Monday, August 3, 2009

अभी राखी के स्वयंवर का पार्ट २ बाकी है

दर्शक तैयार रहें ड्रामा क्वीन के नाटकों के लिए और साथ ही इलेश परुजनवाला को भी ये नहीं समझना चाहिए कि राखी सावंत उनकी हो गईं क्योंकि फिल्म तो अभी बाकी है मेरे दोस्त...

चौदह हजार लोगों की याचिकाओं में से सिर्फ सोलह लोगों को चुना गया था और उन सोलह लोगों में से भी एक-एक करके सिर्फ तीन लोग बाकी रह गए। करीब दो वीक के फेमिली ड्रामे के बाद राखी के पास अवसर था कि वो किस लड़के को अपना दूल्हा चुनती हैं। राखी के स्वयंवर ने पूरे देश को ठीक रात ९ बजे छोटे पर्द के सामने बैठने पर मजबूर कर दिया। राखी सावंत के स्वयंवर की टीआरपी ने एनडीटीवी इमेजिन को इस समय पर सबसे ऊपर लाकर खड़ा कर दिया था। अब भी जब कि स्टार प्लस पर सच का सामना और सोनी पर इस जंग से मुझे बचाओ शुरू होने के बाद भी उसकी टीआरपी में ज्यादा फर्क नहीं आया था। सभी न्यूज चैनलों पर भी राखी ही राखी छाई रहीं। दर्शकों से पूछा गया कि कौन होगा राखी का दूल्हा?

हर चैनल पर इसके जवाब में ७०-७५ फीसदी से अधिक लोगों की राय एक थी इलेश परुजनवाला। साथ ही राखी के मुंह बोले भाई रवि किशन का भी ये ही मानना था कि इलेश से बेहतर दूल्हा राखी के लिए तो कोई और नहीं हो सकता। राखी को दुनिया से इतना प्यार इसलिए मिला क्योंकि एक मध्यमवर्गी फैमली से राखी का ताल्लुक। हर लड़की ये चाहती कि वो राखी की तरह बोल्ड बने। राखी ने जब चाहा वो किया, जैसे चाहा वैसे किया, मीडिया को जैसे चाहा वैसे नचाया। याद होगा पिछला वेलेंटाइन डे, पूर्व प्रेमी अभिषेक को राखी ने जड़ा थप्पड़ और उस थप्पड़ की गूंज ने जहां लड़कों में रोष पैदा किया था वहीं लड़कियों ने उसकी बोल्डनेस को सराहया था। पूरे दिन मीडिया में सुर्खियों में बनी रहीं थी राखी। ये राखी सावंत का स्टाइल था। प्रेमी छोड़ा तो डंके की चोट पर अब सगाई की तो वो भी ड़ंके की चोट पर। इसी कारण राखी इतनी लोकप्रिय हुई और लोगों ने उन्हें आईटम गर्ल के साथ-साथ ड्रामा क्वीन कहकर बुलाना शुरू कर दिया।

याद होगा पिछला वेलेंटाइन डे, पूर्व प्रेमी अभिषेक को राखी ने जड़ा थप्पड़ और उस थप्पड़ की गूंज ने जहां लड़कों में रोष पैदा किया था वहीं लड़कियों ने उसकी बोल्डनेस को सराहया था। पूरे दिन मीडिया में सुर्खियों में बनी रहीं थी राखी। ये राखी सावंत का स्टाइल था।

वहीं दूसरी तरफ राखी तीनों दूल्हों के परिवार से मिल कर, बहुत देख-परखने भी चुकी थीं। जैसा सब जानते थे कि मानस कत्याल और क्षितिज जैन दोनों ने राखी से समय मांगा था और दोनों ही उम्र में राखी से छोटे थे। राखी असमंजस में थी कि क्या फैसला ले। वहीं इलेश परुजनवाला एक एनआरआई टोरंटो बेसड बिजनेसमैन था जो हर लिहाज से राखी के लिए उपर्युक्त था पर राखी की टूटी-फूटी अंग्रेजी यहां पर उसकी दुश्मन बन रही थी।

स्वयंवर में राखी बार-बार दूल्हों से, उनके परिवार वोलों से, टीवी देख रहे लोगों से ये कहती रहीं कि ये स्वयंवर असली है। ये कोई रिएलिटी शो नहीं है कि अंत में शादी ना हो। ऋषिकेश के मनमोहन तिवारी की मां के पूछने पर राखी का जवाब ये ही था कि ये असली स्वयंवर है यहां से शादी करके ही मेरी विदाई होगी। पर अब क्या ये दर्शकों को बेवकूफ बनाना नहीं हुआ।

राखी और एनडीटीवी इमेजिन ने शादी से पहले एक गेम खेल दिया। अब तक जो ये कहते आ रहे थे कि राखी जिस लड़के को पसंद करेंगी उसी से शादी भी करेंगी। राखी ने अंत में अपने स्वयंवर में एक टविस्ट के साथ इलेश परुजनवाला को वरमाला डाल दी। पर ये वरमाला स्वयंवर की रस्मों को पूरा करने के लिए भर थी। वहीं इलेश को इस बात के लिए मनाया गया कि पहले शादी नहीं सगाई हो जिससे आप दोनों को एक दूसरे को समझने का मौका मिलेगा।

राखी ने इलेश को चुन तो लिया पर वो विश्वास राखी के अंदर नहीं जग पाया जिसके कारण वो इलेश को अपना जीवनसाथी मान सकें। शो में कुछ रस्मों को पूरा करने के लिए ही सगाई की रस्म की गई और हवाला दिया गया कि भारत में पहले सगाई और फिर शादी होती है। वहीं राखी ने कई बार इलेश को बोलने का पूरा मौका भी नहीं दिया गया और खुद राखी ने इलेश के नाम पर कई बातों को मीडिया और लोगों से कह दिया।

पर ये पहला स्वयंवर होगा जहां पर दुल्हन ने दूल्हा तो चुना पर उससे शादी नहीं की। शायद राखी अभी अपनी टीआरपी समझती हैं साथ ही क्या वो अभी भी अपने पुराने आशिक अभिषेक के लिए मौके खुले रखना चाहती हैं। दर्शक तैयार रहें ड्रामा क्वीन के नाटकों के लिए, राखी के स्वयंवर पार्ट २ के लिए एनडीटीव एमेजिन पर। साथ ही इलेश परुजनवाला को भी ये नहीं समझना चाहिए कि राखी सावंत उनकी हो गईं क्योंकि फिल्म तो अभी बाकी है मेरे दोस्त....।

आपका अपना
नीतीश राज

5 comments:

  1. तो क्या इलेश बच जायेगा... जाकों राखे साईयां मार सके न कोई..........

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  2. वैसे इतने ड्रामे के बावजूद राखी का इमेज सुधरा है, कम से कम मेरी नि‍गाह में। पर इलेश से शादी नहीं होती है तो इसमें फर्क भी पड़ सकता है:)

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  3. isee vishay par maine bhi haasya vyangya likha hai....dekhiyega

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  4. अभी तो इस स्वयंवर पुराण के कईं अध्याय लिखे जाने बाकी हैं:)

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पोस्ट पर आप अपनी राय रख सकते हैं बसर्ते कि उसकी भाषा से किसी को दिक्कत ना हो। आपकी राय अनमोल है, उन शब्दों की तरह जिनका कोईं भी मोल नहीं।

“जब भी बोलो, सोच कर बोलो,
मुद्दतों सोचो, मुख्तसर बोलो”