Saturday, August 15, 2009

रात की काली चादर, वो घुप अंधेरा और वो कमरा और उसमें टिमटिमाती बत्तियां-3

अब आगे...
हमने टाइगर बीयर ऑर्डर की और उसी काउंटर पर एक कौना पकड़ लिया और हल्के-हल्के कदमों से थिरकते रहे पर सिर्फ जब कि कोई हमें देखता तब वर्ना पब कल्चर।
हमारे दोस्तों में जिनके साथ उनकी बैटर हाफ थीं वो लगे थिरकने। उस पब में धीमी लाइट पर लाउड म्यूजिक और टेबल चेयर लगा हुआ था। लग ऐसा रहा था कि रात 9 बजे तक वो रेस्टोरेंट कम बार रहता होगा और फिर पब में तब्दील हो जाता होगा।

पब में अधिकतर १६ से लेकर २५ साल के रहे होंगे अधिक से अधिक ३० के पार का कोई नहीं होगा हमें चंद को छोड़कर। अधिकतर नई जमात की पौध लग रहे थे। चहरे पर बाल आए नहीं थे और मजा लेने में लगे थे कॉकटेल का। ऐसा लग रहा था कि सब के पास इफरात पैसा हो। एक शख्स सिर्फ खड़ा-खड़ा हिल रहा था और उसने इतने टाइट कपड़े पहने थे कि लड़कियां भी पीछे रह जाएं। मैं उसे कतई डांस नहीं कहता वो दो पैग अंदर करता चुसकियां ले-ले कर और फिर लग जाता हिलने। उनके साथ जो बंदियां थी वो डांस कर रहीं थीं।

वहीं दूसरी तरफ १८-१९ साल के एक लड़के और लड़की मैं कॉम्पटीशन हो गया। भरे गिलास को सर पर रख कर कौन अधिक देर तक डांस कर सकता है? यहां म्यूजिक शुरू हुआ ‘....नशा शराब में होता तो नाचती बोतल....’। वहां लगे वो दोनों डांस करने और लड़की ने राजस्थानी फोक डांस करना शुरू किया तो लड़का उसी तर्ज पर उसको फॉलो करता रहा। दोनों बहुत अच्छा डांस कर रहे थे सभी उन्हें ही देख रहे थे। जब लोग ताली के साथ उन दोनों का हौसला बढ़ाने लगे तो एक लड़का और लड़की जो कि बहुत देर से कोने में रसपान कर रहे थे डिस्टर्ब हुए और खाने खाते वक्त यदि कंकड़ आ जाए तो जैसा बुरा मुंह कोई बना सकता है उस मुंह के साथ दोनों उनको देखने लगे। गाना खत्म होते होते लड़की का भरा जाम उसके सर से सरका और झट से उसने उसे कैच किया और वहां लड़की की जीत में तालियां और तेजी से बज उठीं।

उस शो के खत्म होते के साथ ही सभी अपने-अपने काम में लग गए और वो जोड़ा सड़ा सा मुंह हटाकर अच्छे मुंह के साथ एक दूसरे के मुंह से.....। मैंने गौर किया तो थोड़ी देर तक तो मुझे ये ही समझ नहीं आया कि उस लड़की ने पहना क्या हुआ है। मैंने ज्यादा दिमाग खर्च नहीं किया क्योंकि अब उन दोनों के पास से आंख हटा ही लेना बेहतर था क्योंकि दोनों के हाथ अब हदें पार करने लग गए थे। वो भी समझ गए और थोड़ा डार्क में चले गए। वहां पता चल रहा था कि कोई है पर कौन है और क्या कर रहा है ये पता नहीं चल रहा था।

तभी एक जोड़ा मेरे सामने से गुजरा यदि रेलवे स्टेशन पर दोनों होते तो कोई शायद उन्हें भीख में कपड़े ही दान कर देता। लड़के ने और लड़की ने दोनों ने शायद सिर्फ दिखाने के लिए ही कपड़े पहने थे। कुछ ऐसे लोग भी थे जो कि पूरे कपड़े पहने हुए थे पर उन्होंने शायद २१-२२ को पार कर लिया था। मैं दंग था।

मेरी बीयर खत्म होने वाली ही थी और तभी बार बंद कर दिया गया। अब किसी को दारू नहीं मिलेगी। मैंने अपने दोस्त से पूछा कि पेमेंट कर दी? उसने बताया कि क्रैडिट कार्ड बारटेंडर के पास ही पड़ा हुआ है। तब मैंने देखा कि करीब ४५-५० कार्ड रखे हुए थे एक ग्लास के ऊपर और उनके नीचे आपका बिल। जब बिल आया तो मैंने यूं ही जानने के लिए ये देखा कि एक बीयर की कीमत क्या पड़ी है। जो एक बीयर बाहर शायद ३०-४० की मिल जाएगी वो २५० की पड़ी।

हम चलने को तैयार हो रहे थे। वो टाइट कपड़े वाला बंदा अभी भी हिल रहा था साथ ही चुसकियां ले रहा था और उसकी बंदी अभी भी डांस कर रही थी पसीने में तरबतर। सर पर ग्लास बैलेंस करने वाले दोनों हाथ में हाथ डाले कर अपनी चेयर से अपने दोस्तों के साथ खड़े हो गए। तभी उन लोगों को क्रॉस किया उन दोनों ने जो कॉर्नर में रसपान कर रहे थे। लड़का रुका और बार टेंडर से कुछ कहने लगा। मुझे लड़की को देखने का मौका मिला मैं जानना चाहता था कि उसने क्या पहना है। पर अब भी निराश ही हुआ क्योंकि लाइट और डिम कर दी गई। मेरे दोस्त ने मेरा हाथ पकड़ा और बाहर की तरफ खींचने लगा।

पब कल्चर में हमारा इंट्रो उस पब की रीत या रिवाज नहीं था। ऐसा नहीं था कि ये उनकी कर्टसी थी वो तो हमारे उस फ्रेंड का कमाल था जिसने उसमें हमें एंट्री दिलाने के बाद उसके मालिक जो कि उसका दोस्त था उससे स्पेशल ट्रीटमेंट मांगा था। जो कि ये पार्टी उस जोड़े के लिए उसकी तरफ से गिफ्ट हो जाए। ये बात मुझे वहां से निकलते वक्त पता चली थी जब कि उस पब का मालिक हमें छोड़ने नीचे तक आया। उसने मेरे दोस्त के आइडिए की तारीफ की और मुझे उस बात का पता चला। मैंने वहां पर उसका और उसके दोस्त यानी पब के मालिक का शुक्रिया अदा किया और अपनी गाड़ी की तरफ बढ़ गया।

दुकानें लगभग बंद हो चुकी थी एक पान की दुकान खुली थी जो कि बंद होने ही वाली थी उसमें से एक मालबोरो लाइट लेकर सुलगाई और पान मसाला लेकर आगे बढ़ गया। पार्किंग में पहुंचा तो सिगरेट के चंद कश ले चुका था काफी दिनों के बाद पी थी सिगरेट। सिगरेट की बदबू बीयर की बदबू पर भारी पड़ती है और उपर से पान मसाला तो कोई एक बार में ये नहीं जान सकता कि मैंने थोड़ी बीयर पी रखी है। चारों तरफ नजर दौड़ाई तो कोई पुलिस वाला मौजूद नहीं, दूर-दूर तक नहीं। मैंने सिगरेट फेंकी और गाड़ी में बैठ गया।

थोड़ी देर में ही मेरी गाड़ी घर के रास्ते पर दौड़ चली। पान मसाला खाते हुए मेरे दिमाग में कई सवाल दौड़ रहे थे। क्या पब से हमारी नई जेनरेशन के कदम बहक तो नहीं रहे। जितने भी फैशन शो में पारदर्शी कपड़े देखे हैं मैंने यहां पर देखे। शायद उस लड़की ने भी इतना पारदर्शी पहन रखा था और इतना छोटा कि सब कुछ दिख रहा था। वो सारे कपड़े शायद यहां पर चलते हैं। कुछ इतना पीजाते हैं कि फिर उनको गाड़ी तक पहुंचाने के लिए भी बाउंसर की जरूरत पड़ती है। ऐसा सिर्फ लड़कों के साथ ही नहीं लड़कियों के साथ भी होता है। सही जगह पर दिमाग ना लगा कर वो नई पौध अपना आगे आने वाला कल ही खराब कर रही है। पर शायद पब में आने वाली नेक्स्ट जेनरेशन का कितना हिस्सा होगी शायद कुछ फीसदी और ये ही नेक्स्ट जेनरेशन नहीं है। गाड़ी घर की पार्किंग में लगाकर मैंने मोबाइल देखा तो समय रात के ३.४० बजा रहा था, घर की डोर बैल बजाने के लिए उठा हाथ वापस नीचे आगया और सोने के लिए मैंने वापिस गाड़ी का रुख किया।

आपका अपना
नीतीश राज

1 comment:

  1. आपका संस्मरण पढ़ा ... और मुझे बहुत दिलचस्प लगा

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