Wednesday, July 22, 2009

नींबू के आकार के सेब और आम, अब तो इनसे ही चलाना है काम।

कई दिन से हमारी बेगम कह रहीं थीं कि जब भी कुछ काम कहो, हर बार बहाना बना देते हो कि समय नहीं है। कभी तो घर परिवार के कामों के लिए भी समय निकाल लिया करो। वो जब भी ऐसा कहती हैं तो जानता हूं कि काफी दिनों के बाद ही कह रही हैं तो जरूर से एक-दो काम नहीं लिस्ट होगी कामों की। बस दिक्कत ये है कि कई बार ये लिस्ट इतनी बड़ी होती है कि दिन-ब-दिन करते हुए हफ्तों में जाकर काम खत्म होते हैं। मैंने सोचा कि इस बार की पूरी छुट्टी बेगम के काम के नाम मतलब हमारे घर के कामों के नाम कर देते हैं।

सुबह से ही काम में लग गए। कई काम दोपहर तक निपटा दिए गए थोड़ा आराम करने के बाद शाम को कहा गया कि आज जो साप्ताहिक सब्जी मार्केट लगती है वहां से सब्जी ले आते हैं। हम भी सब्जियों के दामों को आसमान में चढ़ते हुए देख तो रहे ही हैं शायद बाजार में ही सस्ती मिल जाए।

जब बाजार पहुंचे तो एक-दो रु तो कम जरूर मिली सब्जी पर यहां भी दाम आसमान छूते ही नजर आए। सबसे मजेदार बात तो लगी कि पहले चटनी के लिए पोधीना, धनिया और हरी मिर्च एक साथ १० रु की लेते थे इस बार तो देने से इनकार कर दिया गया, सब अलग-अलग मिलेंगी। अरे भई १० की दे दो चाहे थोड़ी यहां से काट लो वहां बढ़ा दो, पर नहीं। टमाटर ३० से नीचे नहीं मिले। चंद सब्जी में ही २०० रु खत्म।

अब हम बढ़ चले फल की तरफ। जानते तो थे कि यहां पर कम दाम की उम्मीद ना ही करें तो बेहतर। पहले बात सेब की, एक ठेले वाले भाईसाहब आवाज़ लगा रहे थे सेब ले लो सेब। बेटा हमें वहां ले गया। बड़े आश्चर्य के साथ हमने कहा कि क्या ये सेब हैं? पत्नी बोलीं, हां, ये खट्टे-मीठे सेब होते हैं। इनका आकार इतना ही होता है छोटे अमरूद की तरह। दाम ४५ रु किलो। बेगम से हमने कहा कि छोटे हैं आधा किलो ले लो इसमें ही काफी आजाएंगे।

अब बारी थी आम की। जो आकार में बड़े थे उनके दाम उनके आकार की तरह ही कुछ ज्यादा था। ६० रु के एक किलो, आदमी क्या खाए, क्या स्वाद ले। तो एक किलो में कुल चार-पांच आम चढ़े जो कि दो बार में ही खत्म हो जाएंगे। तो बढ़े चूसने वाले आमों की तरफ। देख कर लगा कि थोड़े बड़े आकार के नींबू रखे हुए हैं। इनके दाम भी कोई कम नहीं थे, ४० रु किलो। तो दिल को बहलाने के लिए २ किलो ये भी ले आए जिस के कारण थैले का वज़न भी बढ़ गया और दिल को तसल्ली भी हो गई की तीन किलो आम ले आए हैं जम कर खाएंगे। साथ ही साथ पत्नी को भी बता दिया कि देखो १४० रु में तीन किलो आम लाए हैं यानी ४७ रु किलो।

हम दोनों घर में आमों को खाते हुए मुस्कुरा रहे थे। आम के आकार ने हमारे पर्स का आकार इतना छोटा कर दिया कि एक छोटे से परिवार पर ३७५ रु ढीले हो गए। सोचता हूं कि शरीर ओवरवेट हो रहा है तो कुछ दिन जमकर डाइटिंग क्यों ना कर लूं....।

आपका अपना
नीतीश राज

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