जैसी उम्मीद थी वैसा ही हुआ। सब जानते थे कि कोरया क्यूबा के नंबर वन बॉक्सर है और साथ ही पैन अमेरिकन चैंपियन भी। कोरया से मुकाबला काफी टफ रहेगा। ये तो विजेंदर की किस्मत है कि उसका मुकाबला नंबर वन खिलाड़ी से था। नहीं तो दूसरे सेमीफाइनल में दोनों खिलाड़ी विजेंदर से रैंकिंग के मामले में और खेल में भी पीछे हैं। विजेंदर का बाऊट ही क्यूबा के चैंपियन से पड़ गया नहीं तो शायद एक मुकाबला हम और देखते और वो होता स्वर्ण के लिए।
आज के मुकाबले में दो सेट विजेंदर ने और दो सेट कोरया ने जीते। लेकिन विजेंदर ८-५ से हार गया। पर विजेंदर का प्रभाव ऐसा था कि क्यूबा के बॉक्सर को काफी डिफेंसिव होकर खेलना पड़ा। कोरया ने इस ओलंपिक में अपने राउंड में १७,१८,९ अंक बटोरे। इन नंबरों से ही पता चलता है कि कोरया कितना एग्रेसिव होकर खेलते हैं। लेकिन आज के मुकाबले में तो हाल ये था कि यदि तीसरे राउंड में विजेंदर ने अखिल का दांव नहीं अपनाकर अपने ही दांव से खेलता तो शायद मुकाबला और कड़ा हो सकता था। पहले राउंड में तो कोरया ने अंक बटोरे वहां पर उनकी सराहना करनी होगी लेकिन विजेंदर ने तीसरे राउंड में अंक दे दिए। एक समय ऐसा आया कि तीन अंक लगभग एक साथ ही कोरया ने झटक लिए। क्योंकि वहां पर विजेंदर ने अपना चेहरा कवर नहीं कर रखा था। वो उसी स्टाइल में था कि कोरया एक अंक बटोरने की कोशिश में उसे मौका देगा और ये अंक बटोर लेगा लेकिन यहां पर कोरया कि फुर्ती ने विजेंदर की सोच को धोखा दे दिया। विजेंदर के द्वारा अपनाया अपने गुरु अखिल का दांव ही उसे हार की कगार पर ले आया। साथ ही कोरया कई जगह गलतियां भी कर रहे थे जिसके चलते अंतिम राउंड में विजेंदर को २ प्वाइंट मिले। लेकिन मुकाबला काफी रोचक रहा।
इन भिवानी के शेरों ने कमाल कर दिया। बॉक्सिंग में भारत का इससे पहले ऐसा इतिहास नहीं रहा। तीन बॉक्सर क्वार्टर फाइनल में। जिसमें से एक को कांस्य पदक मिला। "जिससे लगता है कि हारा नहीं विजेंदर, वो तो विजेता है, कांस्य पदक विजेता"।
बीजिंग ओलंपिक में भारत ने इतिहास भी रच दिया। ओलंपिक के इतिहास में भारत ने इस बार ३ पदक जीते जो कि १९५२ में दो पदक जीतने के बाद के क्रम को आगे बढ़ाते हैं। लेकिन इतना बड़ा अंतराल आगे ना हो। हर ओलंपिक में हमारा प्रदर्शन बेहतर हो। अब इंतजार है दो कांस्य विजेताओं का जो कि सोमवार को भारत आ रहे हैं। शायद स्वर्ण पदक विजेता से भी बेहतर स्वागत होगा इनका।
आपका अपना
नीतीश राज
"जिससे लगता है कि हारा नहीं विजेंदर,
ReplyDeleteवो तो विजेता है, कांस्य पदक विजेता"।
मुकाबला हमने भी देखा ! आपने बड़ा
ही शानदार चित्रण किया है ! धन्यवाद !
बिल्कुल ठीक कहा आपने. इतना बड़ा अंतराल आयेज ना हो.. विजेंद्र बधाई के पात्र है..
ReplyDeleteयह हार की जीत भारतीय इतिहास में कई स्वर्णिम अध्यायों का सूत्रपात करेगी।
ReplyDelete"Congrates to Vijender jee and thanks for encouragement you gave to his achievement through your wonderful article"
ReplyDeleteRegards
जीत की बहुत बधाई एवं शुभकामनाऐं!
ReplyDeleteसच कहा आपने विजेंदर जीता है। देश का नाम रोशन किया है। पूरे देश की तरफ से बधाई हो विजेंदर को।
ReplyDeleteहमारी ओर से भी बधाई
ReplyDeleteविजेंदर गर्व का पात्र है भारत के लिये। और भविष्य की सम्भावनायें खोलने की चाभी भी।
ReplyDeleteपरिवार एवं इष्ट मित्रों सहित आपको जन्माष्टमी पर्व की बधाई एवं शुभकामनाएं ! कन्हैया इस साल में आपकी समस्त मनोकामनाएं पूर्ण करे ! आज की यही प्रार्थना कृष्ण-कन्हैया से है !
ReplyDeleteजन्माष्टमी की बहुत बहुत वधाई
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