Tuesday, September 16, 2008

नपुंसकों की तरह बात करना बंद करो शिवराज पाटील,यदि नहीं कर सकते,तो तुमको देश की सेवा का अधिकार भी नहीं देता ये इंडियन

क्या कभी चोर ये बता कर आता है कि लीजिए मैं आगया चोरी करने? नहीं बताता, और उस से ये उम्मीद भी नहीं की जाती कि वो बताए। यदि चोर बता कर आने लगे तो फिर वो चोरी कहां रह जाती है वो तो राज ठाकरे सरीकी दादागीरी कहलाती है। लेकिन कुछ शातिर चोर होते हैं जो ये बता कर आते हैं कि आज हम यहां पर चोरी करेंगे हो सके तो जितना भी पुलिस का इंतजाम करना है कर लो लेकिन चोरी होकर रहेगी। हमारे गृहमंत्री-गृहसचिव ये ही चाहते हैं कि उनको पहले बता दिया जाए कि किस स्पॉट पर आतंकवादी हमला करेंगे।
“एक टीवी इंटरव्यू में देश के गृहमंत्री शिवराज पाटील ने कहा कि, नरेंद्र मोदी के पीएम को जानकारी दिए जाने से पहले ही केंद्र के पास संभावित धमाकों के संबंध में ख़बर थी। हमें सिर्फ जगह, समय और इस बात का नहीं पता था कि आतंकी किस तरीके का इस्तेमाल करेंगे”।
क्या शर्म नहीं आनी चाहिए शिवराज पाटील को। क्या सोचते हैं शिवराज पाटील जी कि ये नापाक इरादा रखने वाले आतंकवादी आपको address लिख कर के देंगे कि इस समय हम यहां पर छुपे हुए हैं, साथ में हमारे पास इतना असला बारुद है, तुम्हारे ही मुल्क के इतने आदमी हमारे संगठन में अपनी इच्छा से काम करते हैं, हम आज फलां जगह पर फलां वक्त पर विस्फोट करेंगे। क्या लगता है शिवराज जी आप को ये बात करनी चाहिए थी। नाकामी का ढिंढोरा यूं पीटना चाहिए था। अब तो ये ढिंढोरा पिट ही गया है तो सब्र रखिए (वैसे भी आपको सब्र की आदत बहुत है), और ये सब्र आपका क्या गुल खिलाता है। कपड़े बदलने पर तो आपकी वैसे ही भद्द पिट चुकी है। इस प्रकरण से और नेताओं को भी सीख मिल गई होगी। जब देश की राजधानी पर हमला हुआ हो और लोग अपनी जान की परवाह किए बगैर दूसरी की सेवा करने में लग गए हों। तब दूसरी तरफ आप अपने कपड़ों पर पड़ने वाली धूल की फिक्र कर रहे थे और उस शाम तीन पोशाकें आपने बदल दी। सच शिवराज जी आप बाहर से ही नहीं अंदर से भी नपुंसक हैं।

“नपुंसकों की तरह बात करना बंद करो शिवराज पाटील, यदि नहीं कर सकते तो तुमको देश की सेवा का अधिकार भी नहीं देता ये इंडियन”।

कांग्रेस शिवराज पाटील का बचाव करने में लगी हुई है। वैसे वो कांग्रेस की मजबूरी है, पर कांग्रेस को ये सोचना चाहिए कि ताबूत में कीलों की जरूरत पड़ती है और शिवराज रूपी कील कहीं आखरी कील तो नहीं है कांग्रेस के ताबूत पर।
वहीं दूसरी तरफ श्रीजयप्रकाश जायसवाल जी कहते हैं कि आतंकवादियों ने हमें चकमा दे दिया इस बार, और हम एक सइस्टम बना रहे है जिससे की हम इन पर काबू पा सकें। अरे, जायसवाल जी कि क्या पागल बना ने के लिए हमारी प्यारी-भोली जनता ही मिली है क्या आपको। अरे इस साल में ही तीन बार आपको आतंकवादियों ने चकमा दिया और बता-बता कर के चकमा दिया है। हर बार वो आपको मेल करके सूचित करते हैं और आप उनका कुछ भी उखाड़ नहीं पाते। और वो मेरे भाइयों का खून बहाकर के अपने आला कमान को ये सूचना देते हैं खुशी से पागल हो जाते हैं।
यदि ये ही हाल रहा तो सिमी यानी दूसरी पहचान इंडियन मुजाहिद्दीन अभी पहले मेल भेजता है और फिर वो हमला करता है। वैसे भी आतंकियों को हमारे देश के लिजलिजे कानून पर पूरा भरोसा है कि यदि वो पकड़े भी गए तो जरूर से ही छुड़ा लिए जाएंगे वरना एक और हाईजैक प्रकरण से इस देश को हिलाते हुए उनको छुड़ा लिया जाएगा।
अब इसका हल सिर्फ ये है कि इन जैसे भी हो हम खास तौर पर धमाकों पर तो सियासी रोटियां सेकना बंद करें और साथ ही इन नपुंसकों को देश की सेवा से हमेशा के लिए मुक्त कर देना चाहिए।

आपका अपना
नीतीश राज
(फोटो साभार-गूगल)

11 comments:

  1. सही लिखा है आपने हमारा नेतृत्व ही नपुंसक हो चुका है। अब इनसे देश के लिए कुछ करने की उम्मीद नहीं की जा सकती।

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  2. नितीश जी, आपने बिल्कुल सही लिखा है. वैसे भी पाटिल साहब और इनके सहयोगी जायसवाल जी, दोनों केश-सज्जा में पारंगत हैं. कपडों के मामले में भी दोनों बाकी मंत्रियों से कई कदम आगे हैं.

    इन्हें तो साज-सज्जा मंत्रालय का प्रभारी होना चाहिए.

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  3. sahi keh rahe hain aap lekinye baat congress ki mata ji samjhe tab na.hare hue aadmi ko grihmantri bana diya,jaise jita hua koi bhi nahi tha.unhe yogya nahi chatukar chahiye aise me kya shivraj kya shreeprakash,aur sach kahun to news channelon ka in jaise ghatiya logo ke liye sardar patel ko bich me lana bahut bura laga.sahi aur bebak lekhan ki badhai

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  4. नीतिश जी आपने बढिया लिखा है ! और मैं तो इस पर यही कहूंगा की-

    "सच शिवराज जी आप बाहर से ही नहीं अंदर से भी नपुंसक हैं।" ऐसा कड़वा सच लिखने के लिए आपको बधाई !

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  5. ऐसे नीच, देशद्रोही के तो कपड़े उतारकर सरेआम जूतों की माला पहनाकर पूरी दिल्‍ली की सैर कराई जानी चाहिए

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  6. सही लिखा है .
    आजकल के ये नेता संवेदन हीन और स्वार्थी हो गए हैं . जिन्हें आम जनता के दुःख दर्द से कोई वास्ता नही हैं . वे क्या देश की सुरक्षा के बारे मैं सोचेंगे . जिन्हें सजने सवारने से फुर्सत नही हैं .

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  7. नेताओं को संवेदनशील मुद्दों पर गोल-मोल बयान देने की आदत रही है और उनकी सारी शक्‍ति‍ इन बयानों को तैयार करने के इर्दगि‍र्द खत्‍म हो जाती है। इनसे उम्‍मीद लगाना कि‍ ऐसे मसलों पर ये कुछ कर पाऍंगे, बेमानी है।

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  8. सही कह रहे हैं आप.

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  9. RC SHARMA SONKHARA ------------------NATAO KHOB UTARI ARTI BAH

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  10. एकदम सही और कड़वा सच लिखा आपने कि एक देश का गृहमंत्री नपुसंक है।
    वैसे कहीं हम यह कह कर नपुसंकों का अपमान तो नहीं कर रहे?
    दुर्भाग्य है।

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“जब भी बोलो, सोच कर बोलो,
मुद्दतों सोचो, मुख्तसर बोलो”