किसी भी देश का कोई प्रतिनिधि यदि किसी देश का दौरा करता है तो सबसे पहले माना ये जाता है कि दोनों देशों के बीच संबंध मधुर होंगे और साथ ही कुछ नई राह खुलेंगी। कुछ समझौतों भी हो सकते हैं साथ ही कुछ नए प्रोजेक्ट पर भी चर्चा होगी। और यदि वो देश आतंकवाद का शिकार रहा है तो फिर आतंक से निपटने की बात भी होगी।
जब अमेरिका की विदेश मंत्री हिलेरी क्लिंटन भारत के दौरे पर मुंबई पहुंची तो लगा कि भारत-अमेरीका के रिश्तों में ये एक अच्छी शुरूआत होगी। अमेरिका की पहली महिला राष्ट्रपति के पद से चूक चुकीं हिलेरी ने भारत में आकर रिश्तों को आगे तो बढ़ाया पर इस रिश्ते पर सवाल भी खड़ा कर दिया।
हिलेरी क्लिंटन ने मुंबई में 26/11 आतंकवादी हमले में मारे गए लोगों को श्रद्धांजलि दी साथ ही उसकी तुलना अमेरिका में हुए 9/11 हमलों से कर दी। ताज होटल के कर्मचारियों के जज्बे की तारीफ और बहादुरी की तारीफ की “....मैं आपके जज्बे को सैल्यूट करती हूं...मैं सलाम करती हूं मुंबई के साहस को ...”। हिलेरी वहां मौजूद थी जहां आंतकवादियों ने क़हर बरपाया था। ताज होटल की लॉबी में वो उस जगह पर मौजूद थीं, जहां 26/11 की याद में 'ट्री ऑफ लाइफ' बनाया गया था।
एक तरफ तो हिलेरी ने देशवासियों को ये याद दिला दिया कि अमेरिका भारत के साथ है आतंकवाद की लड़ाई में। पर दूसरी तरफ ट्री ऑफ लाइफ के पास खड़ीं हिलेरी ने पाकिस्तान की तारीफ में कसीदे भी पढ़ दिए। उन्होंने कहा कि पाकिस्तान के राष्ट्रपति जरदारी आतंकवाद को खत्म करने की जीतोड़ कोशिश कर रहे हैं। सिर्फ वो यहीं पर नहीं रुकी उन्होंने ये भी कहा कि पाकिस्तान आतंकवाद के खिलाफ ठोस कदम उठा रहा है। यहां इस बात का हवाला देने का क्या मतलब। क्या वो यहां पर पाक की पैरोकार बन कर आईं हैं। शायद नहीं क्योंकि उन्होंने प्रेस कॉन्फ्रेंस में ये कह दिया था कि वो सिर्फ भारत-अमेरिका के रिश्तों पर ही बात करेंगी। तो फिर पाकिस्तान की तारीफ करने का क्या मतलब? या वो भारत में अमेरिका का स्टेंड साफ कर रहीं थी कि अमेरिका क्या सोचता है?
हाल ही में जरदारी ने कहा था कि अमेरिका पर 9/11 हमलों के बाद पाकिस्तान के लिए ही पाक टुकड़ों पर पलने वाले आतंकवादी खतरे का सबब बन चुके हैं। हिलेरी जी को शायद ये नहीं पता कि पाकिस्तान भारत सियालकोट सीमा पर अपने बंकर खड़े कर रहा है। यदि अफ्गानिस्तान का मामला या यूं कहें कि गृह युद्ध की नौबत नहीं होती स्वात, बलुचिस्तान, लाहौर में तो पाकिस्तान अपनी सीमा से सेना कम नहीं करता।
इस सब बातों को देखकर लगता है कि अमेरिका फिर दोतरफा चाल चल रहा है। एक तरफ तो भारत के साथ मिलकर आतंकवाद खत्म करने की बात कर रहा है वहीं दूसरी तरफ पाकिस्तान को भी क्लीन चिट देने में लगा हुआ है। इस कूटनीति को भारत को समझना चाहिए और हो सके तो कुछ मुद्दों पर अमेरिका का हस्ताक्षेप बर्दाश्त नहीं करना चाहिए।
आपका अपना
नीतीश राज
"MY DREAMS" मेरे सपने मेरे अपने हैं, इनका कोई मोल है या नहीं, नहीं जानता, लेकिन इनकी अहमियत को सलाम करने वाले हर दिल में मेरी ही सांस बसती है..मेरे सपनों को समझने वाले वो, मेरे अपने हैं..वो सपने भी तो, मेरे अपने ही हैं...
अब तो हमें भी कुछ ऐसा ही लगता है
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