फिर पास के ही एक अस्पताल यानी कंप्यूटर अस्पताल से डॉक्टर को बुलाया। डॉक्टर साहब आए और टूट पड़े इंजेक्शन यानी स्क्रू ड्राइवर लेकर और उतारने लगे कंप्यूटर के कपड़े।
नवज टटोलकर, धड़कन सुनकर डॉक्टर रूपी इंजीनियर ने बताया कि मिसाइलों के एटैक से आप की ’सी’ ड्राइव पूरी तरह छतिग्रस्त हो चुकी है और अब उस हिस्से को बचा पाना हमारे बूते की बात नहीं है। हमने पूछा तो इलाज बताएं डॉक्टर साहब। इलाज, इलाज तो एक ही है, पूरी ’सी’ ड्राइव फोरमेट की जाएगी मतलब नई बनाई जाएगी। गो एहेड (go ahead) हमने परमिशन दे दी।
डॉक्टर साहब ने आधे घंटे बाद माथे का पसीना पोछकर बोले, लीजिए आपकी ’सी’ ड्राइव फिर से जिंदा कर दी है। हैं ना हम कलाकार। हमने मन ही मन सोचा, सच आप कलाकार तो हैं ही। पर तभी कंप्यूटर जी ने आवाज़ लगाई डॉक्टर साहब, दवाई तो देते जाओ। डॉक्टर साहब ने तुरंत एक गोल सी रोटी निकाली और हमारे कंप्यूटर के मुंह में डाल दी।
थोड़ी ही देर में एंटी वायरस इंस्टॉल हो चुका था। पर ये क्या, एर्रर।।। अब डॉक्टर साहब की हालत खराब, हमने छूटते ही कहा अब कलाकारी दिखाइए। कंप्यूटर का नीला चेहरा देख डॉक्टर साहब के चेहरे का रंग ही उड़ गया। दो घंटे की मशक्कत और बीच में कई और डॉक्टरों से फोन पर राय लेने के बाद डॉक्टर साहब ने फैसला सुनाया। पेसेंट को अस्पताल में एडमिट कराना होगा। हम बोले अभी लेकर चलते हैं जल्दी चलेंगे तो शायद रात अपने घर पर कटे।
आदमी जैसा सोचता है वैसा होने लगे तो कहने ही क्या। जिस्म अस्पताल में और घर पर सिर्फ कंप्यूटर का बुझा-बुझा चेहरा। ऐसा लग रहा था दो जिस्म एक जान को जुदा कर दिया गया हैं। कितना काला पड़ गया बेचारे का मुंह।
जो भी हो अस्पताल से डिस्चार्ज कर दिया गया। फिर से दोनों मिले पर वो पहले वाली बात नहीं आई। चेहरे ने जिस्म का साथ छोड़ना शुरू कर दिया। फिर डॉक्टर साहब को बुलाया गया इस बार फिर वो ही इंजेक्शन, वो ही नंगा करने का प्रकरण, बड़ा दुखदाई। फिर से ’सी’ ड्राइव बेचारी शहीद और फिर से जान फूंकी और वाह वाही लूटी गई। इस बार मरीज को पावर का टॉनिक दिया गया यानी कंप्यूटर की रेम बढ़ाई गई।
कंप्यूटर जी फिर दौड़ने लगे, हमने हाथ जोड़े कि वायरस फीवर भी तो 7 दिन खींच ही लेता है। पर यहां डॉक्टर साहब गए और कंप्यूटर जी ने 100 घंटे की रफ्तार को ब्रेक लगाया और हो गए फिर से री स्टार्ट।
हमने तुरंत अस्पताल में फोन लगाया अब तो डॉक्टर भी बचने लगे थे पर फिर भी टाइम मिल गया। आज दिन में किसी भी वक्त डॉक्टर साहब कम इंजीनियर साहब तसरीफ लाएंगे और अपने मरीज को देखेंगे। हमने भी इस बार अस्पताल में कह दिया है कि बहुत बार आप कंपाउंडर कम डॉक्टर को भेज चुके अब एक बार तो रीयल डॉक्टर को भेज दीजिए।
ग्यारह दिन के बाद आज लिख रहा हूं। इसमें भी हर दो-चार शब्द के बाद ’कंट्रोल एस’ करना नहीं भूलता। अभी ये लिखते वक्त भी कंप्यूटर जी बंद हो गए थे पर कंट्रोल एस ने बचा लिया। कंप्यूटर जी गर खराब हो जाएं तो क्या हाल होता है अब पता चल रहा है। इतनी खबरें हुईं कि लिखने को आतुर था पर.....। भगवान से दुआ करता हूं आज कंप्यूटर जी ठीक हो जाएं। जहां तक एर्रर देख लग रहा है कि नई रैम की प्रोब्लम है। यदि ठीक हो गया तो फिर नितीश नित हो जाएगा।
आपका अपना
नीतीश राज
"MY DREAMS" मेरे सपने मेरे अपने हैं, इनका कोई मोल है या नहीं, नहीं जानता, लेकिन इनकी अहमियत को सलाम करने वाले हर दिल में मेरी ही सांस बसती है..मेरे सपनों को समझने वाले वो, मेरे अपने हैं..वो सपने भी तो, मेरे अपने ही हैं...
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“जब भी बोलो, सोच कर बोलो,
मुद्दतों सोचो, मुख्तसर बोलो”
आपके कम्प्यूटर की सेहत के लिये दुआ करते हैं। सेफ़ मोड में!
ReplyDeleteआपके कंप्यूटर जी की दुआएं भी सेफ मोड़ में !
ReplyDeleteवैसे ये सेफ मोड़ है बड़ा मजेदार यदि आपके उन डाक्टर महोदय ने सेफ मोड़ में कंप्यूटर जी को चला कर कुछ दिन पहले की तारीख में री-स्टोर कर दिया होता तो बेचारे कंप्यूटर जी को इतने इन्जेक्शनो का दर्द नहीं झेलना पड़ता | और ना ही सी ड्राइव को शहीद होना पड़ता | पिछले दिनों मेरे कंप्यूटर में भी एक एसा वाइरस घुस गया कि कुछ खोलने तक नहीं दे रहा था लेकिन बेटे ने देखते ही सेफ मोड़ में चला कर दो दिन पीछे री स्टोर कर दिया और वाइरस बाहर | वरना हम भी बेकअप लेते घूमते और सी ड्राइव कि शहादत तो होती ही |
हे प्रभु, इअनकी रक्षा करो!!
ReplyDeleteयह प्रार्थना है!
ठीक से चेक-अप कराना।
ReplyDeleteकही स्वाइन फ्लू न हो गया हो।
बहुत बहादुर हैं आप। एक झटके में जल्लाद को इज़ाज़त दे दी। रतन सिंह जी जैसे रिस्टोर का फंडा बहुत काम आता है ऐसे में। पिछले 20 वर्षों मे दसियों मालिकाना हक वाले कम्प्यूटरों को हमने कभी फॉर्मेट नहीं किया। उखड़ती साँसें वापस ले ही आएँ हैं।
ReplyDeleteअब कहने वाले कहते हैं कि फॉर्मेट करना आता ही नहीं होगा!! :-)
आपका कंप्यूटर हमेशा चुस्त दुरुस्त रहे ऐसी इस सोफ्टवेयर इंजिनियर की कामना है :)
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