बीती रात के बाद सुबह और फिर शाम को फुहार पड़ने के बाद सभी के मुंह से निकल रहा था 'बरसो राम धड़ाके से...'।
बड़े दिनों से जिसका इंतजार था वो मेहमान पिछली रात घर पर आई। छम छम करते हुए किसी के आंगन में तो किसी के घर की छत पर अपने कदमों की आहट से सभी को चकित कर गई। अपनी इस अदा से सब को बता गई कि देखो मैं तुम्हारे पास आ चुकी हूं अब घबराने की बात नहीं है। पर ऐसा नहीं था कि वो मेहमान हर समय के लिए आ गई थी। नहीं, वो तो सभी को अपना बना कर और खुद दूसरे की हो कर, राहत की रात देकर, रात की थोड़ी देर की मुसाफिर कुछ देर रुक कर चली गई। पर जाते-जाते फिर आगे आने के वादे के साथ। और वो आई फिर सुबह आई और फिर शाम को भी आई।
जी हां, दिल्ली में हमारी प्यारी बरखा रानी आखिरकार आ ही गईं। सुबह की फुहार के बाद तो ये लगा कि मानसून की दस्तक हो गई है। पर जैसे ही दिन चढ़ने लगा तो लगा नहीं कुछ फैसले जल्दबाजी में नहीं करने चाहिए। जहां सुबह खुशगंवार थी वहीं दोपहर होते-होते उमस से सराबोर हो चुका था दिन। पर शाम होते-होते हमेशा ही गलत जानकारियों के लिए प्रसिद्ध मौसम विभाग ने भी अपना फरमान का पर्चा जारी कर दिया कि अगले २४ से ४८ घंटों तक दिल्ली यूं ही सुबह-शाम भीगती रहेगी। साथ ही ये भी कह दिया कि दिल्लीवासियों के लिए खुशखबरी है कि मानसून पहुंच चुका है। पर शाम होते-होते तो उमस का बोलबाला हो चुका था। पर शाम घिरते के साथ ही फुहारों ने फिर से दिल्ली को भिगोना शुरू कर दिया। रास्ते में आते हुए मैंने बहुत लोगों को देखा कि वो बाइक पर पैदल, साइकिल पर खुश होकर भीगते हुए चले जा रहे थे। किसी को भी इस बात की परवाह नहीं थी कि वो गीले या भीग जाएंगे। शायद इसी बात का तो सभी इंतजार कर रहे थे।
बीती रात के बाद सुबह और फिर शाम को फुहार पड़ने के बाद सभी के मुंह से निकल रहा था 'बरसो राम धड़ाके से...'। पर जब तके दो-तीन घंटों की लगातार बारिश नहीं होगी तो इस चिपचिपी गर्मी से थोड़ी निजात नहीं मिलेगी। वैसे तो सभी जानते हैं कि ये चिपचिपाहट अभी जाने वाली नहीं है या यूं कहें कि अभी तो शुरूआत ही है। वैसे देखा जाए तो हर साल की तरह दिल्ली में इस बार भी मानसून ने समय पर ही दस्तक दी है।
दिल्ली के बाद लगता है कि मॉनसून देश के कोने-कोने में पहुंचने को तैयार हैं। दक्षिण भारत और दिल्ली के बाद अब पूरे देश में मॉनसूनी हवाएं बदलों के साथ पहुंच चुकी हैं। अनुमान है कि अगले 24 से 48 घंटे में दिल्ली के साथ-साथ पश्चिमी उत्तर प्रदेश, पंजाब, उत्तराखंड, हिमाचल प्रदेश, और जेके में बारिश तपती धरती के ताप को कम करेगी।
वैसे, अभी तो हम इस मेहमान की आवभगत में लगे ही हुए हैं पर हां थोड़े दिन बाद हम अगले साल का वादा लेकर इस मेहमान को बड़े ही प्यार से रुखसत करेंगे। पिछले साल के कोशी के कोप के बारे में सोच कर ही दिल दहलता है। २६ जुलाई, २००५ को याद करते ही रूह कांपती है। पर छोड़ो अभी तो ये जश्न मनाने का वक्त है मेहमान के स्वागत का वक्त है। मैं तो चला अपने मेहमान के स्वागत में और आप.....आप भी दिल से स्वागत कीजिएगा।
आपका अपना
नीतीश राज
आज बारिश की बूंदों से तन और मन दोनों भीग कर रूमानी हो गए ...मजा आ गया
ReplyDeleteहमारी तरफ़ से इस मेहमान के आने की बधाई स्बीकार करे.
ReplyDeleteधन्यवाद
हा जी , लगता है आ तो गया है. पर बस टिका रहे थोडे समय तो चैन आये.
ReplyDeleteरामराम.