Friday, July 24, 2009

आखिर आ ही गई अक्ल

१८ जुलाई २००९ को मैंने यूपी में हाल ही में उठे उस बवंडर के बारे में एक पोस्ट ‘ये रेप की राजनीति है यूपी वालों, मायवती की दोगली नीति।’ लिखी थी जिसमें जिक्र किया गया था कि राजनीति का, जो उठी है रेप से। मैंने उस लेख के जरिए कई सवाल खड़े किए थे ‘.....इज्जत की कीमत तो आप २५ हजार दे रही हैं पर उस कीमत को चुकाने के लिए ५ लाख खर्च कर रही हैं। हेलिकॉप्टर से डीआईजी जगह-जगह जाते हैं और खर्च करते हैं करीब ५ लाख सिर्फ फ्यूल में। क्या ये बेहतर नहीं होता कि उस जिले के वरिष्ठ अधिकारी उस पीड़ित परिवार को मुआवजा दे देते……’।

अब सरकार ने ये फैसला किया है कि अब जिस जिले में रेप जैसा कुकर्म होगा तो उस जिले के वरिष्ठ अधिकारी को ही जलील होने के लिए और साथ ही पैसे पहुंचाने के लिए पीड़ित के परिवार वालों के पास जाना होगा। ये फैसला आने वाले दिनों के लिए काफी अच्छा है। क्यों हर बार एक प्रदेश के डीआईजी रैंक के अफसर को अपने ही डिपार्टमेंट के कुछ नाकारा लोगों की नाकामी की कीमत के एवज में अपनी गर्दन झुकानी पड़े। अब जो होगा नाकाम वो ही जाएगा शर्मिंदा होने के लिए। जो भी हुआ अच्छा हुआ अब फिजूलखर्ची तो रुकेगी ही और शायद खुदा ना करे कि कोई रेप का पीड़ित हो पर यदि कोई होता है तो ज्यादा से ज्यादा मुआवजा मिल सके।

कौन कहता है कि ब्लॉग नहीं पढ़े जाते, क्या मालूम हमारी पोस्ट को पढ़कर ही किसी ने ये बात आगे रखी हो। विभाग के अधिकारियों को ज्ञान मिलने के बाद ये फैसला ले लिया गया हो। हो तो कुछ भी सकता है।

आपका अपना
नीतीश राज

3 comments:

  1. आवाज उठाना जरुरी है..कहीं न कहीं गुँजेगी जरुर..आपने साबित कर दिया.

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  2. bahut badhai aapko aapki pahal ke liye.

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पोस्ट पर आप अपनी राय रख सकते हैं बसर्ते कि उसकी भाषा से किसी को दिक्कत ना हो। आपकी राय अनमोल है, उन शब्दों की तरह जिनका कोईं भी मोल नहीं।

“जब भी बोलो, सोच कर बोलो,
मुद्दतों सोचो, मुख्तसर बोलो”