उत्तर प्रदेश के आजमगढ़ का मैंने पहले कई बार नाम राजनीति के धुरंधरों के कारण सुना तो था पर इस जगह को ठीक तरह से जानता नहीं था। थोड़े समय बाद फिर दाऊद इब्राहिम, अनीस इब्राहिम और फिर अबू सलेम जैसे गुंडों और अंडरवर्ल्ड डॉन के कारनामों के कारण इस जगह को जानने लग गया। वाराणसी, गोरखपुर, जयपुर, बैंगलोर, अहमदाबाद, और फिर दिल्ली को दहलाने के बाद इस जगह का बार-बार जिक्र होता रहता था। कभी कोई हथियार या फिर आरडीएक्स के चक्कर में पकड़ा जाता तो फिर इस जगह का जिक्र हो ही जाता था।
दिल्ली में 13 सितंबर को हुए धमाकों में पकड़े गए लोगों के रिश्ते आजमगढ़ से मिले। चाहे वो आतिफ हो या फिर जिया-उर्र-रहमान या फिर शाकिब निसार। तीनों आतंक के गढ़ आजमगढ के निकले। यदि गौर करें तो ये जगह अब वाकई आतंक का अड्डा बनते जा रही है। इसके पीछे जो कारण है वो साफ है, यहां की राजनीति, युवाओं में जल्दी ही अबू सलेम जैसा अमीर बनने की चाह और साथ ही यहां के बदमाशों तक पुलिस की ढीली पहुंच या यूं कहें कि कानून का लिजलिजा पन। साथ ही यहां के युवाओं के अंदर यहां से बने डॉन की हीरो जैसी छवि। अबू सलेम ने अपने घर सरायमीर में एक शानदार कोठी बनवाई जबकि कुछ साल पहले तक उसकी हैसियत बिल्कुल मामूली थी। सलेम को मिला मोनिका का साथ और विदेश में रहने का मौका। कुछ वक्त बाद ही यहां के युवक चल पड़े अबू सलेम बनने और मुंबई पहुंचकर किसी गिरोह में शामिल होकर या तो आपसी रंजिश में मर गए या फिर शूटर बन गए और फिर पुलिस या फिर किसी डॉन के गुर्गे की गोली का शिकार बन गए। यहां से ही मुंबई में ब्लैक फ्राइडे को अंजाम देने वालों की लिस्ट सबसे ज्यादा थी। मुंबई या देश के बाहर से चल रहा हवाला कारोबार, हथियारों का जखीरा, ड्रग्स का फुलप्रुफ मार्केट बन चुका है। यहीं से दाऊद को गुर्गों की फौज भेजी जाती है साथ ही इंडियन मुजाहिद्दीन और सिमी को हाथ और हथियार।
आजमगढ़ से सिमी का रिश्ता भी बहुत ही पुराना है। सिमी का संगठन ख़ड़ा करने वाला शाहिद बद्र फलाही भी आजमगढ़ का ही था। टाडा के तहत भारत में पहली गिरफ्तारी भी यहीं से ही हुई थी। अबू हाशिम को इसी अड्डे से ही पकड़ा गया था। चंद रोज अहमदाबाद ब्लास्ट का मास्टरमाइंड अबू बशर भी तो यहीं का ही है। सिमी का ख़ौफनाक चेहरा यहां के युवकों को आतंकी वारदातों के लिए तैयार करता है। ये संगठन यहां के लोगों के दिमाग में हमेशा ही जहर भरता रहा है। साथ ही शाहिद बद्र फलाही ने जो सिमी की नीव रखी उस आगे बढ़ाते हुए अबू बशर ने नौजवानों में वो जहर भरा कि आज पूरा देश उस की चपेट में आ गया है।
वैसे समाजवादी पार्टी और बहुजन समाज पार्टी की राजनीति भी यहीं से चलती है। मायावती को जैसे ही पता चला कि आजमगढ़ पर स्पेशल सेल का कहर बरस रहा है तो मायावती ने मुलायम सिंह पर मुलायम सा क़हर बरपा दिया। साथ ही माया ने अपनी माया का मायाजाल बुनते हुए केद्र पर भी निशाना साधा। पर कहर बरपा तो मुलायम पर था पर आग हमेशा की तरह उनके सेनापति अमर सिंह को लगी। फिर शुरू हुआ गंदी राजनीति का दौर। नहीं तुम्हारे शासन में गुंडे ज्यादा फले फूले, नहीं तुमने उन्हें शय दे रखी है। आजमगढ़ पर राजनीति शुरू होगई पर किसी ने ये नहीं सोचा कि जो हुआ सो हुआ अब तो युवाओं की फौज को बचा लो। वरना ये होता रहेगा कि बाप तो राजनेता और बेटा उनसे भी दो कदम आगे आतंकवादी। एल 18 से पकड़े सैफ के पिता समाजवादी पार्टी से जुड़े रहे हैं। क्या ये राजनीति के सौदागर राजनेता उन युवकों को सहारा देने का काम करेंगे जो राह भटक गए हैं? यूपी, पंजाब और कश्मीर ना ही बने तो बेहतर।
आपका अपना
नीतीश राज
दलगत, व्यक्तिगत, स्वार्थगत राजनीति से ऊपर उठकर देशहित की बात की शुरूआत किसी-न-किसी नेता को तो करनी पड़ेगी, दिल्ली या लखनऊ में. यह बात आजमगढ़ से शुरू हो ऐसा तो सम्भव नहीं है.
ReplyDeleteयह विचारणीय प्रश्न है कि एक शहर को ऐसा खल होने में कितने दशकों की उपेक्षा झेलनी पडी होगी.
तथ्य सब कुछ बोलते हैं!
ReplyDeleteजब किसी आपराधिक या आतंकवादी गतिविधि में किसी स्थान विशेष का नाम बार-बार आने लगे तो नीति नियंताओं के लिये यह सोचने की बारी है कि उस क्षेत्र में यह प्रवृत्ति क्यों घर कर रही है। कट्टरवाद को बढ़ावा देकर राजनीतिज्ञ कालिदास की तरह जिस डाल पर बैठे हैं उसे ही काट रहे हैं। जो लोग हिंसा की राह पर चल रहे हैं पहले अफगानिस्तान, पाकिस्तान, लेबनान और सीरिया का हाल तो देख लें।
ReplyDeleteसाठ - सत्तर के दशक में यह स्थान दंगे का केन्द्र था। अब वह आतंक का केन्द्र है। स्थिति बदतर हुई है।
ReplyDeleteआतंक गढ़ है यह ...आजमगढ़ के बारे में पढ़ना अब शुरू किया है ..क्योँ है यहाँ इस तरह का माहौल यह जानना बहुत जरुरी है
ReplyDeleteसहमत हूँ पुरी तरह से स्मार्ट इंडियन से....
ReplyDeleteआजमगढ़ क्या भारत से बडा हे, जिस के बारे हम सब जानते हे, हमारी सरकार नही, आगे मे स्मार्ट इंडियन की बात से सहमत हु
ReplyDeleteधन्यवाद
कैफी आज़मी , राहुल सांकृतायन, शबाना आज़मी जैसे नाम भी इसी शहर से जुडे हैं. तब फिर बार बार आजमगढ का नाम इस तरह क्यों लिया जा रहा है जैसे वहां के सभी लोग आतंकवादी गतिविधियों में लिप्त है ?
ReplyDeleteAll muslims are nt terrorists.....boys who are encountered at batla house and who are arrested and who are absconding..they all are innocent...and inshaallah world will soon know dat.
ReplyDeletepankaj singh
ReplyDeleteazamgarh me education ki kami hi. yahan per basic education and good politics honi jaruri hai.ham bhi azmi hai, sab bure kaise ho sakte hai.hinsha se kisi ka bhala huwa hi nahi hai.seria lebnan pak afgan ki hal sabhi dekh rahe hai.
praful singh
ReplyDeleteis mitti se anek vbhutiyan nikli hai jo desh ka name roshan ki hai.is liye atankgarh kahna galat hai.apne hi desh ke kuch achhe soch wale aaryemgarh kahate hai.