Friday, August 28, 2009

11 दिन के बीते पन्ने

आखिरकार दो दिन के इंतजार के बाद हमारे कंप्यूटर के डॉक्टर साहब आए और फिर आते ही बेचारे को इंजेक्शन। पर इस बार एक ही इंजेक्शन में ठीक। जो 1 जीबी की रैम लगाई गई थी उसमें ही प्रोब्लम थी। जैसे ही बदली गई रैम कंप्यूटर जी दुरुस्त। बहरहाल, इस बीच कुछ मुद्दे ऐसे उठे जिन पर लिखने की काफी इच्छा कर रही थी। साथ ही वो मुद्दे ऐसे थे जिनको मैं अपने ब्लॉग पर सहेजना जरूर चाहूंगा। क्योंकि उनमें से कुछ घटनाएं ऐसी थी जो शायद कभी दोबारा नहीं होंगी।

शाहरुख को अमेरिका में एक एयरपोर्ट पर करीब दो घंटे तक रोके रखा गया, जसवंत सिंह की किताब पर बवाल, खेमों में बंटी बीजेपी, मोदी ने जसवंत की किताब पर लगाया बैन पर दूसरे बीजेपी शासित राज्यों के सीएम ने किया इनकार, बीजेपी से निकाले गए जसवंत सिंह और सुध्रींद्र कुलकर्णी, और वहीं दूसरी तरफ किताब पर अरुण शौरी के तीखे तेवर, अब यशवंत सिन्हा का भी आडवाणी पर निशाना। वसुंधरा राजे का नया मोर्चा, खेल की खबरों में ऐशेज में ऑस्ट्रेलिया हारा और खिसका चौथी रैंक पर वहीं भारत दूसरी पायदान पर, ओलंपियन और ब्रान्ज मेडलिस्ट मुक्केबाज विजेंद्र कुमार वर्ल्ड के दूसरे नंबर के बॉक्सर बन गए और ऐसी ही बहुत सी खबरें थीं जिनपर लिखना चाहते हुए भी मैं लिख नहीं पाया था।

सबसे पहले बात शाहरुख खान की।

बॉलीवुड के बादशाह शाहरुख खान आजादी के दिन एक कार्यक्रम में भाग लेने के लिए यूएस जाते हैं और वहां पर किंग खान को दो घंटे तक रोक कर पूछताछ की जाती है। बकौल शाहरुख उनसे पूछताछ उनके नाम में जुड़े ‘खान’ के कारण की गई। वहां शाहरुख के साथ ऐसा हुआ यहां देश में लोग आगबबूला हो गए। अंबिका सोनी ने तो यहां तक कह दिया कि अमेरिकन सेलिब्रिटिज जब भारत आएं तो उनके साथ भी ऐसा ही बर्ताव हो। पर वहीं सलमान खान सामने आए और फिर शुरू हुई खान वॉर। सल्लू ने कहा ये तो होता ही रहता है इसमें कोई नई बात नहीं है। पर अब उसी फजीहत से बचने के लिए सल्लू आने वाली फिल्म ‘वॉन्टेड’ के प्रमोशन के लिए अमेरिका नहीं जा रहे हैं।

शाहरुख ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस करके सब सवालों के जवाब भी दिए। जब ये बात सामने आई तो शाहरुख ने कहा कि नेवार्क एयरपोर्ट के अधिकारियों का रवैया ठीक नहीं था पर जो हुआ सो हुआ अब इस बात को तूल नहीं देना चाहिए। फिर पहले तूल क्यों दिया गया? इस पर एस पी महासचिव और अमिताभ बच्चन के मुंह बोले भाई अमर सिंह बीच में कूद पड़े और कहा कि ये तो आने वाली फिल्म को लेकर शाहरुख खान का पब्लिसिटि स्टेंट है।

बीजेपी में किताब पर कलह।

शिमला में बीजेपी की चिंतन बैठक से पहले जसवंत की लिखी किताब पर उठी चिंता को दूर किया गया और उन्हें निष्कासित कर दिया गया। 30 साल की बफादारी एक फोन पर ही खत्म कर दी गई। आज तक भारतीय इतिहास में हम ये पढ़ते आए हैं कि भारत को आजादी महात्मा गांधी ने दिलवाई। आजादी में योगदान पंडित नेहरू और सरदार पटेल ने देश को एकजुट किया पर ये हमारे हीरो हैं। साथ ही जिन्ना ने पाकिस्तान की मांग की और आजादी के साथ विभाजन के दर्द का विलेन उन्हें माना गया। पर जिन्ना को हीरो और पंडित नेहरू और सरदार मोदी को विलेन के कठघरे में लाकर जसवंत सिंह ने खड़ा कर दिया। यहीं से बवाल की शुरूआत हुई। मोदी ने किताब में सरदार पटेल के बारे में गलत लिखने पर गुजरात में बैन कर दिया। वहीं कुछ और बीजेपी शासित राज्यों में बैन नहीं लगाया गया। और ये टकराव सामने आया जो कि मोदी के खिलाफ खड़ा नजर आया। सुध्रींद्र कुलकर्णी को भी बाहर का रास्ता दिखा दिया गया। किताब और कई मुद्दों पर अरुण शौरी ने पार्टी नेतृत्व पर निशाना साधा और संघ को अपना चाबुक चलाने के लिए कहा।

जसवंत सिंह ने हाल ही में कहा था कि उन्होंने आडवाणी को बचाया। उसी बात को ब्रजेश मिश्र और यशवंत सिन्हा दोनों ने आगे बढ़ाया। वहीं राजनाथ और आडवाणी के फरमान को दरकिनार करते हुए वसुंधरा राजे आज भी पद पर कायम हैं। कुछ भी हो आगे आने वाले दिनों में संघ का प्रभुत्व बीजेपी पर भारी पड़ेगा। जैसे कि पहले हुआ करता था। अभी जल्द ही कुछ और फेरबदल देखने को मिल सकता है।

नाक कट गई ऑस्ट्रेलिया की

इंग्लैंड से एशेज सीरीज 2-1 से हारकर ऑस्ट्रेलिया चौथे नंबर पर पहुंच गया। टेस्ट रैंकिंग में वो कभी चौथे पायदान पर लुढ़क जाएगा शायद ऐसा कभी ऑस्ट्रेलिया ने नहीं सोचा होगा। ये इतिहास में पहली बार हुआ है कि ऑस्ट्रेलिया के एक ही कप्तान ने दो बार अपने कार्यकाल में एशेज गंवाई हो। 2005 के बाद 2009 ने ऑस्ट्रेलिया की शर्मनाक हार हुई। वहीं इंग्लैंड के ऑलराउंडर एंड्रयू फ्लिंटॉफ को उनकी टीम ने एक खूबसूरत विदाई दी। विवादित खिलाड़ी फ्लिंटॉफ को हम भारतीय तो युवराज के कारण ही याद रखेंगे जब कि 20-20 में युवी से फ्लिंटॉफ नहीं भिड़े होते तो ब्रोड को युवी 6 छक्के नहीं मार पाते।

डीडीसीए में जिस्मफरोशी

सहवाग के इल्जामों की झड़ी अभी रुकी नहीं थी कि कीर्ती आजाद ने ये कहकर सनसनी फैला दी कि दिल्ली के क्रिकेट में लड़कियां सप्लाई की जाती है। मतलब साफ था कि यदि किसी खिलाड़ी को चुना जाना है तो उसे कीमत अदा करनी होगी और वो कीमत लड़की के रूप में देनी होगी। युवराज ने भी आरोप लगाए कि उनके साथ भी छोटे स्तर पर भेदभाव हो चुका है और ये सब उनको सहना पड़ा है। पर ये पता नहीं कहा तक सच है क्योंकि योगराज के बेटे के साथ यदि नाइंसाफी हो सकती है तो फिर किसी के साथ भी हो सकती है।

कुछ और खबरों के अलावा ये वो खबरें थीं जिन पर मैं लिख नहीं सका पर हां इतिहास के पन्नों को फिर से पलट कर देखने की इच्छा हो उठी क्योंकि कुछ बातें तो जसवंत सिंह ने सही कहीं हैं पर मैं उनकी हर बात से इत्तेफाक नहीं रखता। मैंने इसके पीछे काफी रिसर्च की है। जिन्ना यदि इतने ही सेकुलर थे या फिर इतने ही बड़े आजादी के नेता थे तो कहीं पर भी उनका जिक्र क्यों नहीं आता। क्यों सिर्फ पाकिस्तान में ही वो जाने जाते हैं। क्यों 1927 के बाद ही उनकी तरफ से ये पहल हुई कि मुस्लमानों के लिए एक अलग राष्ट्र होना चाहिए थे। सुभाष चंद्र बोस क्या बंगालियों के लिए लड़ रहे थे। इतिहासकार कहते हैं कि यदि बोस गायब नहीं हुए होते तो शायद भारत 1945 में ही आजाद हो गया होता। तो जिन्ना को हीरो बनाने के पीछे क्या कारण है। और सबसे बड़ा सवाल जिन्ना के दादा हिंदू थे फिर भी हिंद राष्ट्र से क्यों जलन थी जिन्ना को। कौन थे ये कायदे आजम। भारत के इतिहास के पन्नों पर लिखी आजादी के वो अनछपे पन्नों के बारे में लिखने की कोशिश में।

आपका अपना
नीतीश राज

3 comments:

  1. दो दिन बाद ही सही आपको वापस देख अच्छा लगा..ख़बरों की मीमांसा खूब करते हैं आप...वाह.
    नीरज

    ReplyDelete
  2. शाहरुख खान की... नीतीश राज जी, भाई यह उन के देश है, वो आने जाने वाले को चेक कर सकते है, उनकी अपनी सुरक्षा का मामला है किसी फ़िल्म का हीरो होना से क्या होता है, अगर नही अच्छा लगता मत जाओ विदेश मै, लेकिन... मेने देखा है अकसर भारत के एयर पोर्ट पर हमारे आफ़िसर इन गोरो के सामने पलके बिछाते हुये, जेसे यह गोरे नही इन के जमाई हो, अगर हम मै गेरत थोडी भी हो तो हम क्यो नही इन को नंगा कर के इन सब के साथ भी वेसा ही वेसा वर्ताव क्यो नही करते ? क्योकि हम आज भी दिमागी तोर पर गुलाम ही है, हर बात पर इन कि नकल करना, यानि इन जेसा बोलना, इन जेसे कपडे पहनाना, अब क्या हो गया दो दिन शोर मचा फ़िर सब चुप, हम कभी नही सुधर सकते.

    ReplyDelete
  3. भाटिया जी आपने सही कहा....क्या हमारे देश में अच्छी लोकेशन नहीं हैं जो कि बाहर जाकर शूटिंग की जाए। हमारे देश की लोकेशन को तो देखने के लिए पूरा विश्व उमड़ा रहता है। दूसरी बात आपने सही कहा किसी ना किसी तौर पर तो हम अभी भी गुलाम जरूर हैं।आपसे सहमत।

    ReplyDelete

पोस्ट पर आप अपनी राय रख सकते हैं बसर्ते कि उसकी भाषा से किसी को दिक्कत ना हो। आपकी राय अनमोल है, उन शब्दों की तरह जिनका कोईं भी मोल नहीं।

“जब भी बोलो, सोच कर बोलो,
मुद्दतों सोचो, मुख्तसर बोलो”