वो नन्हीं पांच साल की सिमरन अपने बड़े और छोटे मामा के साथ ऑफिस आई। कितनी प्यारी बच्ची है। ऑफिस में जैसे-जैसे ये पता चलता रहा तो अधिकतर उससे मिलने पहुंचे। कोई उसके जख्मों पर मरहम नहीं लगाने गया। जो भी गया वो ये देखने गया कि इस बच्ची को देख तो लें जिसने इतना सहा है। किसी के हाथ में चॉकलेट, तो कोई बिस्कुट के पैकेट के साथ, तो कोई टॉफी, जूस लेकर उसके पास पहुंचे। मामा को सिर्फ ये चिंता थी कि क्या वो सिमरन के पिता के अरमान पूरे कर पाएंगे। अशोक कुमार जो कि सिमरन के पिता थे वो अपनी बच्ची के लिए बड़े-बड़े सपने देखते थे। शायद हर पिता देखता है पर जब से सिमरन के छोटे भाई की मौत हुई थी तब से ही वो चाहते थे कि सिमरन को कुछ बड़ा जरूर बनाना है। वो सोचते कि अब बेटे की कमी को सिमरन ही पूरा करेगी। पर ये किसी को क्या पता था कि जब सिमरन पांच साल की होगी, तो उस अरमानों वाले पिता का हाथ ही, उसके सर से उठ जाएगा। मां की हालत सुधरी भी है लेकिन उस सदमें से वो अभी तक उभर नहीं पाई है। मामा ने बात छेड़ी कि सरकार तो कुछ कर नहीं रही है, अब तो रिश्तेदार ही हैं जो कुछ कर सकते हैं, यदि आप की तरफ से ये लोगों तक अपील हो जाए तो इस बच्ची का भला होजाएगा।
ये वही सिमरन है जो कि करोलबाग के गफ्फार मार्केट की ४२ नंबर गली में रहती है। जहां पर इन ब्लास्ट का सबसे ज्यादा असर हुआ है। बच्ची सिमरन तो आधे घंटे में दो-चार शब्दों के अलावा कुछ नहीं बोली। उसको देखने से ही लग रहा था कि सिमरन अब बड़ी हो गई है।
लोगों के लिए फोन कॉल खोल दिए गए। फोनों की तो बाढ़ सी आगई। हम बात करना चाहते हैं सिमरन से। कई लोग तो ठीक से बोल भी नहीं पा रहे थे। आवाज से ही पता चलता था कि गला रूंधा हुआ है। फिर हमने लोगों को समझाया कि ये कार्यक्रम जो हम आपको दिखा रहे हैं वो महज आपकी हमदर्दी पाने के लिए नहीं है, पूरे देश की हमदर्दी इस बच्ची के साथ है। पर हम चाहते हैं कि कोई इस की मदद के लिए तो सामने आए। फिर कई फोन आए कि हम सिमरन को गोद लेना चाहते हैं। फिर हमने समझाया कि गोद तो आप ले नहीं सकते क्योंकि उसका परिवार है। हम ये लगातार बता रहे थे कि कैसे सिमरन की मदद हो सकती है।
बैंक ऑफ इंडिया के करोल बाग ब्रांच में उसकी माता कमलेश और पिता अशोक कुमार का ज्वाइंट अकाउंट है। बैंक अकाउंट नंबर है-600610110000836.
सभी लोग इस अकाउंट में अपना योगदान करके सिमरन की मदद कर सकते हैं। पर उस आधे घंटे में दो-चार को छोड़कर किसी ने भी हमदर्दी के साथ मदद का भरोसा नहीं दिलाया। पर अब देखना तो ये हैं कि क्या कुछ मदद लोग कर पाते हैं इस बच्ची की।
आपका अपना
नीतीश राज
(नोट- यदि आप में से कोई भी मदद करना चाहे तो ऊपर अकाउंट नंबर दिया हुआ है।)
"MY DREAMS" मेरे सपने मेरे अपने हैं, इनका कोई मोल है या नहीं, नहीं जानता, लेकिन इनकी अहमियत को सलाम करने वाले हर दिल में मेरी ही सांस बसती है..मेरे सपनों को समझने वाले वो, मेरे अपने हैं..वो सपने भी तो, मेरे अपने ही हैं...
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“जब भी बोलो, सोच कर बोलो,
मुद्दतों सोचो, मुख्तसर बोलो”
बहुत-बहुत धन्यवाद नीतिश जी. ईश्वर सिमरन को आगे सारे दुखों से बचाए!
ReplyDelete" very painful incident it was. thanks for sharing her pain situation and also account no so that many of us can help her, God bless her"
ReplyDeleteRegards
लड़की की फोटो देखी थी। बहुत विषाद हुआ था। ईश्वर उसका भला करें।
ReplyDeleteऎसे हादसो मे कितनी ही सिमरन जेसी होगी, जिन पर केमरो की , पत्र कारो की नजर ना पडती हो, उन बेचारियो का क्या होता होगा?
ReplyDeleteबहुत ही भावुक हे आप का यह लेख
धन्यवाद