Monday, August 11, 2008

112 साल में पहली बार


1896 में पहली बार ओलंपिक शुरु हुए थे तब से, 112 साल में पहली बार भारत के एक लाल ने देश का सर ऊंचा कर दिया है। स्वर्ण पदक जो कि एकल प्रतियोगिता मैं आजतक देश को नहीं मिला, झोली में डाल कर रच दिया इतिहास। सारे देश में आवाज़ गूंज रही है अभिनव बिंद्रा इज़ किंग। अभिनव बिंद्रा ने जीता है स्वर्ण पदक, ओलंपिक के इतिहास में भारत के हाथ व्यक्तिगत स्पर्धा में पहली बार किसी ने ये कामयाबी हासिल की है और स्वर्ण पदक जीता है। 10 मीटर एयर राइफल में अभिनव ने चक दिया गोल्ड। जबकि अभिनव को कड़ा मुकाबला मिल रहा था चीन के ही क्यूनान जू से और साथ ही फिनलैंड के हेनरी हैकिनन से। 9वें और 10वें राऊंड में जो खेल बिंद्र ने दिखाया, वो दर्शाता है कि वो उस वक्त मानसिक तौर पर भी मजबूत थे। वो क्षण काफी रोमांचक था और अपनी दिमागी कुशलता का परिचय देते हुए अभिनव ने ये खिताब जीता है। एथेंस की गलती को ना दोहराते हुए जब कि वो क्वालिफाई करते वक्त तीसरे नंबर पर थे लेकिन खत्म उन्होंने सातवीं रेंक से किया था।
क्यूनान जू ने यदि 10वें राऊंड में निशाना ठीक मार दिया होता तो हमारे हाथ से स्वर्ण निकल जाता। 9वें राऊंड में सिर्फ 0.1 से पीछे थे अभिनव लेकिन 10वें राऊंड में क्यूनान को मात देते हुए अभिनव ने 10.8 प्वाइंट बनाए वहीं क्यूनान ने 9.7 प्वाइंट। हमें गोल्ड मिल चुका था। अभिनव उस वक्त भी शांत दिखे जबकि राष्ट्रगान बज रहा था। बीजिंग में भारत को गर्व महसूस कराने वाले अभिनव पर हम सबको गर्व है।
इनामों की झड़ी लगनी शुरू होगई है। रेल मंत्री लालू प्रसाद यादव ने आजीवन गोल्डन पास देने का एलान कर दिया है। अभिनव के पहले कोच जे एस ढिल्लन काफी खुश नजर आ रहे हैं, जैसे कि उनका जीवन सफल हो गया। वैसे अभिनव आर्थिक तौर पर बहुत मजबूत हैं। उनके एक कोच जर्मनी में भी रहते हैं। तो वहां पर भी आना जाना लगा रहता है।
हॉकी में भारत ने 8 बार स्वर्ण पदक जीते लेकिन 1980 में आखिरी बार स्वर्ण पदक जीतने के बाद स्वर्णों की सिलसिला देश से रूठ गया और हम खाली हाथ ही रहे। पिछले ओलंपिक में राज्यवर्धन
सिंह राठौर ने रजत पदक दिलाया था। एकल मुकाबलों में इस बार भी उनसे हम उम्मीद लगाए बैठे हैं। अब सानिया नेहवाल सिर्फ एक जीत दूर हैं भारत को एक और पदक दिलाने से। वो क्वार्टर फाइनल में पहुंच चुकी हैं। 18 साल की भारत की सानिया नेहवाल रैंकिंग 15, हांगकांग की 4 नबंर की खिलाड़ी चेन बांग को एक रोमांचक मुकाबले में हरा दिया। अब सानिया नेहबाल से भी एक पदक की उम्मीद और है। पूरे देश को अभिनव बिंद्र पर गर्व है।

आपका अपना
नीतीश राज
फोटो सौजन्य: गूगल

8 comments:

  1. जीत की बहुत बधाई एवं शुभकामनाऐं!

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  2. अपार प्रशन्नता के साथ बधाईयाँ !

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  3. २८ साल पहले जब हाकी में स्वर्णपदक मास्को में मिला था तब स्पेन को हराते वक्त जसदेव सिंह की कमेंट्री सुन कर असीम आनंद की अनुभूति हुई थी। आज एकल प्रतियोगिता में अभिनव का ये कमाल भारतवासियों की आखों में खुशी के आँसू दे गया।

    साइना नेहबाल अभी दो मैच दूर हैं ना कि एक। सेमीफाइनल में पहुँचने के बाद हारने पर भी तीसरे और चौथे प्लेयर के बीच मैच कांस्य पदक के लिए होगा ऍसा पर DD Sports सुना।

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  4. हां मनीष जी सेमी तक पहुंचने के लिए तो एक मैच ही है लेकिन पदक के लिए दो मैच हैं। धन्यवाद

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