Monday, July 13, 2009

ये तो सरासर लापरवाही है, पर क्या इतनी बड़ी कीमत के लिए तैयार हैं हम।

सुबह 5.45 के करीब मुझे पता चला कि दिल्ली में मेट्रो के निर्माणधीन (कंस्ट्रेक्शन) पुल गिर गया। मेरी पहली प्रतिक्रिया थी की क्या फिर से? मुझे याद है कि विकासमार्ग पर जो हादसा हुआ था वो भी रविवार को ही हुआ था जिसमें एक लांचर मशीन ब्लूलाइन बस पर गिर गई थी।

पिलर नंबर 67 में तीन महीने पहले दरार देखी गई थी और इस बात की जानकारी डीएमआरसी को भी थी तो फिर इसकी तफ्तीश क्यों नहीं की गई
इस बार उसी कड़ी को आगे बढ़ाते हुए जमरूदपुर में हादसा हुआ है। दो पिलर के बीच का गडर गिर गया और उसमें कुछ मजदूर दब गए। इस हादसे में 5 की मौत हुई और लगभग 15 मजदूर घायल हुए।
ये माना जा रहा था कि पिलर नंबर 67 में तीन महीने पहले दरार देखी गई थी और इस बात की जानकारी डीएमआरसी को भी थी तो फिर इसकी तफ्तीश क्यों नहीं की गई। इस हादसे ने कई सवाल खड़े किए हैं। तीन महीना कम नहीं होता बहुत समय होता है। इसमें सिर्फ लापरवाही ही दिखती है। 2007 से ही कई बड़े हादसे हो चुके हैं तो आखिर इसकी वजह क्या है? हाल ही में कई बड़े-बड़े हादसे होते-होते बचे हैं।
दो पिलर के बीच का गडर गिर गया और उसमें कुछ मजदूर दब गए। इस हादसे में 5 की मौत हुई और लगभग 15 मजदूर घायल हुए
इस बार माना ये भी जा रहा है कि मेट्रो के पिलर की दूरी के अंतराल के कारण ये हादसा ना हुआ हो। पर श्रीधरन जी की दलील है कि ऐसा तो कई जगह पर किया गया है और इससे कोई असर नहीं पड़ता।

क्या मेट्रो मैन का इस्तीफा इस लापरवाही की कीमत है? यदि हां, तो कहीं ये कीमत ज्यादा तो नहीं?

1963 में रेलवे मिनिस्टर अवॉर्ड, 2001 में पद्मश्री, टाइम्स ऑफ इंडिया ने 2002 में मैन ऑफ द ईयर सम्मान

मेट्रो के इस हादसे के बाद मेट्रो मैन ने इस्तीफा दे दिया। मेट्रो के एमडी ई श्रीधरन ने दिल्ली की सीएम शीला दीक्षित को इस पूरे हादसे की जिम्मेदारी लेते हुए इस्तीफा दिया। ई श्रीधरन वो शख्स हैं जिन्होंने कोंकण रेलवे और दिल्ली मेट्रो प्रोजेक्ट को समय से पहले और बजट के अंदर पूरा किया।
पूर्व मुख्य चुनाव आयुक्त टी एन शेशन के साथ स्कूल में एक ही क्लाश शेयर कर चुके श्रीधरन जी रेलवे में आने से पहले लेक्चरर थे। 1990 में रेलवे से रिटायर होने से पहले श्रीधरन साहब ने रेलवे में कई ऐसे मकाम छुए जो कि उनकी कामयाबी बताते हैं। सबसे पहले अपने काम का हुनर रामेश्वरम में रेलवे पुल का निर्माण करके दिखाया जिस काम को करने के लिए कम से कम 90 दिन का वक्त दिया गया था उस काम को उन्होंने निर्धारित वक्त से आधे समय में ही पूरा कर दिया और रेलवे से खिताब भी लिया। कोलकाता में देश की सबसे पहली मेट्रो को अंजाम देने के लिए ई श्रीधरन को प्लानिंग, डिजाइन से लेकर काम की पूरी जिम्मेदारी सौंपी गई थी।

ये पहली बार नहीं है जब कि कंस्ट्रेक्शन कंपनी गैमेन इंडिया की गलतियों का खामियाजा उसके मजदूरों को भुगतना पड़ा है।

2005 में दिल्ली मेट्रो के लिए श्रीधरन जी को मेनेजिंग डायरेक्टर बनाया गया। जिस बात के लिए श्रीधरन जी प्रसिद्ध थे उन्होंने दिल्ली में भी वो ही किया। दिल्ली में मेट्रो का काम अभी तक या तो समय पर हुआ है या फिर समय से पहले हुआ। साथ ही साथ हर प्रोजेक्ट बजट के अंदर ही रहा। श्रीधरन जी ने 2005 के अंत तक डीएमआरसी से रिटायरमेंट की बात कही थी। पर दिल्ली मेंट्रो के दूसरे चरण के कारण उनका कार्यकाल 3 साल और बढ़ा दिया गया था।
फ्रांस सरकार ने 2005 में नाइट ऑफ द लीजन ऑफ हॉनर का सम्मान दिया था। हाल ही में पाकिस्तान सरकार ने लाहौर में मेट्रो के प्लान के लिए श्रीधरन जी को पाकिस्तान बुलाया था। साथ ही यूएई सरकार भी 2005 में दुबई में प्रोजेक्ट लगाने के लिए बुला चुकी है। पर श्रीधरन ने दोनों ऑफर ठुकरा दिए थे।

1963 में रेलवे मिनिस्टर अवॉर्ड, 2001 में पद्मश्री, टाइम्स ऑफ इंडिया ने 2002 में मैन ऑफ द ईयर सम्मान, टाइम ने वन ऑफ एशियाज हीरोज का खिताब 2003 में दिया, 2008 में पद्मभूषण खिताब से भी उनको नवाजा गया साथ ही कई और खिताब भी दिए गए।

तो क्या इस मेट्रो मैन को मेट्रो से खोने के लिए तैयार हैं हम। मुझे तो नहीं लगता कि हम तैयार हैं पर हां ये भी मानता हूं कि एक व्यक्ति के ऊपर पूरा भरोसा नहीं दिखाना चाहिए पर यहां उन्होंने ऐसा किया है कि विश्वास करना ही पड़ता है।

कठघरे में कंस्ट्रेक्शन कंपनी गैमेन इंडिया

ये पहली बार नहीं है जब कि कंस्ट्रेक्शन कंपनी गैमेन इंडिया की गलतियों का खामियाजा उसके मजदूरों को भुगतना पड़ा है। इससे पहले हैदराबाद में 2007 में एक पुल निर्माण के दौरान भी हादसा हुआ था जिसमें 2 को अपनी जान से हाथ धोना पड़ा था और साथ ही कुछ मजदूर गंभीर रूप से घायल हुए थे। आंध्रप्रदेश सरकार ने एक जांच कमेटी बनाई थी जिसने गैमेन इंडिया और कंस्लटेंट और सिविक अथॉरिटी को दोषी पाया और उन पर कार्रवाई की बात कही थी।

तकनीकि खामी के कारण हादसा हुआ या फिर कोई और कारण था पर डीएमआरसी ने 4 सदस्यों की कमेटी बना दी है पर अब भी ये ही सवाल उठता है कि क्या कमेटी की रिपोर्ट को माना जाएगा?

आपका अपना
नीतीश राज

4 comments:

  1. खैर, है तो दुखद ही!!

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  2. हर जगह सुरक्षा मानको के पालन को सबसे मुख्‍य वरीयता मिलनी चाहिए !!

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  3. बेशक दुखद है मगर श्रीधरनजी जैसे समर्पित इन्सान का इस्तीफा बहुत बडी कीमत होगी आभार्

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  4. मैं क्या कहूँ स्वयं पोस्ट बहुत कुछ कहती है
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    श्री युक्तेश्वर गिरि के चार युग

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पोस्ट पर आप अपनी राय रख सकते हैं बसर्ते कि उसकी भाषा से किसी को दिक्कत ना हो। आपकी राय अनमोल है, उन शब्दों की तरह जिनका कोईं भी मोल नहीं।

“जब भी बोलो, सोच कर बोलो,
मुद्दतों सोचो, मुख्तसर बोलो”