किसने किए दिल्ली के महरौली में ब्लास्ट? क्या उन्होंने जो ये बताना चाहते थे कि चाहे कितनों को पकड़ लो, चाहे कितनों को मार दो, हमारी तादाद कम नहीं होगी? या फिर वो जो कि ये बताना चाहते थे कि उन संगठनों के अलावा हम भी हैं या फिर वो जो कि हमेशा ही ऐसे समय का इंतजार करते हैं कि जब की कोई त्यौहार आने वाला हो तभी इस तरह की दहशत फैला कर के सारी दिल्ली को बैकफुट पर ढकेल दें। चाहे किसी और जगह पर बम को रखने की थ्योरी भी सामने आ रही है पर इस बात से एतराज नहीं किया जा सकता कि दहलनी तो दिल्ली ही थी। इन नौसिखियों आतंकवादियों की वजह से वहां पर नहीं ऱखा जा सका बम और अफरातफरी में बम ऐसे ही फेंक कर वो भाग गए। महरौली में ब्लास्ट का क्या मतलब कोई लगा सकता है? ना तो कोई भी बड़ी जगह, ना तो ऐसा चर्चित मार्केट जहां पर रश इतना ज्यादा रहता हो कि अधिक से अधिक लोग हताहत हों। लेकिन इस बार के ब्लास्ट के बारे में ये ही कहा जा सकता है कि दहशतगर्दों की कोशिश थी दहशत फैलाने की।
कुछ भी कहें पर महरौली ब्लास्ट ने एक १३ साल के मासूम की जान लेली साथ ही एक नौजवान की भी। वो १३ साल का मासूम वो ही बच्चा है जो कि पॉलीथिन गिरने पर उसने उठाया था और उन आतंकवादियों को भईया संबोधित करते हुए कहा था कि आपका सामान गिर गया है। उस बेचारे मासूम को क्या पता था कि वो शब्द उसकी जिंदगी के आखिरी शब्द होंगे। साथ ही जिनको वो भईया बोल रहा है वो देश के दुश्मन हैं। उस नौजवान के पिता जो कि इस ब्लास्ट की भेंट चढ़ गया वो कहते हैं कि आतंकवादियों को सड़क पर गोली मार देनी चाहिए। वो एक मुस्लिम पिता की आवाज़ है। उसमें कोई धर्म नहीं, कोई जात नहीं, कोई राजनीति नहीं, सिर्फ छुपा है तो एक पिता का दर्द।
पुलिस ने भी जल्द ही खून के धब्बे धो डाले। ये बात हज्म नहीं हुई। पुलिस को लगा होगा कि शायद लोग दहशत से उबर जाएं, वरना खून दिखता रहेगा तो याद उतनी ही ज्यादा रहेगी। लेकिन फोरेंसिक टीम को नमूने क्यों नहीं लेने दिए। बहरहाल शिवराज पाटील जी ने अब मुंह खोलने से ही इनकार कर दिया है। अच्छा है वरना रटारटाया बयान फिर सुनने को मिलते। बीजेपी के सीएम इन वेटिंग विजय कुमार मल्होत्रा ने तुरंत आनन-फानन में महरौली का रुख किया। मुझे मेरे कुछ रिपोर्टरों ने बताया कि पुलिस से लेकर आम लोग भी नहीं चाहते कि ऐसे मौके पर तुरंत किसी भी वीवीआईपी का दौरा हो। पुलिस अपना काम छोड़कर उनकी तिमारदारी में लग जाती है। खुद नेताओं को भी सोचना चाहिए। साथ ही नेतागण ये भी सोचें कि क्या बोलना है और क्या नहीं तो बेहतर ही होगा। सभी के पीछे पुलिस नहीं लगाई जा सकती पर ये समय नहीं है कि ऐसी लाइनें बोली जाएं।
ये दहशत फैलाने की कोशिश लगातार जारी है, फरीदाबाद में भी बम जैसी वस्तु मिली। जानबूझकर बरगलाने के लिए फोन किया जाता है।बार-बार कॉल किया जाता है। कभी कहीं से तो कभी कहीं से, कहीं के लिए कॉल। पुलिस भी परेशान हैं। लेकिन ये आतंकवादी नहीं जानते कि ये दिल्ली का दिल है जो ऐसे धड़कना बंद नहीं कर सकता,पर डर तो लगता है ही, वो भी खत्म हो जाएगा। कितनी ही कोशिश कर लो, पर दिल्ली झुकने वाली नहीं दहशतगर्दों।
आपका अपना
नीतीश राज
"MY DREAMS" मेरे सपने मेरे अपने हैं, इनका कोई मोल है या नहीं, नहीं जानता, लेकिन इनकी अहमियत को सलाम करने वाले हर दिल में मेरी ही सांस बसती है..मेरे सपनों को समझने वाले वो, मेरे अपने हैं..वो सपने भी तो, मेरे अपने ही हैं...
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
“जब भी बोलो, सोच कर बोलो,
मुद्दतों सोचो, मुख्तसर बोलो”
नीतिश राज जी आप ने सही लिखा हे , लेकिन यह सरकार क्यो सोई हुयी हे,जिन्होने भी यह हरकत की हे, उन्हे इस बच्चे की चीखे, बद दुआ उस मां की आत्मा से निकली कभी माफ़ नही करेगी.
ReplyDeleteधन्यवाद लेख के लिये
सही कहा, न टूटे थे, न टूटे हैं और न टूटेंगे
ReplyDeletesahi kaha aapne.
ReplyDeleteलोग अपने एकजुटपने से इस समस्या से निपटने में सहयोग दे सकते हैं। पर आप ब्लॉगों में ही देख लीजिये। दो ध्रुव नजर आते हैं। कुछ लोग तो पूरा समर्थन करते और विभिन्न तर्क गढ़ते प्रतीत होते हैं।
ReplyDeletenitish ji, हमारी सुरक्षा व्यवस्था में ही खोट है, नहीं तो आतंकवादियों की इतनी हिम्मत नहीं बढ़ती कि वो बाजार में बम फेंककर दिल्ली के इलाके से फरार हो जाऍं।
ReplyDeleteकहीं ना कहीं गडबड जरूर है वरना इस तरह की हिम्मत नही हो सकती !
ReplyDeleteसटीक लिखने के लिए धन्यवाद !
अब नही चेते तो मुश्किलें ओर आयेगी ...दरअसल ख़ुद पुलिस का एक सिपाही भी मुस्तैद नही है रोजमर्रा की सुरक्षा में .....
ReplyDeleteआप हिन्दी की सेवा कर रहे हैं, इसके लिए साधुवाद। हिन्दुस्तानी एकेडेमी से जुड़कर हिन्दी के उन्नयन में अपना सक्रिय सहयोग करें।
ReplyDelete~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~
सर्व मंगल मांगल्ये शिवे सर्वार्थसाधिके।
शरण्ये त्रयम्बके गौरि नारायणी नमोस्तुते॥
शारदीय नवरात्र में माँ दुर्गा की कृपा से आपकी सभी मनोकामनाएं पूर्ण हों। हार्दिक शुभकामना!
(हिन्दुस्तानी एकेडेमी)
~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~