राज ठाकरे के पास गुंडे हैं वो चाहे तो क्या नहीं कर सकते। चाहे तो फिल्म चलने दें या फिर आप का कारोबार। चाहें तो सब तबाह कर दें। मारठी में ही हों दुकान के बोर्ड, हर साइन मराठी में ही हों। अरे, पगला गए हो क्या राज ठाकरे। यदि तुम जैसे लोग सीएम बन जाएं तो संजय गांधी की याद ताजा करा दें। क्या आप को पता है कि मुंबई में कितन लोग बाहर से आते हैं? शायद नहीं, जब ही तो आप ये सवाल उठा रहे हैं। यदि मराठी में बोर्ड लगाएंगे तो रोजी-रोटी कहां से चलेगी। हर किसी को तो मराठी आती नहीं। फिर कैसे बिकेंगे सामान।
क्या तुम राज ठाकरे, हां, राज ठाकरे, क्या तुम बिकवाओगे सामान या फिर खरीदोगे? खुद तो तुम एसी रूम में बैठकर ये सब फरमान लोगों पर थोपते रहते हो। यदि लोग नहीं मानें तो तुम अपने गुंडे भेजकर लोगों को डराते हो उन के साथ मार-पीट करते हो। ये कहां तक जायज है। वैसे अपनी पिछली पोस्ट में मैंने इस बात का जिक्र किया कि ‘राज ठाकरे अपनी चोंच बंद रखो’ तो किसी ने कमेंट किया कि अरे ये तो बोलेंगे ही आप दूसरों को नसीहत दो कि वो इनकी बातों में ना आएं। सही कमेंट था। ये तो वो बुल डॉग हैं जो कि ना चाहते हुए भी भोखेंगे ही। तब बेहतर तो ये है कि महाराष्ट्र की जनता इन जैसों को ना सुनें और मिलकर इन जालिमों का विरोध करे जो कि देश को भाषा में बांटना चाहते हैं।
जया बच्चन के बाद अमिताभ ने भी माफी मांग ली लेकिन कैमरे पर माफी मांगने पर अड़े हुए हैं राज समर्थक। वैसे अमिताभ ने एक बात सही कही कि,
“जो हो गया सो हो गया अब आगे की सोचना चाहिए और आगे क्या होगा। हमने माफी मांग ली है। अब बाकी बचा काम प्रशासन का है कि वो क्या ऐक्शन लेती है। यदि हमने गलत किया है तो हम हर सज़ा के लिए तैयार हैं”।…..
क्या सचमुच ये लगता है कि अमिताभ बच्चन से बड़ा हो गया है राज ठाकरे का कद। राज ठाकरे का नाम यदि गूगल में सर्च करें तो इस भाषावाद के साथ तो आप जोड़ कर देख सकते हैं वरना और किसी के साथ नहीं। लेकिन अमिताभ बच्चन तो अपने में एक लीजेंड हैं। दुनिया उनका लोहा मान चुकी है। जब वो शख्स भी बिन बात के बढ़ी बात पर माफी मांग चुका है तो क्या अलगाव फैलाना अच्छा है? क्या राज ठाकरे जैसा बद दिमाग शख्स सुधरेगा। देश के लिए एक अच्छा काम नहीं किया होगा राज ठाकरे ने।
क्या उस जैसे चरित्र का बिग बी जैसे इंसान के साथ ऐसा व्यवहार करना सही है। मैं कोईं बिग बी का समर्थक नहीं हूं पर भाषावाद और राज ठाकरे जैसे दो कोड़ी के गली के टुच्चे से नेता के खिलाफ तो जरूर हूं।
आपका अपना
नीतीश राज
(फोटो- साभार गूगल)
aapne sahi kaha.
ReplyDeleteसही बोला आपने | कुछ पुराने राजनितिक दलों के लिए जीवन मरण का सवाल हो गया है | इसलिए वो छ्टपटा रहे हैं |
ReplyDeleteमुम्बई, महाराष्ट्र और मराठी किसी के बाप के नहीं।
ReplyDeleteबहुत अच्छा लिखा है .....जानकारी भी है ...
ReplyDeleteमैं भी सहमत हूँ कि इन गुंडों पर यदि कोई लगाम लगा सकता है तो वो है पुलिस।
ReplyDeleteअजीब तरह की मानसिकता दिखती है आज कल इस तरह की बातों में ..क्या चाहते हैं यह लोग ..?
ReplyDeleteye zahar nahi gholenge to inki dukan kaise chalegi
ReplyDelete.
ReplyDeleteभाई साहब.. ठोकरे की मज़ाल नहीं हैं कि
मुंबई से बाहर कदम निकाल लें... या साहस नहीं है...
या वाकई यह उनके बाप की अमानत है.. जिस पर कुंडली मार कर चूहा खाते हुये जीना चाहते हैं ..
फिर भी अग़र आपको नहीं लगता है कि मुंबई इनके बाप की है..
तो इनका क्या दोष ?
क्यों इनको हीरो बना रहे हैं, हम लोग ?
"a wonderful artical about this conflict, great"
ReplyDeleteRegards
सब महाराष्ट सरकार की कमजोरी है......पहले ही दिन डाल दो अन्दर.....देखे फ़िर कौन बोलता है......दुःख तो ये भी है की फ़िल्म इंडस्ट्री का एक भी बन्दा खड़ा नही हुआ कुछ कहने को .......ओर न ही किसी ओर पार्टी का.....क्या वोट देश से बड़े है.?
ReplyDeleteनीतिश जी,
ReplyDeleteनमस्कार
आपके विचार से सहमत हूँ और आपके साहसी शब्दों के लिए आपको साधुवाद
सही और सटीक । यही तो समझ नही आ रहा है कि आजकल हर छोटी से छोटी बात का इतना बड़ा मुद्दा क्यूँ बनाया जा रहा है।
ReplyDeleteAapne sahi kaha.
ReplyDeleteSuresh Pandit
बिल्कुल सही बात है. ये कोई सामाजिक समस्या नहीं है. कानून-व्यवस्था की समस्या के तौर पर देखा जाना चाहिए.
ReplyDeleteआपका लेखन बहुत प्रभावी है.
मुझे तो ऐसा लगता है की इनकी राजनीती का एक मात्र
ReplyDeleteहथियार है ये ! बहुत प्रभावशाली लेखन ! धन्यवाद !
भाई. . राज ठाकरे को गाली देने से पहले एक बार ये सोचा होता की युपी-बिहार पिछडे हुए क्यो है? क्यो लोगोंको मुंबई जाना पडता है? असल कारण ये है की वहां के नेता नालायक है. .जहां किसी समय नालंदा जैसा विश्वविद्यालय हुआ करता था वहा अब लोग पढ भी नही पाते. . .देशमे सब से पिछे है बिहार
ReplyDeleteये देखे. .
http://en.wikipedia.org/wiki/Literacy_in_India
http://en.wikipedia.org/wiki/Literacy_in_Bihar
आप मुंबई मे नही रहते इसलिये आपको जानकारी नही. . मुंबई का दम घुट रहा है. . लोगोंको समाने की क्षमता खत्म हो गयी है. .
आपने आराम से राज को गाली तो दे दी. . लेकिन कभी अपने नेताओंभी पुछा है?. . गंगा मैया की वजहसे जमीन उपजाऊ है, खनिज संपत्ती है लेकीन फिर भी पिछडे हुए है. . पहले तो इस लालू, पासवान, मायावती को बोलो की कुछ करे. . .अपने घर मे खाने की तजवीज करना हर एक का कर्तव्य है. . ऐसे नही हो सकता की खुद के घर को बरबाद कर के दुसरे के घर चले खाना 'छिनने' !
आशा है की आप ये कमेंट भी आपके इस बायसड् ब्लॉग पे रहने देंगे!
(राजजी से सहमत)अमित