अभी तो फिल्म बाकी है मेरे दोस्त। यदि देखा जाए तो महाराष्ट्र में नौकरी को लेकर उत्तरभारतियों की पिटाई तो सिर्फ टेलर भर थी। ये पिटाई मराठी बनाम गैरमराठी की है। ये लड़ाई सिर्फ अब एमएनएस की नहीं रह गई है। इस लड़ाई में वोटों की राजनीति है। हर पार्टी अब इस मुद्दे पर वोट का खेल खेलना चाहती है। तभी इस बार एमएनएस के साथ-साथ शिवसेना भी मारपीट की राजनीति में कूद पड़ी, जो कि वो पिछले ४० साल से कर रही है। वो ऐसे कूदी कि पूरे महाराष्ट्र में गुंडागर्दी देखने को मिली। कल्याण, ठाणे, सोलापुर, नेरूला, भांडूप, भायंदर, डोंबीवली सभी इलाकों में इनका क़हर बरपा।
अब महाराष्ट्र में सभी दल ये कहने लगे हैं कि ये किसी पार्टी विशेष की लड़ाई नहीं है ये तो स्थानीय लोगों की लड़ाई है। एक दम से सभी दल के नेताओं को हो क्या गया, कि स्थानीय लोगों की याद दूसरी पार्टी के कारण आने लगी। सीधे-सीधे ये नेतागण कहना चाहते हैं कि ये एमएनएस की लड़ाई नहीं है ये लड़ाई तो हम सब की है, हमने ही तो शुरू की है। मतलब कि वोट हममें भी बटें। सिर्फ कुछ मुट्ठी भर लोग, कुछ चुनिंदा लोग अब पूरे महाराष्ट्र के लोगों की किस्मत का फैसला करेंगे। ये जो गंदी राजनीति चल रही है ये महाराष्ट्र के सभी लोगों की सोच है? मैं तो ऐसा नहीं मानता,ये पूरे महाराष्ट्र की राय नहीं हो सकती।
इस बार इनके निशाने पर थे रेलवे भर्ती बोर्ड की परीक्षा देने आए उत्तर भारतीय छात्र। देर रात से लेकर सुबह तक जहां पर भी उत्तर भारतीयों को देखा गया वहां पर उनकी शामत आगई। मुंबई में शिवसेना के लोगों ने कोहराम मचाया तो महाराष्ट्र के अलग-अलग हिस्सों में एमएनएस के गुंडों ने। सोलापुर में एमएनएस के गुंडों की भी धुनाई की ये एक नई बात जरूर देखने को मिली और उसी समय 20 कार्यकर्ता गिरफ्तार भी किए गए। शिवसेना के 10 कार्यकर्ता भी पकड़े गए। और अब राज ठाकरे को पकड़ने के लिए 1100 एमएनएस कार्यकर्ता पकड़े गए हैं।
सारे हंगामे की जड़ ये है कि सभी नेता ऐसा सोचते हैं या यूं कहें की मांग करते है कि रेलवे की नौकरी में स्थानीय लोगों को ज्यादा भागीदारी मिले। खासकर चतुर्थ श्रेणी की नौकरी पूरी तरह स्थानीय लोगों के लिए आरक्षित हों। सिर्फ इसी के चलते यहां पर राजनीति इतनी गरमाई हुई है। तो क्या हमें हमारे देश में ही इस तरह एक राज्य से दूसरे राज्य में जाने पर यूं बुरी तरीके से जलील होना पड़ेगा।
जैसे कि मैंने पहले लिखा है कि फिल्म तो अभी बाकी है मेरे दोस्त। राज की गिरफ्तारी को लेकर जो ड्रामा शुरू होगा वो तो फिल्म का इंटरवेल होगा और फिर शुरू होगी वो फिल्म जिसकी शूटिंग छठ पूजा के बाद तक चलेगी। लालू प्रासाद यादव ने इस बार छठ पूजा मुंबई में मनाने का एलान किया है। साथ ही राज्य सरकार ने सुरक्षा का पूरा वादा भी किया है। तो फिल्म का क्लाइमैक्स तो अभी बाकी है, सो, फिल्म तो अभी बाकी है... मेरे दोस्त....।
आपका अपना
नीतीश राज
"MY DREAMS" मेरे सपने मेरे अपने हैं, इनका कोई मोल है या नहीं, नहीं जानता, लेकिन इनकी अहमियत को सलाम करने वाले हर दिल में मेरी ही सांस बसती है..मेरे सपनों को समझने वाले वो, मेरे अपने हैं..वो सपने भी तो, मेरे अपने ही हैं...
Sunday, October 19, 2008
पहले पिटाई, फिर प्रदर्शन, और अब धरपकड़
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“जब भी बोलो, सोच कर बोलो,
मुद्दतों सोचो, मुख्तसर बोलो”
Ye sab oto ki rajniti ho rahi hai aur kuch nahi.
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