“वर्दी पहने हुए जो भी मरा है और ‘अगर’ वो शहीद है चाह आतंकवादी की गोली से मरा हो चाहे पुलिस वालों ने अपनी गोली से उसे अपनी जान बचाने के लिए मार दिया हो। संदेह इस लिए होता है कि पांच दिन पहले उसे उसके पद से हटा दिया गया था। हमने उसके परिवार के लिए भी 10 लाख रुपये देने की घोषणा की है और वो हम दे भी रहे हैं”।
सहारनपुर में एक बार फिर से समाजवादी पार्टी के महासचिव ने अपना मुंह खोला और फिर वो ही राग अलापा जो कि बाटला जाकर अलापा था। अमर सिंह को इस शहादत पर सियासत चमकाने में बड़ा ही रास आ रहा है। लेकिन पूरे देश को ये समझ में नहीं आ रहा कि अमर सिंह को इस शहादत में सियासत क्यों दिखती है।
अमर सिंह ने ये बात कही कि इंस्पेक्टर शर्मा को पद से हटा दिया गया था। वैसे ये बात वो कह तो गए लेकिन शायद भूल गए कि तबादले को पद से हटाना नहीं कहते। बहरहाल दिल्ली पुलिस के प्रवक्ता राजन भगत ने तुरंत बयान दिया,
“औपचारिक रूप से हम ये बताते हैं कि इंस्पेक्टर शर्मा का तबादला नहीं हुआ था, ये कोरी बकवास है”।
यहां पर दिल्ली पुलिस ने भी गलत किया कि जब पहले दिन से ये बयान आ रहा था तो तब ही इस पर क्यों नहीं साफ कर दिया गया।
अब अमर सिंह जी का क्या जवाब होता। ये जानने के लिए तुरंत अमर सिंह से फोन पर बात की गई कि आखिर अब आप क्या कहते हैं। दिल्ली पुलिस खुद कह रही है कि नहीं, ऐसी, कोई भी बात नहीं है, सब बकवास है तबादला हुआ ही नहीं।
अमर सिंह ने तुरंत पलटी मारी, पल भर में अपना रंग बदला और जो कहा वो बताता है कि ये राजनेता किसी गैर के क्या, अपनों के भी नहीं होते।
“मुझे बाटला हाउस पहुंचने पर वहीं के लोकल लोगों ने ही ये जानकारी दी थी कि शहीद इंस्पेक्टर शर्मा जी का तबादला हो चुका था”....लेकिन मैंने जब भी कुछ कहा है तो ‘अगर’ शब्द का इस्तेमाल जरूर किया है।
क्या अमर सिंह को शर्म नहीं आनी चाहिए। बिना सोचे समझे कैसे ये सवाल खड़े कर सकते हैं? ये जानते हुए भी कि ये एक ऐसा विषय है जो कभी भी एक चिंगारी के कारण बवंडर मचा सकता है। सच, अब लगने लगा है कि किसी को भी हम वोट करें पर इन जैसे नेताओं की जमात को तो कतई नहीं। तुरंत ही बाटला हाउस वालों का साथ छोड़ दिया। साफ-साफ कह दिया कि बाटला हाउस वालों ने ही तो बताया था और मुझे क्या पता। एक दिन पहले जाकर मरहम लगाते हैं और दूसरे दिन कुरेद देते हैं ऐसे लोगो में से एक हैं अमर सिंह।
सहारनपुर में ही एक बात दोहराने से अमर सिंह नहीं भूले कि, ‘10 लाख का चेक हमने भेज दिया है शर्मा जी के परिवार को’। शायद याद दिलाना पड़ेगा कि वो चेक वापस हो चुका है। क्योंकि चेक के अंकों में दस लाख की जगह पर एक शून्य छूट गया था और वो एक लाख बन गया था पर शब्दों में दस लाख ही लिखा हुआ था। क्या किसी ने भी ये गौर करने, या फिर रीचैक करने की कोशिश नहीं की। जब कि मामला ऐसा हो तब भी। एक पार्टी के महासचिव से ऐसी तो उम्मीद नहीं की जा सकती। यहां बात और, कि जब आप इस शहादत पर सवाल उठा ही रहे हैं तो १० लाख का चेक देने की ये नौटंकी क्यों की जा रही है?
अंत में, अमर सिंह से ये पूछना चाहता हूं, कि क्या आतंकवादियों का कोई धर्म होता है? दूसरा, क्या ये काफी नहीं है कि आतंकवादी, सिर्फ और सिर्फ आतंकवादी ही होता है? क्यों हम मजहब की दीवार को खड़ा करते हैं जब भी ऐसा कोई वाक्या होता है? देश की सुरक्षा किसी भी मजहब से क्या बड़ी होती है? इन सवालों का जवाब शायद ही किसी नेता के पास हो।
आपका अपना
नीतीश राज
अमर सिंग की लीला, वो ही जाने...कोई क्या कहे.
ReplyDeleteलानत है ऐसे झूठों पर!
ReplyDeleteऐसे लानतियों पर गाज भी नही गिरती
ReplyDeleteइनकी जितनी निंदा की जाए कम है ! निंदनीय कृत्य !
ReplyDeleteतरूण जी गाज गिर जाए तो ही बेहतर हैं।
ReplyDeleteजो हर बात में राजनीति घुसेड़ सके, वो अमर सिंह.
ReplyDeleteक्या कहें . अपनी लुटिया देख . खिसियानी बिल्ली खम्बा नोचे .
ReplyDeleteक्या कहें इसे? देश का दुर्भाग्य जो हमें ऐसे नेता मिले हैं जिन्हें हर अवसर पर सिर्फ़ अपनी रोटी सेकनी की फ़िक्र रहती है...बहुत अच्छा लिखा है आप ने...
ReplyDeleteनीरज
boss, baat yah hai ki yahan ke logon ko bhi yahi pasand hai, aakhir jaychand jaise logon ki auladen hain ham
ReplyDeleteनीतीश जी अमरसिंघ की तो माया अपरम्पार है ! वैसे आज की
ReplyDeleteराजनीति में शायद नैतिक मूल्य तो बचे भी नही हैं ! तो इनको कौन रोक पायेगा ?
बहुत हताशा होती है !
मूर्ख थे शर्मा ,जो इस देश पर शहीद हुए ,रिश्वत लेते ,ऐ.सी गाड़ी में घुमते ओर अपने बच्चो को डोनेशन देकर अच्छे कालेजो में भेजते ....
ReplyDeleteलेकिन उन्हें शहीद होने का शौक था वो भी ऐसे देश में जहाँ शाहदत पर सवाल वो उठाते है जिनका अपना कोई चरित्र नही है .तो क्या कल इस देश में भगत सिंह को सिख ,बोस को बंगाली का अश्फुल्लाह खान को मुसलमान बाँट लेगे ?क्या गांधी ओर आजाद पूरे देश के शहीद नही थे ?
क्या वास्तव में इस देश में नैतिक तौर पर इतना दिवालिया - पन आ गया है? क्या कारण है कि एक हम इतने असवेदंशील हो गये है ?क्या इस देश में अब राज ठाकरे ,अमर सिंह जैसे लोग कुछ भी बोलेगे ओर हम अनसुना कर देगे ?क्या अपने देश से प्यार भी अब अपराध है ?क्या अब लगता है आपको कोई पुलिस वाला हम आपके लिए लड़ने को तैयार होगा ?कम से कम ईमानदार लोगो को तो इस देश में चैन से मरने दो अगर जीने नही दे सकते !
मै शर्मसार हूँ की मै इस देश में पैदा हुआ जहाँ शहीदों की वक़्त नही है ....
अमर सिंह ऐसे नकली चेक लिखने में माहिर लगते हैं, इतने बड़े उद्योगपति और दस लाख को एक लाख लिख गये? हैरानी है ना…
ReplyDeleteलानत लानत लानत इसे वोटो की जगह लानत दो, ओर जो इसे वोट दे उसे भी लानत दो
ReplyDeleteऐसे नेताओं को तो बख्शा नहीं जाना चाहिए और लोगों को समझना चाहिए कि आतंकवादी हिंदू या मुस्लिम नहीं होते वो सिर्फ होते हैं दहशतगर्द। लोगों से अपील करनी चाहिए की इनको वोट ना करें।
ReplyDeleteडॉ अनुराग जी आपने बहुत बड़ी बात कही है। इससे बुरा और क्या होसकता है कि हमें इस देश में जन्म लेने पर ही शर्म आने लगे। सॉरी अनुराग जी।
ReplyDeleteएक बात लेकिन कहना चाहूंगा कि ये मेरा और आप का देश है और इसमें वो लोग भी हैं जो अपने शहीद बेटे पर आंच आने पर उस नेता का चेक वापस भी कर देते हैं।