Thursday, September 4, 2008

एक चिट्ठी से सरकारी गलियारे में हलचल

अगर भारत ने परमाणु परीक्षण किया तो अमेरिका करार से हट सकता है। इस बात की जानकारी बुश प्रशासन की 9 महीने पुरानी चिट्ठी से हुई है। बुश प्रशासन ने ये चिट्ठी यूएस कांग्रेस को लिखी थी। ये चिट्ठी छपी है अमेरिकी अखबार वॉशिंगटन पोस्ट में। चिट्ठी में लिखा है कि अगर भारत ने दोबारा परमाणु परिक्षण किया तो अमेरिका करार तोड़ देगा। यदि ऐसा अमेरिका करता है तो फिर भारत के हाथ करार पर इतना आगे बढ़ने के बाद भी खाली ही रहेंगे। ना तो भारत को परमाणु ईंधन मिलेगा और ना ही भारत को परमाणु इंधन को उपयोग करने के लिए तकनीकी मदद।
देश में हलचल तो स्वाभाविक थी। पीएम आवास पर तुरंत कांग्रेस की एक बैठक हुई। और भारत सरकार की तरफ से ये साफ किया गया कि भारत और अमेरिका के बीच हुए परमाणु करार में कोई भी फेरबदल नहीं होगा। परमाणु परीक्षण पर भारत ने खुद ही अपनी तरफ से पाबंदी लगा रखी है। भारत पर इस मामले में कोई भी दबाव नहीं है। भारत अमेरिका के अंदरुनी मामलों में हस्ताक्षेप नहीं करता। पर सवाल उठता है कि यदि इन सब बातों की जानकारी मनमोहन सिंह को थी तो फिर आननफानन में बैठक क्यों बुलाई गई।
क्या इस चिट्ठी में जो भी लिखा है उसकी जानकारी भारत सरकार को थी। मनमोहन सिंह बार-बार ये

कहते रहे है कि इस करार से हमारी स्वतंत्रता पर कोई भी असर नहीं पड़ेगा। इसका मतलब कि भारत के परमाणु कार्यक्रमों पर इस करार का कोई भी असर नहीं पड़ना। जबकि अमेरिकी राजदूत डेविड मलफर्ड का कहना है कि इस चिट्ठी के कंटेंट के बारे में भारत सरकार को पूरी जानकारी है।
यदि ऐसा है तो चिट्ठी में लिखी बातों का असर भारत और अमेरिका के संबंधों पर नहीं पड़ेगा और इस से भारत को घबराने की जरूरत भी नहीं है। बुश प्रशासन या यूं कहें कि अमेरिका को भी इतना आसान नहीं होगा इस करार से पल्ला झाड़ना। खुद अमेरिका इस करार को लेकर इतना आगे आ गया है कि इतनी आसानी से तो वो पीछे हट नहीं सकता।
पर भारत के लिए मुश्किल ये है कि ये चिट्ठी उस वक्त आई है जब कि भारत 45 देशों के न्यूक्लियर सप्लायर ग्रुप याने एनएसजी को परमाणु करार पर राजी कराने में जुटा है। देश में बहुमत मिल जाने से और सरकार बचा लेने से ये साबित नहीं होता कि करार होगया। अभी तो मंजिल बहुत दूर है।

आपका अपना
नीतीश राज

फोटो साभार-गूगल

11 comments:

  1. यह तो स्वस्थ राजनैतिक सम्बन्ध की हिचकियां प्रतीत होती हैं। माइल्ड एसीडिटी। लोग चांव चांव करेंगे; पर सब आगे बढ़ेगा।

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  2. राजनीति हाथी के दांत की तरह होती है दिखाने वाले कुछ और खाने वाले कुछ और

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  3. जिस तरह सिगरेट के पैकेट पर छोटे अक्षरों में वैधानिक चेतावनी लिखी होती है, वैसे ही शायद यह clause लिखा होगा, तभी हमारे नेतागण पढ नहीं पाये होंगे। पूछने पर कहेंगे - तुम भी यार बडा छोड छोटे को पकड वाली बात कर रहे हो, एकाध clause पढने में छूट गया तो कौन आफत आ गई :D

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  4. क्या कहा जाए?
    बहुत कठिन है डगर पनघट की।

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  5. ५ दिन की लास वेगस और ग्रेन्ड केनियन की यात्रा के बाद आज ब्लॉगजगत में लौटा हूँ. मन प्रफुल्लित है और आपको पढ़ना सुखद. कल से नियमिल लेखन पठन का प्रयास करुँगा. सादर अभिवादन.

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  6. कितना सच है या........... अमेरिका की भारत पर दबाव बनाने की कूटनीतिक चाल .........ये तो कुछ दिनों बाद ही मालूम चलेगा.....

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  7. इससे एक बात तो साफ हो गई कि यूपीए सरकार और उसके मुखिया मनमोहन सिंह एक नंबर के झूठे हैं। उन्होंने जानबूझकर संसद और देश को गुमराह किया है।

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  8. bahut hi khed ka vishay hai . desh ki asmita ke sath khilavaad kiya ja raha ha.

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  9. भाई नीतीश जी इन सरकारी सांडो का कोई भरोषा नही
    की ये कहाँ क्या क्या झूंठ सच बोलते हैं ! जनता को
    गोपनीयता के नाम पर इस मामले में तो क्या ? किसी
    भी मामले की जानकारी नही दी जाती !

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“जब भी बोलो, सोच कर बोलो,
मुद्दतों सोचो, मुख्तसर बोलो”