Wednesday, August 6, 2008

मां की बेटे से फरियाद घर आजा, बेटा बोला, 'बापू की सेवा में हूं...नहीं आऊंगा'

एक मां का दर्द है उसका ही अपना बेटा। 14 साल से बेटे का मुंह नहीं देखा है मां ने। 14 साल से है इंतजार अपने बेटे का। मां का आरोप है कि आसाराम बापू ने उसके बेटे को कैद कर रखा है। मां कहती है कि उसके बेटे को बहला फुसला कर आसाराम बापू ने अहमदाबाद में रखा हुआ है। वो मां चाहती है कि उसका बेटा घर आजाए। लेकिन चाहने और असलियत में बहुत अंतर होता है।
उस मां का लड़का अजय शर्मा, नहीं मिलना चाहता अपनी मां से। वो तो अपनी मां को मां से भी नहीं पुकारता, लेता है तो सिर्फ उनका नाम। एक मां का दर्द बढ़ जाता है जब उसके जिगर का टुकड़ा उसे मां कहकर नहीं पुकारता। अजय तो बापू की धुन में धुनी रमाए बैठा है। वो कहता है कि मैं यहां खुश हूं और जब मेरी मां के पास एक और बेटा है ही, तो मुझे क्यों बुलातीं है। ये जवाब है उस बेटे का जिसे की पढ़ा लिखा कर उस मां ने चार्टड एकाउंटेंट बनाया। पति का साया तो 20 साल पहले ही साथ छोड़कर चला गया था आज बेटा भी जुदा-जुदा होगया है। मां पुकार-पुकार के कहती है मेरा बेटा मुझे लौटा दो। लेकिन बेटा बालिग है। ये भी कोई साबित नहीं कर सकता कि बेटे का दिमाग चला हुआ है। तो कानून की तरफ से कोई मदद नहीं हो मिल सकती।
जो बेटा 25 साल तक अपनी मां का मां मानता रहा आज ऐसा क्या होगया है कि वो मां को मां कहने को तैयार नहीं। 14 साल का समय बहुत होता है। क्या आसाराम बापू उसे ये ही शिक्षा दे रहे हैं कि दुनिया की मोह माया छोड़कर मेरे पास रहो और अपनी बूढ़ी मां को छोड़ दो। मां तो मोह-माया नहीं होती। क्या आसाराम बापू उसे नहीं समझा सकते कि जाओ अपने घर जाओ, मां की सेवा करो। बेटा कहता है कि उसे करनी है गुरू की सेवा। क्या ये लड़ाई मां की ममता और एक गुरु की आस्था की है?
मां अपने बेटे को पाने के लिए दर दर की ठोकरें खाती रहती है। कई बार अहमदाबाद और सूरत के चक्कर काटे लेकिन हर बार वो नाकाम ही रही।
हर बार मां असफल रही। आस्था और ममता की इस लड़ाई में हमेशा ही आस्था का पलड़ा भारी रहा। लेकिन क्या करे वो मां जिसका जवान बेटा उसे छोड़ किसी जंग के मैदान में नहीं है, एक संत के दर पर आस्था में डूबा हुआ है। सब को अपनी जिंदगी जीने का हक है अपनी तरह से, जैसे जी में आए वैसे जिंदगी जिए। लेकिन ये तो ना भूले कि उसके कुछ फर्ज हैं और दूसरों के उससे जुड़े कुछ हक जिन्हें कि उसको पूरा करना है। क्या आसाराम बापू के प्रवचनों उस बेटे को कुछ शिक्षा नहीं देते। खुद आसाराम बापू माता-पिता की सेवा का उपदेश देते रहते हैं क्या इस शिक्षा से उस बेअकल को अकल नहीं आरही है। यदि नहीं आ रही है तो आसाराम बापू को ये कदम उठाना चाहिए कि उसे घर का रास्ता दिखाएं और यदि नहीं तो फिर उसे अपने आश्रम से निकाल दें। यदि वो ऐसा नहीं करते हैं तो सवालों के घेरे में आसाराम बापू खुद हैं। (वैसे भी उनके बेटे नारायणस्वामी पर 7 साल तक आश्रम में रहे पूर्व कर्मचारी ने आरोप लगाया है कि वो तंत्र साधना करता है। लेकिन ये तो जांच का विष्य है पर आश्रम पर शक गहराता जा रहा है।)

आपका अपना
नीतीश राज

10 comments:

  1. आश्रम तो खैर अब शक के दायरे में है-क्या पता जांच के क्या परिणाम निकलते हैं पर है पूरा कुछ अफसोसजनक.

    ReplyDelete
  2. बिल्कुल ठीक कह रहे है आप.. मगर इस मामले में तो क़ानून भी कुछ नही कर सकता

    ReplyDelete
  3. मेरी तो समझ में ये नहीं आता कि बात बात पर माता पिता की सेवा करने को कहने वाले ये धर्मगुरू जब इस तरह का काम करते हैं तो क्‍या उनको अपने कहे का याद नहीं रहता । मरे विचार में रामधारी सिंह दिनकर ने संस्‍कृति के चार अध्‍याय में जो कुछ सातवीं और आठवी शताब्‍दी में भारत की स्थिति बताई है वैसी तो आज भी है हम तो आज भी धर्म गुरूओं के चंगुल में उलझे हैं और ये भी नहीं देख्‍ते कि अरबों की संपत्‍ी कमाने वाले ये धर्मगुरू देश और समाज को क्‍या दे रहे हैं । काश ऊपर वाला एक बार फिर किसी वास्‍तविक संत महात्‍मा गांधी, स्‍वामी विवकानंद को भेज दे ।

    ReplyDelete
  4. क्या कहे .....हमने तो ऐसे कई किस्से ब्रहम कुमारी ओर दूसरे कई आश्रमों में भी देखे है...

    ReplyDelete
  5. भाई ये तो भय बेचने का धंधा है ! आपने
    सवाल तो लाख टके का उठाया है ! पर है
    कोई माई का लाल समझने को तैयार ?
    ये भी एक तरह का सम्मोहन है और जब
    तक ये सम्मोहन टूटता है तब तक बहुत
    देर हो चुकी होती है ! जैसे जैसे कुछ खोने
    को बढ़ता है वैसे वैसे ये दूकान दारी ज्यादा
    चल निकलती है ! धन्यवाद !

    ReplyDelete
  6. अजी यह आसा राम कासा राम कोई सतं बंत नही
    बस भोले भाले लोगो को फ़ंसा कर अपना उल्लु सीधा करते हे,इन को कोई हक नही हमे उपदेश दे मोह माया त्याग करने का पहले यह खुद इस बात पर अमल करे,फ़िर हमे कहे,आप तो राजाओ की जिन्दगी बिताते हे, ओर हम मे से बेबकुफ़ लोग ही इन के गन्दे आश्राम मे जाते हे,
    ओर वो बेटा, मुफ़त मे इस पाखण्डी का नोकर बना हे, बदले मे उसे भोग विलास मिलता होगा, फ़िर वो क्यो याद करे अपनी मां को. अब एक ही चारा हे इन पाखण्डियो को को समाज के सामने नंगा करो, ओर सोये हुये समाज की आंखे खोलो. धन्यवाद,
    सवाल का जबाब ????? जरुर मिलेगा तब तक ..

    ReplyDelete
  7. aashram ab aashram nahi seven star motel hain,bat sirf aasarm ki nahi sabhi ka yahi haal hai

    ReplyDelete
  8. जी भी हुआ है यह बहुत अफसोसजनक वाकया है

    ReplyDelete
  9. afsosjanak .jane logon ko kya ho jata hai.aur yah baba jee ki to ab pungi bajni hi hai.

    ReplyDelete
  10. आसाराम बापू के बारे में क्या कहें? समूह को बेवकूफ बनाने की कला में माहिर ऐसे संतों से देश को खतरा है. रही बात जानता की तो हमें भी सतर्क रहने की ज़रूरत है. बड़ी अजीब बात लगती कि एक पढ़ा-लिखा नवयुवक ऐसा कर रहा है. बड़ा ही दुर्भाग्यपूर्ण है सबकुछ.

    ReplyDelete

पोस्ट पर आप अपनी राय रख सकते हैं बसर्ते कि उसकी भाषा से किसी को दिक्कत ना हो। आपकी राय अनमोल है, उन शब्दों की तरह जिनका कोईं भी मोल नहीं।

“जब भी बोलो, सोच कर बोलो,
मुद्दतों सोचो, मुख्तसर बोलो”