Saturday, September 27, 2008

क्या हैं हम, SOFT NATION या WEAK NATION? पार्ट 2

पिछली कड़ी में बात की हमने भारत की, जब कि हमने पहली बार आतंकवाद के सामने घुटने टेके थे। कुछ देश ऐसे भी हैं जो कि किसी भी कीमत पर आतंकवाद के सामने झुकने को तैयार नहीं हैं।

इस कड़ी में अब बात दूसरे नेशन रूस की। रूस के मॉस्को में 23 अक्टूबर 2002 की एक शाम। मॉस्को में शहर के सबसे बड़े थिएटर में गीत संगीत से भरी शाम अपने पूरे रंग में थी। करीब 850-900 के करीब लोग वहां मौजूद थे। तभी रात के 9।00 बजे करीब 42 चेचन्य आतंकवादी वहां आते हैं और पूरे थिएटर को अपने कब्जे में कर लेते हैं। करीब 90 लोग भागने में सफल हो जाते हैं। दो दिन बाद 150-200 लोगों को आतंकवादी छोड़ देते है जिनमें औरतें और बच्चे शामिल। उन चेचन्य आतंकवादियों की मांग थी कि सप्ताह भर के भीतर चेचन्य में से रूस अपनी सेना हटा ले और चेचन्य को आजाद कर दे। काफी लोगों ने मध्यस्थ की भूमिका निभानी चाही पर वो सब बेकार। सरकार ने ये फैसला भी किया कि चेचन्य से अपने सैनिक हटा लिए जाएंगे पर समय बहुत कम था। वहीं कमांडो अपनी जगह ले चुके थे। 26 अक्टूबर 2002 को फौजी कार्रवाई से पहले सरकार ने संदेश इन विद्रहियों को भिजवाया---

“हमें नहीं पता कि कितने आतंकवादी थिएटर में मौजूद हैं और उनके पास कौन
से हथियार हैं, हमें ये भी नहीं पता कि वो हमारी जनता के साथ कैसा सलूक कर रहे हैं।
हमें तो सिर्फ ये पता है कि एक भी विद्रोही थिएटर से जिंदा बाहर नहीं निकल
पाएगा”
और हुआ भी ये ही सभी विद्रोही मार दिए गए। साथ ही करीब 150 बंधकों की भी मौत हुई। जबकि ऐन हमले से पहले कुछ बंधकों ने फोन पर ये जानकारी दी थी कि,
'विद्रोही उनको कोई भी हानि नहीं पहुंचाना चाह रहे ये तो हमारी सरकार है जो कि हमें यहां से जिंदा नहीं निकालना चाहती और थिएटर में जहरीली गैस छोड़ रही है’।
बाद में पुतिन सरकार को बहुत भला-बुरा कहा गया, वहां पर भी राजनीति खूब हुई। पुतिन सरकार पर आरोप भी लगे और एक वक्त तो ये आया कि शायद पुतिन हिल जाएंगे। पर ऐसा हुआ नहीं। लोगों ने फिर दूरदर्शिता को देखते हुए सरकार का साथ ही दिया।

क्या इस तरह के फैसले भारत सरकार ले सकती है?चाहे किसी की भी दल की सरकार हो। यदि रुबैया अपहरण कांड में सरकार ने सटीक फैसला ले लिया होता तो शायद आज देश का हर हिस्सा महफूज होता।
कई दिनों से ये बहस चल रही है कि हम क्या हैं एक Soft Nation या फिर Weak Nation। लेकिन इन दो उदाहरण से ये साफ जाहिर होगया होगा कि हम क्या हैं। Soft Nation रूस भी है पर वो Weak Nation नहीं है। पर हम Soft Nation के साथ साथ Weak Nation भी हैं। जब ही आतंकवाद सर चढ़कर बोल रहा है।

अगली बार भी नजर डालेंगे भारत सरकार और विदेशी सरकारों के रुख पर जो हमें एहसास कराएगा और बताएगा कि हां, हम Soft नहीं Weak Nation हैं।

आपका अपना
नीतीश राज

1 comment:

  1. आपने वीक और सॉफ्ट नेशन का फर्क रूस और रुबैया अपहरण के उदाहरण
    से समझाया ! बहुत ही सटीक उदाहरण आपने लिए ! और आपकी बात का
    समर्थन करने के अलावा मुझे तो कोई चारा नही दीखता ! बहुत सटीक लेख
    लिखा है आपने ! धन्यवाद !

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“जब भी बोलो, सोच कर बोलो,
मुद्दतों सोचो, मुख्तसर बोलो”